मधुबनी : नवविवाहित वर के साथ आज मनेगा मिथिलांचल का लोकपर्व कोजागरा. पर्व की तैयारी पूरी कर ली गई है. नवविवाहित वर की ससुराल से भार आने का सिलसिला शुरू हो गया है. जो बुधवार की शाम तक चलेगा. मिथिलांचल में सदियों से विजया दशमी के पांचवें दिन कोजागरा पर्व मानने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. पर्व के दिन नवविवाहित वरों का चुमावन किया जाता है तब भाभी व साले के साथ चौसर खेलने की परंपरा पूरी की जाती है.
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आज मनेगा मिथिलांचल का लोकपर्व कोजागरा
मधुबनी : नवविवाहित वर के साथ आज मनेगा मिथिलांचल का लोकपर्व कोजागरा. पर्व की तैयारी पूरी कर ली गई है. नवविवाहित वर की ससुराल से भार आने का सिलसिला शुरू हो गया है. जो बुधवार की शाम तक चलेगा. मिथिलांचल में सदियों से विजया दशमी के पांचवें दिन कोजागरा पर्व मानने की परंपरा सदियों से […]
चुमावन के वक्त आये ग्रामीण व परिजनों के बीच मखाना, मिठाई व पान का वितरण किया जाता है. फिर वर के ससुराल से आये भोज्य पदार्थ लोगों को खिलाया जाता है. कोजागरा का सबसे अहम है चुमावन के लिए सजाया गया डाला. डाला का आकार कन्या पक्ष के समृद्ध होने की सूचना देता है. डाला में मिठाई,
फल सहित अन्य सामान सजाकर उसे आकर्षक बनाया जाता है. वहीं दूसरी ओर कोजागरा के बारे में एक मिथक प्रसिद्ध है कि कोजागरा की रात जगे रहने से धन, संपदा व श्री की वृद्धि होती है. इसी मान्यता के आलोक में लोग रतजग्गा भी करते हैं. कोजागरा की रात लक्ष्मी गणेश की पूजन का भी विधान है. घर-घर कुलदेवी की पूजा अर्चना करने के साथ मंदिरों में देवी-देवताओं की आराधना की जाती है.
मिथिलांचल में सदियों से चली आ रही है कोजागरा पर्व मनाने की परंपरा
नवविवाहिताओं का पारंपरिक रीति-रिवाज से किया जाता है चुमावन
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