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कल्पना के आधार पर बनायी गयी संगमरमर की प्रतिमा

पहल. नौ को लोग देखेंगे अयाची मिश्र का काल्पनिक रूप मधुबनी : दुनिया के मानचित्र पर दिखने को तैयार है अयाची डीह. आगामी 9 सितंबर को इस डीह पर एक साथ दो-दो प्रतिमाअों का अनावरण होगा. इसके साथ ही यह इतिहास के सुनहरे पन्ने में जुड़ जायेगा. शायद अब तक बहुत कम लोगों को ही […]

पहल. नौ को लोग देखेंगे अयाची मिश्र का काल्पनिक रूप

मधुबनी : दुनिया के मानचित्र पर दिखने को तैयार है अयाची डीह. आगामी 9 सितंबर को इस डीह पर एक साथ दो-दो प्रतिमाअों का अनावरण होगा. इसके साथ ही यह इतिहास के सुनहरे पन्ने में जुड़ जायेगा. शायद अब तक बहुत कम लोगों को ही पता होगा कि अयाची व दाइ की जिस प्रतिमा का अनावरण सीएम करेंगे, उसे पूरे तौर पर कलाकार ने कल्पना के आधार पर बनाया है. अयाची डीह पर आगामी 9 सितंबर को स्थापित होने वाले अयाची व दाइ की प्रतिमा पूरे तौर पर कल्पना पर आधारित है. लोगों के अनुसार अचायी मिश्रा का युग बीते छह सौ साल पुराना बताया जा रहा है. इस काल में कहीं पर तस्वीर खींचने की कला विकसित नहीं थी. ऐसे में अयाची मिश्र का चित्र कहीं भी उपलब्ध होना नामुमकिन था. जिस कारण इसका निर्माण कल्पना पर किया गया है.
चार साल पहले बैठक में हुआ था निर्णय. गांव के जीबू बाबू बताते हैं कि करीब चार साल पहले लोगों ने इस डीह पर अयाची मिश्र की प्रतिमा स्थापित करने व इसे विकसित करने को लेकर बगल के हाई स्कूल में बैठक की. इसमें डीह पर अयाची मिश्र की प्रतिमा की स्थापना करने का निर्णय लिया गया. इस बात को जब बैठक में सर्वसम्मति से स्वीकृति मिल गयी, तो फिर एक समस्या सामने आ गयी कि आखिर अयाची मिश्र की प्रतिमा का निर्माण कैसे हो. कहीं कोई चित्र तो था नहीं. बैठक में ही यह निर्णय लिया गया कि कल्पना पर ही अयाची की प्रतिमा का निर्माण होगा.
राकेश ने बनायी प्रतिमा. जब बैठक में निर्णय लिया गया, तो फिर इसके निर्माण की प्रक्रिया भी शुरू की गयी. समिति ने इसकी जिम्मेदारी बगल के हठाढ़ रूपौली निवासी राकेश कुमार को सौंपी. राकेश फाइन आर्ट में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल किये हैं. वर्तमान में दिल्ली में काम कर रहे हैं. राकेश बताते हैं कि उन्हें जब अयाची डीह विकास समिति के अयाची मिश्र की प्रतिमा निर्माण की जिम्मेदारी दी गयी तो उन्होंने 15 वी शताब्दी के व्यक्तित्व, एक विद्वान की कल्पना और उसे कागज पर स्केच के रूप में लाया. इसे समिति को दिखाया गया. इसमें समिति के लोगों ने कुछ संशोधन कर उसे स्वीकृति दे दी गयी. फिर स्केच पर बनी प्रतिमा को मिट्टी से बनाया गया. अंत में जयपुर से आये उच्च कोटि के संगमरमर से अयाची मिश्र की प्रतिमा का निर्माण पटना स्थित अपने आवास पर किया. राकेश बताते हैं कि प्रतिमा निर्माण में करीब डेढ़ माह का समय लगा. इसी प्रकार दाइ की प्रतिमा का निर्माण भी कल्पना के आधार पर ही किया गया है.
प्रतिमा कैसी है यह अब तक कुछ लोगों को ही पता है. आगामी नौ सितंबर को इसके स्थापना और अनावरण के साथ ही लोगों के सामने अयाची व चमइन का काल्पनिक रूप एक पत्थर पर लोगों के सामने होगा.

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