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खेनाई के बात त दूर दू चुरूक नीक पाइन तक नै भेंट रहल छी, पांच दिन से भूखे छी..

मधुबनी/बेनीपट्टी : सुबह के करीब दस बज रहे थे. हम पानी के बीच होते हुए किसी तरह पाली गोठ मध्य विद्यालय तक पहुंचे. इससे आगे जाने का कोइ जरिया ही नहीं था. मध्य विद्यालय के आगे मुख्य सड़क पर ही करीब सात से आठ फुट तक पानी था. दूर दूर तक पानी ही पानी. पानी […]

मधुबनी/बेनीपट्टी : सुबह के करीब दस बज रहे थे. हम पानी के बीच होते हुए किसी तरह पाली गोठ मध्य विद्यालय तक पहुंचे. इससे आगे जाने का कोइ जरिया ही नहीं था. मध्य विद्यालय के आगे मुख्य सड़क पर ही करीब सात से आठ फुट तक पानी था. दूर दूर तक पानी ही पानी. पानी में फूस का दर्जनों घर डूबा था. कई घर गिर गये थे. जो लोगों के दर्द को खुद ही बयां कर रहे थे. हमारे पहुंचते ही मध्य विद्यालय में आसरा लिये हुए लोग आये. लगा जैसे कोइ राहत देने के लिये आया है.

इस बात की जानकारी पाली गोठ गांव के लोगों को हुई. देखते ही देखते राहत की उम्मीद लिये करीब एक सौ से अधिक युवक व महिला मध्य विद्यालय तक पहुंच गये. लोगों का दर्द व बाढ़ की त्रासदी उनके आंखों व चेहरों से साफ झलक रहा था. करीब सत्तर वर्षीय दिनेश झा बताते हैं कि ” बौआ एकाएक राति में पानि घर में घुसि गेल. मुदा आब त पांच दिन में हालत इ भ गेल छी जे कखनों प्राण निकलि जैत, ककरा कहबै. इसी प्रकार हीरा देवी कहती है कि ” खेनाई के बात त दूर दू चुरूक नीक पइन(पानी) तक नै भेट रहल छी. प्यास स नै रहल गेल त अब आब यैह पइन (बाढ का पानी) पीब रहल छी. पांच दिन से पेट में एक्को दाना नै गेल छी.

बाल बच्चा सब दोसर जगह छी. कोना छी से किछु नहीं बूझल अई. ” ये हाल किसी एक दिनेश झा या हीरा देवी की नहीं है. लोग बताते हैं कि पूरा गांव ही इसी पीड़ा जूझ रहा है. करीब दो घंटे तक हमलोग भी इन्हीं गांव वालों के साथ घुटने भर पानी में खड़े रहे. बार बार फोन करने के बाद करीब दो घंट बाद क्षेत्र में पहुंची एनडीआरएफ का बचाव दल मोटर बोट लिये मध्य विद्यालय तक पहुंचा. एक बोरी में बंद राहत पैकेट बारह परिवार को दिया. टीम के सदस्यों ने बताया कि एक बोरी में पांच परिवार के लिये पैकेट बनाया गया है. जिसमें एक किलो चूड़ा, आधा किलो सत्तू, एक बिस्किट का पैकेट एवं एक मोमबत्ती है. अब अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पांच दिन से भूखे बारह परिवार के लिये यह राहत पैकेट कितनी राहत दे सका होगा.

हमलोग मोटरबोट के जरिये पाली मंझला टोल की ओर बढे. कहीं कोई मंदिर में शरण लिये था. मोटरबोट की आवाज सुनते ही लोग पानी में कूदने लगे. कुछ लोग पेड़ों पर भी थे. इनका घर पूरी तरह पानी में घिरा था. राहत पाने की उम्मीद में लोग पानी में कूदने लगे. पर शायद इस गांव तक आने से पहले ही पूरा पैकेट टीम ने अन्य गांवों में बांट दी थी. जैसे ही गांव के बीच बोट रुकी. पूरे गांव के सैकड़ो महिला पुरुष, बच्चे राहत पैकेट पाने की उम्मदी मे मोटरबोट को चारों ओर से घेर लिया.
पर बोट को खाली देख सब चुप हो गये. केवल दवा का कार्टन बचा था. एएनएम विद्या कुमारी व साधना कुमारी ने लोगों को दवा होने की जानकारी जैसे ही दी. हर हाथ दवा के लिये उठ गया. कोई बुखार से तप रहा था तो किसी के बच्चे की तबीयत खराब हो गयी थी. बीमार लोगों की संख्या अधिक,दवा भी कम पड़ गयी. एक एक व्यस्क को बुखार के लिये मुश्किल से एक पारासीटामोल की टैबलेट दिया जा सका. बाद में वो भी नहीं रहा. किसी के हाथ ओआरएस का एक पैकेट हाथ लगा तो किसी के हाथ दूसरा टैबलेट.
हालात बद से बदतर थे. बच्चे भूखे नंगे. मां – बाप मजबूर. किसी के पास कोई चारा नहीं. राहत बचाव दल ने इन लोगों को जल्द ही दुबारा राहत पैकेट लाकर देने का आश्वासन दिया. टीम में जिला पार्षद के पति रौशन कुमार ने जरूर लोगों के घाव पर मरहम लगाया. पर जब संसाधन ही उपलब्ध ना हो तो क्या किया जा सकता है.
दरअसल बीते पांच दिन पहले बसैठ के पास महाराजी तटबंध का रिंग बांध क्या टूटा, लाखों की आबादी दाना दाना को मोहताज हो गये. घर बार उजर गया. जो कुछ भी घर में था सभी घर में ही रह गया. किसी प्रकार जान बचाकर उंचे स्थान की ओर भागे. पहले तो लोगों को जान बचाने की चिंता थी. जिसे जहां मिला शरण लिया. रिंग बांध टूटने से बेनीपट्टी का पाली पंचायत भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है. करीब एक हजार परिवार आज जिंदगी मौत के बीच जूझ रहा है. विशनपुर व बर्री पंचायत की हालत तो और भी खराब है. स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक ओर जहां पांच दिन बाद भी प्रशासन विशनपुर व बर्री गांव तक नहीं पहुंच सका है. वहीं पाली पंचायत मे पांच दिन बाद गुरुवार को राहत व बचाव कार्य शुरू किया गया.
प्रशासन ने सुधि नहीं ली तो मुखिया घर में दुबके
पाली गोठ की आबादी करीब पांच सात हजार की है. लोगों ने बताया कि पंचायत में बीते पांच दिन में ना तो किसी अधिकारी का आना हुआ है और ना ही किसी जन प्रतिनिधि ने इन लोगों की सुधि ली है. पंचायत के मुखिया सरपंच तो अपने घरों में दुबके हैं. लोगों ने इन जनप्रतिनिधियों की सूरत भी पांच दिनों में देखी है. लोगों में आक्रोश साफ झलक रहा था.

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