मधुबनीः जैसे शाम करी आती गई विराट हास्य कवि सम्मेलन को सुनने वालों की भी उमड़ गयी. आखिर वह समय आ ही गया जिसका मधुबनी वासी बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. मंच पर देश के नामी गिरामी हास्य कवि व कवयित्रियों के आते ही पूरा पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा. जनसैलाब को ज्यों ही कवि सम्राट शंकर कैमूरी ने संबोधन करना शुरू किया पूरा मैदान ठहाकों की गूंज से गुंजायमान हो गया.
चारों ओर हंसी के फ व्वारे छूट रहे थे मानो सावन बरस रहा था. आनंद की सरिता में लोग अपना सुध बुध खोकर गोंते लगा रहे थे. हास्य रस व श्रृंगार रस की सरिता ने उपस्थित लोगों का दिल जीत लिया. संध्या तिवारी की गजल तेरे आने की आहट से संवरने लगी हूं मैं, जमाने की निगाहों से डरने लगी हूं मैं के बोल पर श्रोतागण मचलने लगे.संध्या तिवारी की कविताओं,गजल व शेर का नशा श्रोताओं पर इस कद र छाया कि वे मदहोश होते रहे.
बार बार तालियों की गूंज व वाह वाह की आवाज सुसज्जित व आकर्षक पंडाल में मोतियों के फूल बरसा रहे थे. हास्य कवियों की कविताओं ने श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया. सामाजिक परिवेश पर करारा चोट करते हुए कवियों ने कहा कि अब तो फूलों में बम निकलता है दिल को झकझोड़ दिया. मिथिला की पावन भूमि में विराट हास्य कवि सम्मेलन में आकर लोगों ने अपने सारे गम भूला दिये.
प्रभात खबर की इस पहल का गुणगान करते लोग थक नहीं रहे थे . हर लोगों के दिल के दरवाजे पर हास्य कवियों की कविताओं ने दस्तक दी. जब संध्या के ओठों से बोल निकले वो तेरा रूठना मनाना याद आता है, मेरे गीतों का तेरा गुनगुनाना याद आता है, मुङो तो गुजरा जमाना याद आता है के साथ ही माहौल काफी गंभीर हो गया. मानो पलक झपकने का नाम नहीं ले रहा था. सारी निगाहें हास्य कवियों की ओर लगी थी. कवि सम्मेलन का उद्घाटन संत कुमार चौधरी, उदय चंद्र झा विनोद, जिप अध्यक्ष नसीमा खातून, पूर्व डीआइजी चंद्रशेखर दास, पूर्व आइएएस जीवछ झा, पूर्व जिला एवं सत्र न्यायाधीश सच्चिदानंद झा ने संयुक्त रूप से किया.