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पाले के प्रकोप से किसान हो रहे पस्त

शीतलहर . जिले में अगेती आलू पर झुलसा का प्रकोप जिले में किसानों ने लगभग दो हजार बीघे में आलू की खेती की है. लेकिन, एक सप्ताह से चल रही शीतलहर से आलू की फसल को पाला लगने का खतरा उत्पन्न हो गया है. इससे किसान चिंता में पड़ गये हैं. मधेपुरा : एक सप्ताह […]

शीतलहर . जिले में अगेती आलू पर झुलसा का प्रकोप

जिले में किसानों ने लगभग दो हजार बीघे में आलू की खेती की है. लेकिन, एक सप्ताह से चल रही शीतलहर से आलू की फसल को पाला लगने का खतरा उत्पन्न हो गया है. इससे किसान चिंता में पड़ गये हैं.
मधेपुरा : एक सप्ताह से चल रही शीतलहर से आलू की फसल को पाला लगने का खतरा उत्पन्न हो गया है. किसान चिंता में पड़ गये हैं. पाला से आलू प्रभावित नहीं हो, इसलिए प्रतिदिन पाला रोधक दवा से आलू के पौधों का स्प्रे किया जा रहा है. उदाकिशुनगंज, ग्वालपाड़ा, चौसा, पुरैनी व बिहारीगंज, घैलाढ़, शंकरपुर सिंहेश्वर आदि सहित पूरे जिले में किसानों ने लगभग दो हजार बीघा में आलू की खेती की है. आलू की खेती महंगा और अधिक श्रम वाली खेती होती है.
महंगी है आलू की खेती . दो हजार रुपये से 22 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बीज खरीद कर आलू खेतों में लगाया गया. एक बीघा खेत में छह से सात क्विंटल बीज लगता है. बीज का कीमत ही 12 से 15 हजार रुपये होता है. फिर रोपनी के वक्त और मिट्टी चढ़ाने के समय तीन क्विंटल रासायनिक खाद व दस टेलर गोबर खाद दिया जाता है. दो तीन बार पटवन भी किया जाता है. इतने खर्च करने के बावजूद दस से 15 मन का कटठा आलू का उत्पादन नहीं हो सका तो आलू घाटे की खेती साबित होकर रह जायेगा.
आलू उत्पादन पर पड़ा है भारी असर. उदाकिशुनगंज . आलू उत्पादक किसानों का काफी बुरा हाल है. सठिया आलू केवल साठ दिन में ही तैयार हो जाता है. उदकिशुनगंज में इस किस्म के आलू की कम पैदावार हुई. उदाकिशुनगंज के आलू उत्पादक किसान दयानंद मेहता, मो उसमान रैन, रामू सुलतानियां, अखिलेश यादव ने बताया कि काफी परिश्रम व अधिक खर्च कर आलू की खेती की. जब बेचने का समय आया तो होश उड़ गये. मात्र 40 मन का बीघा आलू का उत्पादन हो सका. बीज की कीमत भी उपर नहीं हो सकी. एक बीघा आलू के खेत से मात्र नौ हजार छह सौ रूपये मूल्य मिल सका जबकि 20 हजार रुपये लागत खर्च आया था.
किसान कहते हैं कि जो आलू खेत में लगा हुआ है उसे पाला मारने का डर है. पाला से बचाव के लिए किसान प्रतिदिन पाला रोधक कीमती रासायनिक दवा से आलू के पौधों पर छिड़काव कर रहे है. जिसके कारण दिन प्रतिदिन लागत खर्च बढ़ता जा रहा है. लेकिन किसानों को चिंता सताये जा रहा है चूंकि किसानों को लग रहा है कि उत्पादन कम हुआ तो लागत खर्च भी ऊपर नहीं सकेगा. .
रुक गयी है आलू की वृद्धि . आलमनगर . ठंड एवं पाले के प्रकोप से आलू किसान परेशान है क्योंकि पाला पड़ते ही आलू के फसलों पर व्यापक प्रभाव पड़ने लगा है. इस बाबत किसान कपूरी शर्मा ने बताया कि शीतलहर शुरू होते ही आलू के पौधों में पीलापन छाने लगा है एवं वृद्धि रूक गयी है. पत्तियां भी मुड़ने लगी है. अभी तो आलू की गांठ जमीन के नीचे निकलना शुरू भी नहीं हुआ है. किसान लडडू सिंह, ने बताया कि मंहगे आलू के बीज लेकर खेतों में लगाया गया है. परंतु प्रकृति का कोप से किसान चिंतित हो गये हैं. किसान प्रदीप सिंह कहना है कि अब लगता है कि पूंजी भी उपर नहीं हो पायेगी. आलू उत्पादक किसान परेशान है.
बिहारीगंज में भी परेशान हैं किसान . बिहारीगंज . पिछले पांच छह दिनों से बढ़ते कुहासे को लेकर प्रखंड के आलू के किसान काफी चिंतित दिख रहे है. प्रखंड के लक्ष्मीपुर लालचंद चय टोला, राजगंज पंचायत, शेखपुरा पंचायत एवं मोहनपुर पंचायत में आलू की खेती की जाती है. किसान अखिलेश मेहता, नीरज मेहता, विजय मेहता, दिनेश मंडल, विरजु मंडल आदि किसान परेशान हैं.
शंकरपुर प्रतिनिधि के अनुसार प्रखंड क्षेत्र में लगातार बढ़ रहे भीषण ठंढ और कोहरा के कारण आलू की फसल पर संकट मंडराने लगा है. किसान अरविंद यादव, राजीव रंजन सिन्हा, नवीन कुमार सिंह, रामचंद्र यादव राजेंद्र यादव के साथ कई किसानों का कहना है कि ठंढ बढ़ने से आलू फसल पर पाला का प्रकोप बढ़ने लगा है. ग्वालपाड़ा प्रतिनिधि के अनुसार प्रखंड क्षेत्र मे लगातार तीन दिनों से पर रहे पाले एवं घने कोहरे से किसान परेशान हैx. कुहासे से जहां गेहूं फसल को फायदा होगा वहीं आलू और मक्का आदि फसल को नुकसान होने की आशंका है.

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