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काला कानून वापस लो सेविकाओं ने किया प्रदर्शन

चयनमुक्ति के आदेश को लेकर सेिवकाओं में िदखा भारी आक्रोश. हम भारत की नारी हैं, फुल नहीं चिनगारी हैं. चयनमुक्ति का काला कानून वापस हो आदि नारों के साथ जिले के सभी प्रखंड से पहुंचीं आंगनबाड़ी सेविका व सहायिकाओं ने शनिवार को रैली निकाल कर शहर में प्रदर्शन किया. मधेपुरा : हम भारत की नारी […]

चयनमुक्ति के आदेश को लेकर सेिवकाओं में िदखा भारी आक्रोश.

हम भारत की नारी हैं, फुल नहीं चिनगारी हैं. चयनमुक्ति का काला कानून वापस हो आदि नारों के साथ जिले के सभी प्रखंड से पहुंचीं आंगनबाड़ी सेविका व सहायिकाओं ने शनिवार को रैली निकाल कर शहर में प्रदर्शन किया.
मधेपुरा : हम भारत की नारी हैं, फुल नहीं चिनगारी हैं. चयनमुक्ति का काला कानून वापस हो आदि नारों के साथ जिले के सभी प्रखंड के से पहुंची आंगनबाड़ी सेविका एवं सहायिकाओं ने शनिवार को रैली निकाल कर शहर में प्रदर्शन किया. रैली के बाद सेविकाओं एवं सहायिकाओं के हुजूम द्वारा कला भवन के समक्ष धरना दिया गया. रैली में सेविकाओं एवं सहायिकाओं की जबर्दस्त संख्या होने के कारण जिस सड़क से भी होकर रैली गुजरी लंबा जाम लग गया. कला भवन परिसर से कर्पूरी चौक होते हुए पूर्णिया गोला चौक, बायपास रोड होकर समाहरणालय के सामने रैली पहुंची. वहां से फिर कला भवन के समक्ष धरना दिया गया.
आंगनबाड़ी की अच्छी कार्यशैली का ही नतीजा है पोलियो मुक्त भारत : धरना को संबोधित करते हुए संघ की कार्यकारी अध्यक्ष अर्चना कुमारी ने कहा कि आंगनबाड़ी की अच्छी कार्यशैली का ही नतीजा है कि भारत पोलियो मुक्त देश घोषित हो चुका. बिहार कुपोषण मुक्त होने की दिशा में अग्रसर है. मातृ शिशु मृत्यु दर में कमी आयी है. इसके बावजूद भी
बार-बार दी जाती है चयनमुक्ति की धमकी
डीएम को प्रेषित मांग पत्र डीपीओ राखी कुमारी को सौंपा गया. मांग पत्र में जिला स्तरीय जांच दल द्वारा सेविकाओं को अनावश्यक परेशान करना एवं चयनमुक्ति की धमकी देना, बंद करना, बिना स्पष्टीकरण के किये गये दंडादेश को वापस लेने, लंबित मानदेय एवं केंद्र के किराया का अविलंब भुगतान सुनिश्चित करने, सेविका सहायिका को सरकारी सेवक घोषित करने, आंगनबाड़ी केंद्र पर मुलभूत सुविधा उपलब्ध करने, राशन की कीमत बाजार भाव से निर्धारण किया जाय,
सेविका को महिला पर्यवेक्षिका एवं बाल विकास परियोजना पदाधिकारी में सीधी प्रोन्नति दी जाये, सहायिका को सेविका में सीधी प्रोन्नति दी जाय, बिहार सरकार के नियमानुसार दो सौ रुपया चिकित्सा भत्ता लागू किया जाय, आइसीडीएस कार्यकर्ता का जीवन बीमा सुनिश्चित करना, आंगनबाड़ी के अतिरिक्त बाहर के कार्यों की जिम्मेदारी देना बंद करना शामिल है. सहायिकाओं और सेविकाओं का कहना था कि बच्चों की संख्या कम होने पर मानदेय की कटौती की जाती है.
जबकि सेविका साहयिका को वेतन नहीं प्रोत्साहन राशि दिया जाता है. बच्चों की संख्या कम है इसकी जिम्मेवारी सिर्फ सेविका सहायिका की नहीं है बल्कि इसके लिए पदाधिकारी का असहयोग एवं केंद्र पर मूलभूत सुविधाओं का अभाव होना भी है. सभी ने कहा कि डीपीओ एवं सदर बीडीओ से वार्ता एवं आश्वासन के बाद तत्काल आगे का आंदोलन स्थगित किया गया है. मांग नहीं मानने पर पुन: चरणबद्ध आंदोलन किया जायेगा.

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