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मधेपुरा के ईशा-जुलेखा ने कहा, गीता हमारी बेटी

मधेपुरा : पाकिस्तान से गीता को लौटे महीनों बीत जाने के बाद कोसी क्षेत्र के मो ईशा उर्फ युसूफ और जुलेखा ने गीता पर दावा किया है. उनका कहना है कि गीता उनकी सबसे छोटी बेटी रूबेदा है, जो वर्ष 1996 में छपरा जिले के मढ़ौरा थाना अंतर्गत मिरजापुर गांव से एक बरात देखने के […]

मधेपुरा : पाकिस्तान से गीता को लौटे महीनों बीत जाने के बाद कोसी क्षेत्र के मो ईशा उर्फ युसूफ और जुलेखा ने गीता पर दावा किया है. उनका कहना है कि गीता उनकी सबसे छोटी बेटी रूबेदा है, जो वर्ष 1996 में छपरा जिले के मढ़ौरा थाना अंतर्गत मिरजापुर गांव से एक बरात देखने के लिए निकलने के बाद लापता हो गयी थी.

इस दंपती ने रविवार को समाजसेवी शौकत अली के घर पहुंच अपनी बात पत्रकारों के बीच रखते हुए कहा कि बस एक बार या तो गीता से मिला दिया जाये या फिर डीएनए टेस्ट करा लिया जाये. इसके बाद दूध-का-दूध व पानी-का-पानी हो जायेगा. मो ईशा ने कहा कि मूलत: वे लोग छपरा जिले के मिर्जापुर के निवासी हैं.

लेकिन, सुपौल के जदिया के पास मोहर्रमपुर में भी अपना घर है़ 1996 में मिर्जापुर से ही रूबैदा लापता हो गयी थी. सात भाई-बहनों में सबसे छोटी रूबैदा जन्म से ही गूंगी व बहरी थी़

लेकिन, वह काफी जहीन थी़ उन्होंने कहा कि विदेशमंत्री सुषमा स्वराज के ट्विट से गीता के बारे में उसके शरीर के चिह्न, गांव-घर की भौगोलिक स्थिति जानने के बाद उनके एक परिचित ने बताया. तब से वे भटक रहे हैं, लेकिन न तो उनका डीएनए मिलान किया जाता है और न ही गीता से मिलने दिया जाता है़ गीता ने जो अपने गांव की पहचान बताई है, वह सब मिर्जापुर में है़ रेल लाइन, तालाब, मंदिर आदि सब निशान उस गांव के ही हैं.

शीशे से जब उसका बांया पैर कटा था, तो गांव के ही डॉ नरसिंह भगत ने इलाज किया था. जुबेदा की कथित मां जुलेखा कहती हैं कि मेरा चेहरा देखिये, मैं बुढ़ी हो गयी हूं, लेकिन क्या मेरा चेहरा गीता से नहीं मिलता. मो ईशा का दावा है कि वे इंदौर जाकर वहां स्वयंसेवी संस्था के अनाथालय भी गये.

लेकिन, वहां जान-बूझ कर एक तेरह वर्ष की लड़की को गीता बता कर हमारे सामने लाया गया, तो हमने इनकार कर दिया़ गीता को जुबेदा बता कर उससे एक बार मिल कर तसल्ली करने के लिए भटक रहे इस वृद्ध दंपति का कहना है कि सांसद रंजीत रंजन और पप्पू यादव को आवेदन देकर अपनी फरियाद लगा चुके हैं.

उनके द्वारा गीता से मिलाने और डीएनए जांच करवाने का आश्वासन भी मिला है. स्थानीय समाजसेवी शौकत अली कहते हैं कि बस एक बार इन्हें गीता से मिला कर डीएनए जांच कर तसल्ली करना चाहिए. मधेपुरा सामाजिक न्याय की धरती है और चाहे गीता हो या रूबैदा उसे भी अपने माता-पिता से मिलाने में यहां की भागीदारी होगी.

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