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विकास की नयी ऊंचाइयां छूयेगा मधेपुरा

जिला स्थापना दिवस . जगह-जगह सांस्कृतिक व अन्य कार्यक्रमों की धूम मधेपुरा जिला सोमवार यानी कि 9 मई को 35 वर्ष का हो गया है. जिले के 35वें स्थापना दिवस पर कई कार्यक्रम आयोजित किये गये. प्रभात फेरी, विकास दौड़, खेलकूद, पौधारोपण, रक्तदान शिविर, सांस्कृतिक कार्यक्रम सब में अधिकारियों से लेकर आम जनता ने जमकर […]

जिला स्थापना दिवस . जगह-जगह सांस्कृतिक व अन्य कार्यक्रमों की धूम

मधेपुरा जिला सोमवार यानी कि 9 मई को 35 वर्ष का हो गया है. जिले के 35वें स्थापना दिवस पर कई कार्यक्रम आयोजित किये गये. प्रभात फेरी, विकास दौड़, खेलकूद, पौधारोपण, रक्तदान शिविर, सांस्कृतिक कार्यक्रम सब में अधिकारियों से लेकर आम जनता ने जमकर भाग लिया. इस मौके पर डीएम मो सोहैल, एसपी विकास कुमार, डीडीसी मिथिलेश कुमार समेत आलाधिकारी जनता के साथ मिलजुल कर मधेपुरा को विकसित, सुंदर और नशा मुक्त बनाने की कार्य योजना पर बातें की. वहीं डीएम ने कहा कि इस शहर को एक नई उंचाई देने के लिए प्रशासन प्रतिबद्ध है. जनता द्वारा भी इन आयोजनों को सराहते हुए कहा कि आखिरकार मधेपुरा जिला स्थापना दिवस मना रहा है.
मधेपुरा : जिला स्थापना दिवस पर सुबह छह बजे से स्कूली बच्चों ने प्रभात फेरी निकाली. इस दौरान सुंदर मधेपुरा, स्वच्छ मधेपुरा, बेटी बचाओं, नशा मुक्त समाज के निर्माण से संबंधित नारे बच्चों द्वारा लगाये जा रहे थे. शहर के मुख्य मार्ग से होकर प्रभात फेरी बायपास होते हुए अपने – अपने विद्यालय लौटी. प्रभात फेरी में प्रभावशाली रूप से केशव कन्या उच्च विद्यालय, अधिकलाल मध्य विद्यालय, जगजीवन आश्रम स्कूल, साउथप्वाइंट स्कूल समेत दर्जनों अन्य विद्यालय शामिल थे.
विकास का संकल्प लेकर लगायी दौड़
भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के गेट से दर्जनों प्रतिभागियों ने मधेपुरा के विकास का संकल्प लेकर दौड़ लगायी. इस दौड़ को हरी झंडी दिखाते हुए डीएम मो सोहैल ने कहा कि मधेपुरा हमेशा विकास के पथ पर इसी तरह बढ चढ कर अपनी दौड़ मुकम्मल करें. उन्होंने कहा कि जिले को एक नया स्वरूप देने की कवायद शुरू हो गयी है. जल्द ही मुख्यमंत्री के सात निश्चय के तहत आइटीआइ कॉलेज, पारा मेडिकल कॉलेज, नर्सिंग ट्रेनिंग कॉलेज यहां खोला जायेगा. इस मौके पर एसपी विकास कुमार, एसडीएम संजय कुमार निराला, एनडीसी मुकेश कुमार, उत्पाद अधीक्षक महेश्वर दत्त मिश्र समेत अन्य अधिकारी एवं खेल प्रशिक्षक संत कुमार आदि उपस्थित थे. दौड़ स्टेडियम में पहुंचकर समाप्त हुई. इस दौड़ में उदय कुमार मेहता प्रथम, विभूति कुमार द्वितीय एवं दीपक कुमार तृतीय स्थान पर रहे.
डीआरडीए परिसर में हुआ पौधारोपण
डीआरडीए परिसर में डीएम, एसपी, डीडीसी, स्थापना उप समाहर्ता, एनडीसी समेत अन्य अधिकारी एवं गणमान्य लोगों द्वारा पौधा रोपन किया गया. फलदार एवं छायादार पौधों को लगाकर जल्द ही उनके बड़े होने की कामना की गयी. वहीं परिसर को हरा भरा एवं पार्क बनाने की भी चर्चा की गयी है.
खेल-कूद प्रतियोगिता
बीएन मंडल स्टेडियम में खेल कूद प्रतियोगिता संपन्न हुई. कबड्डी के बालक वर्ग में एसपीएफ मधेपुरा ने सिमराही सुखासन 39/16 से हराया. वहीं बालिका वर्ग में सिमराही सुखासन में मलिया को 22/12 से हराकर खिताब अपने नाम किया. खो-खो बालक में मधेपुरा विजेता तथा सिंहेश्वर उपविजे ता रहा. वहीं भाला फेंक प्रतियोगिता में बालिका वर्ग में रूपा प्रथम स्थान पर रही. जबकि द्वितीय स्थान पर अन्नु तथा तृतीय स्थान पर सोनी रही.
वहीं बालक वर्ग में अमित कुमार, अखिलेश कुमार, सुनील कुमार क्रमश: प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान पर रहे. गोला फेंक प्रतियोगिता में रोजी कुमारी, अन्नु कुमारी एवं शिरोमणी कुमारी तथा सनोज कुमार, आशुतोष कुमार एवं दीपक कुमार प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान पर रहे. जबकि एथलेटिक्श के दो सौ मीटर बालिका दौड़ में बबिता कुमारी, गुड्डी कुमारी, बेबी कुमारी, दो सौ मीटर बालक में विभूती कुमार, शिव कुमार, दीपक कुमार, एक सौ मीटर बालिका में रूपा कुमारी, सुनीती कुमारी, काजल कुमारी, एक सौ मीटर बालक में राजेश कुमार, रौशन कुमार एवं शिव कुमार क्रमश: प्रथम द्वितीय एवं तृतीय स्थान पर रहे. खेलकूद प्रतियोगिता का सफल संचालन खेल प्रशिक्षक की देख रेख में हुआ. इस अवसर पर डीएम समेत उपाधीक्षक शारीरिक शिक्षा मुकेश कुमार, कार्यालय सहायक मनोज कुमार सिंह आदि प्रमुख रूप से मौजूद थे.
गौरवशाली इतिहास है िजला का
लंबे संघर्ष के बाद 135 वर्ष पुराना अनुमंडल बना था जिला
भागलपुर जिले में सदर अनुमंडल के बाद तीन अनुमंडल मधेपुरा (1845), बांका (1863) एवं सुपौल (1870) में बने. तब मधेपुरा अनुमंडल में मात्र तीन थाने थे. सदर थाना मधेपुरा, बनगांव थाना, उदाकिशुनगंज थाना. वहीं ब्रिटिश प्रशासन ने मधेपुरा में 1844 में सिविल कोर्ट की स्थापना की. सौ वर्षो के बाद 1945 से मधेपुरा में सबजज का न्यायालय स्थापित होकर कार्यारंभ कर दिया, जिसे सिविल मामलों के निष्पादन का भी अधिकार मिला था, जो संपूर्ण मधेपुरा एवं सुपौल अनुमंडलों के मामलों की सुनवाई किया करता था. जब प्रशासनिक दृष्टिकोण से भागलपुर जिले के उत्तरी भाग में स्वतंत्र जिले के निर्माण का प्रश्न आया तो 109 वर्ष पुराना मधेपुरा अनुमंडल के औचित्य को नकारकर एक अप्रैल 1954 को सहरसा को जिला घोषित किया गया.
क्योंकि तब सहरसा बनगांव थाने के अंदर था, बनगांव थाना द्वारा शासित होता था. आगे पच्चीस वर्षों तक मधेपुरा अनुमंडल को जिला का दर्जा दिलाने हेतु मधेपुरा के जननेता स्वतंत्रता सेनानी भूपेंद्र नारायण मंडल, महताब लाल यादव, कुदरत उल्लाह, तनुकलाल यादव सहित मधेपुरा के तमाम बुद्धिजीवियों, छात्र नौजवानों द्वारा निरंतर जुलूस-धरना-प्रदर्शन यहां तक कि रेलगाड़ी को भी रोकने का प्रयास किया जाता रहा और इस अभियान में तमाम लोग लगे रहे. मधेपुरा ने अनुमंडल के रूप में 135 वर्ष की संघर्षपूर्ण यात्रा पूरी कर नौ मई 1981 को जिला बनने का गौरव हासिल किया.

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