लोगों को जागरूक कर रहा इप्टा
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आयोजन. इप्टा की ओर से नाट्य महोत्सव आयोजित, अतिथियों ने कहा
लोगों को जागरूक कर रहा इप्टा भारत वर्ष में नाटक की बहुत ही समृद्ध परंपरा रही है, लेकिन आजादी के बाद आम लोगों को जागरूक करने के लिए नुक्कड़ नाटकों का बहुआयामी, बखूबी और सशक्त इस्तेमाल किया गया. मधेपुरा : नाटक, संगीत और कला किसी भी समाज के सांस्कृतिक उत्कर्ष का उत्कृष्ट रूप है. जिस […]
भारत वर्ष में नाटक की बहुत ही समृद्ध परंपरा रही है, लेकिन आजादी के बाद आम लोगों को जागरूक करने के लिए नुक्कड़ नाटकों का बहुआयामी, बखूबी और सशक्त इस्तेमाल किया गया.
मधेपुरा : नाटक, संगीत और कला किसी भी समाज के सांस्कृतिक उत्कर्ष का उत्कृष्ट रूप है. जिस समाज में कला नहीं होती उस समाज में जीवंतता का नितांत अभाव रहता है. कला तत्कालीन सामाजिक संघर्ष को विभिन्न रूपों में प्रकट करती है. भारतवर्ष में नाटक की बहुत ही समृद्ध परंपरा रही है, लेकिन आजादी के बाद आम लोगों को जागरूक करने के लिए नुक्कड़ नाटकों का बहुआयामी, बखूबी और सशक्त इस्तेमाल किया गया. इस दौरान इप्टा ने अपनी भूमिका को मजबूती से निभायी.
पूरे देश में नाट्य क्रांति के सूत्रपात का श्रेय इप्टा को ही जाता है. शुक्रवार की देर शाम इप्टा मधेपुरा की ओर से आयोजित ग्रामीण नाट्य महोत्सव का शुभारंभ करते हुए डीएम मो सोहैल संबोधित कर रहे थे. इससे पहले भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) मधेपुरा की ओर से ग्रामीण नाट्य महोत्सव का भव्य आगाज जिला मुख्यालय स्थित बीएन मंडल स्टेडियम में किया गया. कार्यक्रम का शुभारंभ उद्घाटनकर्ता बीएनएमयू के पूर्व कुलपति प्रो डा रमेंद्र कुमार रवि, डीएम मो सोहैल के साथ साथ इप्टा के पूर्व महासचिव जीतेंद्र रघुवंशी, इप्टा के मुख्य संरक्षक प्रो श्यामल किशोर यादव, मुख्य अतिथि इप्टा के प्रदेश उपाध्यक्ष प्रो शचींद्र ने किया.
वहीं मुख्य अतिथि के तौर पर एसपी विकास कुमार, इप्टा के संरक्षक डा भूपेंद्र मधेपुरी, डीडीसी मिथिलेश कुमार, मुरलीगंज नगर पंचायत अध्यक्ष सर्जना सिद्धि, डा शांति यादव, डा नायडू कुमारी, श्वेत कमल उर्फ बौआ यादव, भोला प्रसाद यादव, प्रशांत कुमार आदि मौजूद थे. उद्घाटन के मौके पर डा रमेंद्र रवि ने कहा कि मधेपुरा जैसे इलाके में नाटक की परंपरा को मजबूत करने का काम इप्टा ने किया है. ग्रामीण नाट्य महोत्सव के जरिये लोग देश की विभिन्न लोकगाथा,
लोक गीत, लोक नृत्य की शैली से परिचित होंगे. ऐसे आयोजनों से सांस्कृतिक सौहार्द और एकात्मकता की स्थापना होती है. इप्टा का यह आयोजन कोशी- महानंदा क्षेत्र के मालवीय कीर्ति नारायण मंडल को समर्पित है. कीर्ति बाबू एक ऐसे संत थे जिनके प्रेरणा और सहयोग से एक सौ से ज्यादा शिक्षा केंद्र की स्थापना की गयी. इप्टा हमेशा से जनता की आवाज है.
खाली मन शैतान का घर
एसपी विकास कुमार ने कहा कि खाली मन शैतान का घर होता है. लोग स्वस्थ मनोरंजन से खुद को एवं समाज को कुरीति मुक्त रख सकते हैं. ऐसे समाज में अपराध भी नहीं के बराबर पनपता है.
युवाओं को सही दिशा देने के लिए उन्हें रंग कर्म तथा कला की अन्य विधाओं से जोड़ना जरूरी है. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधान पार्षद विजय कुमार वर्मा ने इप्टा के नाटकों को गीत को समाज में फैली कुरीतियों के खिलाफ सांस्कृतिक आंदोलन
बताया. उन्होंने कहा कि इप्टा बिहार सरकार के नशा के खिलाफ चलाये गये अभियान को एक आंदोलन के रूप में आगे बढ़ाये.
शुभारंभ इप्टा के पूर्व महासचिव जीतेंद्र रघुवंशी,
इप्टा के मुख्य संरक्षक प्रो श्यामल किशोर यादव ने किया. जबकि मुख्य अतिथि के रूप में इप्टा के प्रदेश उपाध्यक्ष प्रो सचिंद्र मौजूद रहे. इस नुक्कड़ मंच पर इप्टा मधेपुरा के कलाकारों द्वारा ज्ञान विज्ञान समिति के प्रदेश सचिव मुरली जी के नेतृत्व में जनवादी गीत व शराब के नशा के खिलाफ नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया गया.
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