प्रखंड में पशुचिकित्सालय भगवान भरोसे
मधेपुरा जिले के उदाकिशुनगंज अनुमंडल मुख्यालय स्थित प्रखंड पशु चिकित्सालय डॉक्टर की कमी के कारण शोभा की वस्तु बना हुआ है. यहां के मवेशीपालक आज के दौर में भी ग्रामीण डॉक्टर के भरोसे अपने मवेशी का इलाज कराने पर मजबूर हैं. डाक्टरों के अनुसार प्रखंड के 16 पंचायत में दो पंचायत गोपालपुर, मंजौरा को उपकेंद्र बनाया गया है. जहां सप्ताह में एक दिन डॉक्टर पहुंचते हैं. हालांकि, सरकार की तरफ से इस केंद्र को कोई लिखित सूचना नहीं है.
न ही यहां कोई केंद्र बनाया गया है. इन दो पंचायत के पशुपालक की मानें, तो सरकारी पशु चिकित्सक का इन इलाकों मे आजतक किसी को दर्शन तक नहीं हुआ है. आखिर जो भी हो लेकिन क्या दो पंचायत के पशु की इलाज के लिए ही पशु चिकित्सालय बनाया गया है. पशु चिकित्सालय उदाकिशुनगंज मे पशु की इलाज करने की जगह अग्निशमन विभाग के गार्ड का बसेरा बना हुआ है.
उदाकिशुनगंज : उदाकिशुनगंज ग्रामीण इलाके के पशुपालक सुचीत यादव, संजीव कुमार यादव, अर्जुन कुमार , प्रदीप यादव , भुवनेश्वर यादव, संजु देवी, कारी यादव आदी का कहना है कि उदाकिशुनगंज प्रखंड पशु चिकित्सालय में भ्रमणशील पशु चिकित्सा पदाधिकारी रहने के बावजूद हम किसान ग्रामीण पशु चिकित्सक के भरोसे पशु का इलाज कराने पर मजबूर है.
ग्रामीण पशु चिकित्सक के द्वारा इलाज कराने की वजह से कई बार पशु की मौत भी हो जाती है. सरकारी डॉक्टर को पशु के बिमार होने की बात कही जाती है तो डॉक्टर द्वारा पशु को मुख्यालय स्थित पशु चिकित्सालय लाने की बात कही जाती है. अब आप ही बताइये बिमार पशु को इतनी दूरी तय कर मुख्यालय ले जाना कहा तक संभव होगा. इसलिए हम पशुपालक को ग्रामीण पशु चिकित्सक के भरोसे ही अपने पशु का इलाज करवाने की मजबूरी बनी हुई है. हलांकि दस गुणा अधिक रूपये खर्च करने के बावजूद भी ग्रामीण चिकित्सक के भरोसे अच्छी इलाज संभव नही हो पाता है. पशुपालक द्वारा सरकार से ग्रामीण क्षेत्रों मे सरकारी पशुचिकित्सक की मांग की है.
कहते हैं उपकेंद्र क्षेत्र के पशुपालक
उपकेंद्र क्षेत्र मंजौरा के पशुपालक रमेश कुमार, गणेश कुमार यादव, सत्यनारायण कुमार, प्रमोद राय, संजय कुमार गुप्ता, उमेश गुप्ता, मनीष कुमार, आदि का कहना है कि सरकारी पशुचिकित्सक का ग्रामीण क्षेत्र मे दर्शन होना भगवान के दर्शन के समान होगा. यदि ग्रामीण पशु चिकित्सक नही रहेगा तो वह दिन दूर नहीं जब क्षेत्र में एक भी पशु जीवित नहीं होगा.0 क्योंकि सरकारी डॉक्टर से इलाज कराने के लिए उदाकिशुनगंज मुख्यालय जाना पड़ेगा. यहा से उदाकिशुनगंज की दूरी लगभग पंद्रह किलोमीटर है. इतनी दूरी तय कर बिमार पशु को ईलाज के पैदल ले जाना खतरे से खाली नहीं होगा. वही उपकेंद्र गोपालपुर क्षेत्र के पशुपालक बुचन मुखिया, खेदन मुखिया, प्रदीप गुप्ता, मनीष कुमार सिंह, सुनील कुमार झा आदि का कहना था कि हम पशुपालक को यह भी पता नही है कि सरकारी पशुचिकित्सक ग्रामीण क्षेत्र मे पहुंचकर पशु का इलाज करते है. मुख्यालय स्थित सरकारी पशु चिकित्सालय कई बार गया भी तो कोई फायदा नहीं हुआ. पशु की बिमार होने की सूचना डॉक्टर साहब को जब दिया गया तो सिर्फ दो पत्ते टेबलेट देकर पुर्जे पर दवाई लिख दिया गया. नहीं ठीक होने पर पुनः गया तो मवेशी को पशु चिकित्सालय उदाकिशुनगंज लाने की बात कही गयी. अब पंद्रह से बीस किमी दूरी तय कर बिमार पशुओं को मुख्यालय ले जाने से अच्छा ग्रामीण चिकित्सक से इलाज कराना ही बेहतर है.
कहते हैं उपकेंद्र पंचायत मंजौरा मुखिया
सरकारी पशुचिकित्सक के अनुसार मंजौरा पंचायत मे दूरी को देखते हुए उपकेंद्र बनाया गया है. जहा प्रत्येक मंगलवार को पशु चिकित्सक पहुंचकर बिमार पशु का इलाज करते है. डाक्टरों के आने की सूचना एक दिन पूर्व ही मुखिया को दी जाती है. लेकिन इस बात को सुनना दिलचस्प होगा कि पंचायत के मुखियाजी को पशु चिकित्सक के पंचायत आने की सूचना मिलना तो दूर, सरकारी पशु चिकित्सक कौन है. उन्हे यह भी मालूम है. इससे यह साफ जाहिर है कि उदाकिशुनगंज प्रखंड पशु चिकित्सालय मे चिकित्सा सेवा कितना कायम है.