सौ रुपये प्रति घंटा की दर से निजी पंप सेट से सिंचाई करना मजबूरी
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सिंचाई की समस्या ने बढ़यी मुसीबत
सौ रुपये प्रति घंटा की दर से निजी पंप सेट से सिंचाई करना मजबूरी ग्वालपाड़ा : प्रखंड क्षेत्र में किसानों के सामने सिंचाई को लेकर समस्या बनी हुई है. किसानों द्वारा ऊंची लागत से रबी की खेती की गयी है. लेकिन सिंचाई के लिए तरसना पड़ता है. सौ रुपये प्रति घंटा की दर से निजी […]
ग्वालपाड़ा : प्रखंड क्षेत्र में किसानों के सामने सिंचाई को लेकर समस्या बनी हुई है. किसानों द्वारा ऊंची लागत से रबी की खेती की गयी है. लेकिन सिंचाई के लिए तरसना पड़ता है. सौ रुपये प्रति घंटा की दर से निजी पंप सेट से सिंचाई करना पड़ता है. जो किसानों के लिये काफी महंगा साबित होता है. अपने खून पसीना से लगाई गई फसल को बरबाद होते नहीं देख सकने की स्थिति में किसान हर कुर्बानी देने को तैयार रहते है. लेकिन सरकारी सहायता समय पर नहीं मिलने एवं किसानों के हित की अनदेखी होने से किसान हतोत्साहित हो कर खेती से मुंह मोरने को विवश हो रहे है.
पूर्व में आये प्रलयंकारी बाढ़ से नहर क्षतिग्रस्त हो गया था. विभाग के द्वारा नहर की मरम्मती के लिये अरबों रुपये खर्च किये गये. लेकिन कोई फायदा नहीं. यही हाल है प्रखंड क्षेत्र के पीएचईडी विभाग द्वारा लगाये गये स्टेटबोरिंग की भी है. जो शोभा की वस्तु बनी हुई है. कहने के लिये प्रखंड क्षेत्र लगभग चार से पांच बोरिंग लगाई गई है लेकिन किसानों को पानी किसी से नसीब नहीं हो पाता है. टेमा भेला ग्वालपाड़ा, सरसंडी, झलाड़ी में लगाये गये बोरिंग केवल गिनती में संख्या पुराने के लिये ही रह गया है. वैसे नियुक्त कर्मचारी के मद में लाखों रूपया का भुगतान किया जा रहा है. लेकिन बोरिंग से एक बूंद पानी का दर्शन नहीं हो पाता है.
डीजल अनुदान के लिये आवेदन करने, सरकारी दाव पेंच जैसे अद्यतन रेंट रसीद अन्य कागजी साक्ष्य आदि जुटाने में ही बहुंत छूट जाते है. अगर किसी प्रकार से आवेदन देने सफल होता है
तो समय पर अनुदान नहीं मिल पाने की स्थिति में अपने खून पसीने से ऊपजाये गये धान की फसल को भी औने -पौने कीमत में ही बेचने को विवश होना पड़ता है. सरकारी दाव पेंच में फंसे रहने की वजह से नवंबर में खरीद होने वाली धान की खरीद भी सभी पैक्सों में शुरू नहीं हो पाया है. बीसीओ अमित कुमार ने बताया कि सात पैक्सों में धान खरीद शुरू हो गया है. शेष में एक से दो दिनों के अंदर खरीद प्रारंभ हो जायेगा. नोहर के किसान बेदानंद ठाकुर, महाकांत झा, ग्वालपाड़ा के पिंकू, शाहपुर के महेंद्र पासवान, बूदूर सिंह, शंभु सिंह, जीवन सिंह, रहि टोला के रंजन यादव, आदि किसानों का कहना है कि नहर एवं सरकारी बोरिंग चालू हो जाय तो प्रखंड क्षेत्र के किसानों की सिंचाई की समस्या समाप्त हो जायगी. अन्यथा खेती से निराश होकर छोड़ना पड़ेगा.
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