अलाव को लेकर जिले में मचा त्राहिमाम फोटो- मधेपुरा 9 कैप्शन- महादलित टोले में अलावा बना लोगों का सहारा फोटो- मधेपुरा 10 कैप्शन- ग्रामीण क्षेत्र में अलाव जलाने के लिए पुआल ले जाती युवती फोटो- मधेपुरा 11 कैप्शन- इनके लिए अभिशाप बना ठंड – ठंड ने बढ़ायी ठिठुरन -उदासीनता . आपदा प्रबंधन मंत्री के गृह जिले में अलाव की व्यवस्था नहीं -तेज बहती पछुवा हवा के कारण पारा 8 डिग्री तक पहुंचाप्रतिनिधि, मधेपुरातेज बहती पछुवा हवा के कारण मौसम का पारा बुधवार को गिर कर 8 डिग्री पर पहुंच गया. बुधवार की सुबह शुरू हुए सर्द हवा के बीच हांड़ कंपकपा देने वाली ठंडी से आम लोगों को दिन भर भी निजात नहीं मिल सकी. हालांकि, सूर्य देवता ने लोगों को दर्शन तो कराया, लेकिन कुछ देर के लिए ही, जिससे लोगों को ठंड से राहत नहीं मिली. जिले में विगत एक पखवारे से ठंड कहर बरपा रहा है. ठंड ने गरीब व बेसहारा लोगों का जीना दुश्वार कर दिया है. इसके बावजूद जिला में अब तक अलाव की व्यवस्था नहीं की गयी है. अलाव के लिए लोग त्राहिमाम कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन इस समस्या की और गंभीर नहीं दिख रही है. इस कड़ाके की ठंड में खास कर झुग्गी झोपड़ी में गुजर बसर करने वाले लोगों को भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड व रैन बसेरा में डेरा डाल कर रह रहे लोगों का तो जीना दुश्वार हो गया है. बुधवार को जिले का न्यूनतम तापमान जहां 8 डिग्री रहा, वहीं अधिकतम तापमान 23 डिग्री था. अलाव के बिना गरीबों की निकल रही हैं जान आर्थिक रूप से कमजोर व मजदूरी कर जीवन यापन करने वाले वैसे लोग जिन्हें ठीक से दो वक्त की रोटी नसीब नहीं होती है. वे इस ठंड का मुकाबला कैसे रहेंगे. लगातार बढ़ रही ठंड गरीबों की जान निकाल रही है. लेकिन प्रशासन है कि अब तक अलाव की व्यवस्था नहीं कर सकी है. हालांकि दो दिन पहले ही आपदा मद से जिले को पचास हजार की राशि आवंटित हो चुकी है. लेकिन वह राशि भी अब तक अंचल को आवंटित नहीं किया गया हैं. वहीं नगर परिषद की सामान्य बैठक में शहर के विभिन्न चौक चौराहा सहित 18 जगहों पर अलाव की व्यवस्था करने का निर्णय लिया गया था, परंतु इस निर्णय को अब तक अमलीजामा नहीं पहनाया गया. शहर में जोर शोर से उठने लगी है अलाव मांगशहर में आम लोगों के अलावा राहगीरों के लिए अलाव एक बड़ा सहारा बनता है. लेकिन ठिठुरन के बावजूद अलाव नहीं जलने के कारण शहर में आम लोगों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. शहरवासी राहुल कुमार, रंजन यादव, श्री कांत, व्यवसायी पंकज कुमार, रवि कुमार, विक्की कुमार, कृष्णा शर्मा, लाल झा, विपीन झा, पंकज कुमार, मदन सिंह सहित दर्जनों लोगों ने जिला पदाधिकारी मधेपुरा एवं प्रशासन से अनुरोध किया है कि बढ़ती ठंड एवं कोहरा को देखते हुए जिला मुख्यालय एवं प्रखंड मुख्यालय में अलाव की व्यवस्था करने का निर्देश संबंधित अंचलाधिकारी को दें. जिससे प्रखंड बाजार क्षेत्र सहित आसपास के लोगों को ठंड से राहत मिल सके. खासकर ऐसे लोग जिनके पास घर नहीं और वे चौक चौराहे स्टेशन केे आस-पास बस स्टैंड आदि जगहों पर रात गुजारते है. ऐसे लोगों को इस कड़ाके की ठंड से बचने का एक मात्र सहारा अलाव ही है. वे लोग प्रशासन से उम्मीद लगाये बैठे है, कब प्रशासन अलाव की व्यवस्था करें. पचास हजार में कैसे कटेगी जिलेवासियों की ठंड मधेपुरा. पिछले दिनों जिले को आपदा विभाग ने अलाव के लिए मात्र पचास रुपये आवंटित किया है. यह राशि जिले के लिए उंट के मुंह में जीरा का फोरन के समान है. जिला मुख्यालय सहित 13 प्रखंडों में अलाव की व्यवस्था करने के लिए 60 से 65 क्विंटल लकड़ी की जरूरत होगी. जबकि लकड़ी का कीमत सात से आठ सौ रुपये क्विंटल बताया जा रहा है. जिले में जरूरत मंद लोगों के लिए अलाव की व्यवस्था करने पर, पचास से साठ हजार रुपये का लकड़ी प्रति दिन जलने का अनुमान लगाया जा रहा है. जब पचास हजार रुपये से एक दिन का ठंड गुजरना मुश्किल हो रहा तो पूरे महीने शीत लहर का कैसे लोग सामना करेंगे. वह पचास हजार रूपया भी अब तक अंचलों को आवंटित किया गया है, जिससे कि जिले में अलाव की व्यवस्था शुरू की जाये. जिसके कारण महादलित परिवार खेत खलिहान से पुआल चुन कर अलाव की व्यवस्था कर रहे है. आपदा प्रबंधन मंत्री पर रहेगी जिलेवासियों की नजर कैबिनेट में मधेपुरा से प्रो चंद्रशेखर आपदा प्रबंधन है. यही वजह है कि जिले वासियों की उम्मीदें बढ़ गयी है. अभी पूरा जिला शीतलहर की चपेट में है. शीतलहर को भी सरकार ने आपदा के श्रेणी में शामिल कर लिया है. ऐसी स्थिति में जिले वासियों की नजर अपने मंत्री पर बनी हुई है कि कैसे इस मुसीबत से उन्हें निजात मिले. हालांकि आपदा प्रबंधन मंत्री के गृह जिला में अब तक अलाव की व्यवस्था नहीं होना यह एक बड़ा सवाल है. अब देखना यह है कि मंत्री जी कब तक जिले वासियों की और अपनी नजरें इनायत करते हैं. डीएम अंकल अब सताने लगी है सीर्दी…मधेपुरा. अगर ठंड की यही स्थिति रही तो इसका असर स्कूली बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ेगा. बच्चों के बीमार होने की आशंका से अभिभावक सशंकित होने लगे हैं.ठंड के कारण सड़क पर पैदल जाने वाले स्कूली बच्चे खास कर ज्यादा प्रभावित हो रहे है. वहीं सबेरे कोचिंग क्लास जाने वाले छात्र-छात्राओं को भी परेशानी हो रही है. बच्चों के साथ-साथ अभिभावकों को भी स्कूल भेजने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि जिला पदाधिकारी मो सौहेल ने सरकारी व गैर सरकारी विद्यालयों को सुबह के नौ बजे से प्रारंभ करने का सख्त निर्देश दिया है. लेकिन समय निर्धारण बस से बच्चों को ठंड से राहत नहीं मिलेगी. सिंहेश्वर बाजार में सुबह सुबह कन्या मध्य विद्यालय जा रही छात्राएं ऋृचा, प्रिया, वैष्णवी, कोमल ने डीएम से गुहार लगाते हुए कहा कि अब ठंड सताने लगी है. अक्सर देखा जाता है कि लगातार ठंड पड़ने के स्थिति में स्कूलों को बंद करने का निर्देश दिया जाता है. पछुआ हवा ने बढ़ायी ठिठुरन पछुआ हवा के कारण ठंड में थोड़ी चुभन भी थी और ठिठुरन भी बढ़ गयी है. वहीं दूसरी ओर लोगों ने ठंड से बचने के लिये अलाव का सहारा लिया. जिला मुख्यालय में कचरे के ढेर में लगी आग के आसपास आवारा पशु भी ठंड से राहत पाने की उम्मीद में एकत्रित हो गये. इस सर्द भरी कड़ाके की ठंड से निजात पाने के लिए लोग प्रशासन से अलाव की उम्मीद कर रहे हैं. ठंड में बरतें सावधानी – गर्म कपड़े का प्रयोग करे- गर्म भोजन का उपयोग करें- ज्यादा ठंड में अलाव का सेवन करें – गर्म पानी से स्नान करें- पानी को उबाल कर पीए – खुले बदन बाहर न निकलें – बुढ़े व बच्चे ठंड में नहीं घूमेंजारी रहेगा शीतलहर का प्रकोप एक तरफ जहां जिला प्रशासन द्वारा जिले में अलाव की व्यवस्था नहीं की गयी है. वहीं दूसरी तरफ मौसम विभाग के वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि अभी शीतलहर का प्रकोप जारी रहेगा. प्रशासन द्वारा अगर जिले में अलाव की व्यवस्था की भी जाती तो वह नाम मात्र होगा. आपदा विभाग से मिले राशि से जिले में एक दिन भी ठंड से निबटना मुश्किल नजर आ रहा है.
अलाव को लेकर जिले में मचा त्राहिमाम
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