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प्रशासनिक भवन प्रखंडवासियों के लिए बना सपना

प्रशासनिक भवन प्रखंडवासियों के लिए बना सपना-इंडस्ट्रीयल मीनी ग्रोथ सेंटर का लोगों ने नहीं मिल रहा है लाभप्रतिनिधि, उदाकिशुनगंज अनुमंडल मुख्यालय स्थित एनएच 106 के किनारे सरकार द्वारा स्वीकृत औद्योगिक विकास केंद्र संचालित करने के लिए प्रशासनिक भवन तो बना. लेकिन, सरकार खास कर स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा के कारण स्थानीय लोगों के लिए सपना […]

प्रशासनिक भवन प्रखंडवासियों के लिए बना सपना-इंडस्ट्रीयल मीनी ग्रोथ सेंटर का लोगों ने नहीं मिल रहा है लाभप्रतिनिधि, उदाकिशुनगंज अनुमंडल मुख्यालय स्थित एनएच 106 के किनारे सरकार द्वारा स्वीकृत औद्योगिक विकास केंद्र संचालित करने के लिए प्रशासनिक भवन तो बना. लेकिन, सरकार खास कर स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा के कारण स्थानीय लोगों के लिए सपना बन कर रह गया है. दरअसल राज्य सरकार का बहुदेशीय योजना एकीकृत औद्योगिक विकास केंद्र को इंडस्ट्रीयल मीनी ग्रोथ सेंटर के नाम से भी जाना जाता है. इस परियोजना के पूरा हो जाने से अनुमंडल वासियों को ही लाभ नहीं होता. वरण पूरे कोसी प्रमंडल वासियों को इससे बेहतर लाभ मिलता. उक्त परियोजना के निर्माण कार्य पूरा करने के लिए चार करोड़ रुपये भारत सरकार खाद प्रसंस्करण मंत्रालय से स्वीकृति मिलने के नाबार्ड द्वारा राशि का आवंटन नियमानुकूल कर दी गयी थी. कार्य के क्रियान्वयन के लिए सरकार को डीएम को नोडल एजेंसी बनायी थी. कब शुरू हुआ भवन निर्माण कार्य नावार्ड में प्रशासनिक भवन निर्माण के लिए 24 लाख रुपये आवंटित कर दी. बाद में तत्कालीन उद्योग मंत्री ने 11 दिसंबर 2004 को भवन का शिलान्यास किया गया था. उस समय आवंटित राशि से दो मंजिले प्रशासनिक भवन तैयार कर दिया गया. लेकिन विस्तार होने से वंचित रह गया. मीनी ग्रोथ सेंटर के लिए कृषि फॉर्म विभाग की 15 एकड़ जमीन ली गयी थी. जो भवन बना है. उस समय कार्यालय और इंसान, उद्यमियों को प्रशिक्षण दिया जाना था. जबकि अभी भी पदाधिकारी कर्मचारियों के लिए आवासीय भवनों का निर्माण कराया जाना बाकी रह गया है. ये सब बनता मीनी ग्रोथ सेंटर के उद्यमियों द्वारा आलू का चिप्स, पपिता से पतीन, सिसकोरा और परवल का मुरब्बा, आम अमरा, आमला, सहजन का अचार, पापड़, हल्दी, मीर्च, धनिया का मसाला, केला आम, लीची का जूस, अमरूद जेली, टटमाटर की चटनी व फर्नीचर आधारित उद्योग लगाया जाता. एडीएम होते पदस्थापित स्वरोजगार को बढ़ावा देने के उदेश्य से मीनी ग्रोथ सेंटर में उद्योग विभाग का एडीएम व अन्य किसान उद्यमियों को प्रशिक्षण देने के लिए प्रशिक्षक कर्मचारियों का पद सृजित कर दिया गया है. ये अधिकारी कर्मचारी प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना का आवेदन जमा लेकर स्वीकृति प्रदान करते. इनके कार्यालय के लिए भवन की उपरी मंजिल पर रूम भी बन कर तैयार है. उद्यमियों का निबंधन भी नहीं होना है. क्या करते किसान केला किसान चंद्रा नंद झा, सब्जी की खेती करने वाले किसान जय नंदन मेहता का कहना है कि क्षेत्र के किसानों को उद्योग केंद्र के खुलने से अपने फसलों का वाजिब कीमत मिलने की आस जगी थी. लेकिन प्रशासनिक उपेक्षा के कारण किसानों की स्थिति बदतर बनती जा रही है. प्रशिक्षण नहीं मिलने से कृषक वर्ग नये तकनीक की जानकारी से वंचित रह रहे है. जल्द ही केंद्र स्थापित हो क्षेत्र में खुशहाली आये. कौन रहा बाधक दरअसल निर्माण कार्य को अवरुद्ध करने के पीछे कुछ समय के जिला प्रशासन को जिम्मेदार माना जा रहा है. चूंकि जो 24 लाख रुपये प्रथम चरण में जिला प्रशासन को कार्य निष्पादन के लिए नावार्ड से आवंटित किया गया था. उस राशि के व्यय से संबंधित उपयोगिता प्रमाणपत्र डीएम द्वारा नावार्ड को भेजा ही नहीं गया. ऐसी स्थिति है कि राशि खर्च किये जाने के बावजूद भी अभी तक नावार्ड को उपयोगिता प्रमाणपत्र डीएम द्वारा नहीं भेजा गया है. बाद में आने वाले डीएम इस पचड़े में पड़ने को तैयार नहीं है. यहीं वजह रहा है कि कार्य आगे नहीं बढ़ सका. जिसके कारण नावार्ड में जिला प्रशासन को दूसरी किस्त की राशि निर्गत नहीं की. चूंकि निर्माण कार्य पर पूरी राशि नावार्ड को ही आवंटित करना है. जनप्रतिनिधि भी जिम्मेदार इस क्षेत्र का स्वभाग्य रहा है कि यहां के दो – दो जनप्रतिनिधि उद्योग मंत्री रहे. एक लघु उद्योग मंत्री ने स्वीकृति व राशि आवंटित कराये तो दूसरे ने निर्माण कार्य को गति देने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाये. वजह जो भी रहा गया है. जनता बाद के उद्योग मंत्री को जिम्मेदार मान रही है. लेकिन जनता अपने दायित्व को भूल गयी है. उनकी भी जिम्मेदारी बनती है आवाज उठाने की. किंतु जनता ऐसा कुछ भी नहीं कर पायी. विभाग से मिलता सहयोग अगर मीनी ग्रोथ सेंटर की स्थापना हो जाता तो उद्यमियों के लिए प्रोजेक्ट विभाग द्वारा तैयार किया जाता तथा उद्यमियों व किसानों को बैंकों से लॉन भी उपलब्ध कराने में विभागीय पदाधिकारी की अहम भूमिका होती. इससे उद्यमियों व किसानों को प्रोत्साहन मिल पाता. आसानी से बाजार मिल पाता. उद्यमियों द्वारा उत्पादित वस्तुओं को बाजार भी विभाग ही आसानी से उपलब्ध कराते. जिससे की उत्पादित वस्तुओं की बिक्री में विलंब का सामना नहीं करना पड़ता. अगर उक्त इंडस्ट्रीयल मीनी ग्रोथ सेंटर अपने स्वरूप में आ जाता तो वास्तव में इस पिछड़े कोसी का अपेक्षित विकास हो पाता. बेरोजगार हाथों को आसनी से रोजगार मिलता.

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