प्रतिनिधि : पुरैनी विधानसभा चुनाव में मतदाता पहली बार राइट टू रिजेक्ट अधिकार के तहत नोटा का प्रयोग करेंगे.
हालांकि लोकसभा चुनाव में भारत में पहली बार नोटा का प्रयोग किया गया था और लोकसभा चुनाव में इसका खासा असर भी देखने को मिला. कई सीटों पर नोटा तीसरे पायदान तक भी पहुंच चुका था.
क्या है नोटा
चुनाव में उपयोग किये जाने वाले इवीएम पर प्रत्याशियों के नाम व चुनाव चिह्न के अलावा सबसे नीचे एक नया ऑप्शन होगा़. नोटा (नॉन ऑफ द एभव) यानी इनमें से कोई नहीं विधानसभा चुनाव में इसे प्रयोग में लाया जा रहा है.
ताकि इस बात का भी पता चल सके कि कितने लोगों को उनके क्षेत्र में उतारे गये. प्रत्याशियों में से कोई भी पसंद नहीं है़
सुप्रीम कोर्ट ने जब नोटा वोट के जरिये मतदाताओं को राइट टू रिजेक्ट देने का फैसला दिया तो फैसले में ये सारी बातें मुख्य थी.
मतदाताओं को चुनाव लड़ रहे सभी उम्मीदवारों को नकारने का अधिकार है़ यह अधिकार संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार में समाहित है़ चुनाव आयोग वोटिंग मशीन व मतपत्रों के अंत में नोटा का विकल्प उपलब्ध करायें.
नकारात्मक मत व्यवस्था से चुनाव में जनता की भागीदारी बढेगी़ क्योंकि उम्मीदवारों से असंतुष्ट वोटर भी मताधिकार का प्रयोग करना चाहेंगे़ इससे चुनाव में प्रगतिशील परिवर्तन आएगा़ क्योंकि राजनीतिक दल स्वच्छ छवि वाले उम्मीदवार उतारने के लिए बाध्य होगा़