मधेपुरा. रविवार की रात रतजगा करने वाले लोग सोमवार की सुबह जरा सी झपकी के बाद फिर से सतर्क हो गये. नजर घड़ी पर ही थी. सुबह सात बजे से निकली तेज धूप को भी लोग शंका की नजर से देख रहे थे. नौ बजे जब हल्की पछुवा हवा चलने लगी तो लोगों का मन आशंकित हो गया.
बैचेनी का आलम यह था कि न भोजन में स्वाद लग रहा था न ठंडे पानी से प्यास खत्म हो रही थी. 11 बजे के बाद बैचेनी पूरी तरह बढ़ गयी. इस दौरान लोग मोबाइल से बात कर अपने रिश्तेदारों, सगे संबंधियों का हाल लेते रहे. भूकंप के दौरान सावधानी बरतने की सलाह का आदान प्रदान भी करते रहे.
दोपहर 12 बजे के बाद तो आंखें घड़ी और पंखे पर ही टकटकी लगाये थे. भूकंप आने पर पंखे का झूलना उनके लिए सबसे बड़ा संकेतक था. लोग घर के बाहरी कमरे में थे ताकि किसी भी समय निकल कर बाहर भाग सकें.