सदर अस्पताल के कर्मी जहां इस ओर कोई ध्यान नहीं देते. वहीं अस्पताल प्रशासन पर भी इसका कोई असर नहीं पड़ता है. यहां तो सिर्फ कर्मी हो या अधिकारी सभी मरीजों को दवा न देकर उनके दर्द को बढ़ा रहे है. सदर अस्पताल में अगर चढ़ावा नहीं चढ़ाया गया तो, मरीजों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया जाता है. इसका उदाहरण मंगलवार को देखने को मिला.
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सदर अस्पताल है या कसाई खाना !
मधेपुरा: अगर आप सदर अस्पताल इलाज कराने जा रहे है तो, जरा संभल के जाये, यहां मरीजों को नाली के बगल में बिना चादर के बेड पर इलाज किया जाता है, हो सकता है कि नाला के गंदगी के कारण बीमारी ठीक होने की जगह नासूर न बन जाये. पूरे सदर अस्पताल में गंदगी का […]
मधेपुरा: अगर आप सदर अस्पताल इलाज कराने जा रहे है तो, जरा संभल के जाये, यहां मरीजों को नाली के बगल में बिना चादर के बेड पर इलाज किया जाता है, हो सकता है कि नाला के गंदगी के कारण बीमारी ठीक होने की जगह नासूर न बन जाये. पूरे सदर अस्पताल में गंदगी का आलम व्याप्त है.
जब गरीब टोला की जय प्रभा देवी छाती में दर्द से कराह रही थी और उसे देखने वाला कोई नहीं था. जय प्रभा को दर्द से कहराने के लिए इसलिए छोड़ दिया गया था कि वह चढ़ावा चढ़ाने में असमर्थ थी. वहीं गरीब टोला की जय माला देवी की बीपी बढ़ जाने के कारण शरीर काम नहीं कर रहा था. वह जब सदर अस्पताल इलाज कराने पहुंची तो वहां अजीबोगरीब स्थिति उत्पन्न हो गयी. शरीर से लाचार जयमाला बेसुध हो कर आकस्मिक विभाग के सामने गिर पड़ी, लेकिन उसे उठाने के लिए कोई स्वास्थ्य कर्मी आगे नहीं आया.
वहां मौजूद अन्य रोगी के परिजन जयमाला को किसी तरह उठाया और स्वास्थ्य कर्मियों से इलाज करने की गुहार लगायी. मरीज के परिजनों का गुहार तो सुन लिया गया, लेकिन जयमाला को नाला के बगल में बिना चादर के बेड पर लिटा कर इलाज शुरू किया गया. काफी देर के बाद डॉ संतोष ने जांच कर जयमाला को दवाई दी.वहीं हाल जयप्रभा का भी देखा गया, यह सिर्फ एक जयमाला व जयप्रभा की बात नहीं है. सदर अस्पताल में प्रतिदिन मरीजों का आर्थिक, शारीरिक व मानसिक रूप से शोषण किया जाना आम बात है. इस कुव्यवस्था को दूर करने की बजाय अस्पताल प्रबंधक इसे बढ़ावा देने में लगी है. हालांकि डीएम गोपाल मीणा अस्पताल के खामियों को दूर करने के लिए लगातार प्रयासरत दिखे है, लेकिन बीते वर्षो में शायद ही डीएम की नजर सदर अस्पताल के बदतर स्वास्थ्य व्यवस्था की तरफ इनायत हुई है.
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