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तेरा दर्द न जाने कोय: कभी वाहन, तो कभी चालक की कमी से जूझती है मधेपुरा पुलिस

आशीष, मधेपुरा : पिछले कई वर्षों से जिला पुलिस को पर्याप्त संख्या में वाहन न होने के कारण हर रोज परेशानी का सामना करना पड़ता है. खासकर ठंड के महीने में कोहरे के बीच रात्री गश्ती के समय अग्निपरीक्षा के समान होती है. गाड़ी चलते चलते कब बंद हो जाय उसका कोई भरोसा नहीं. पुलिस […]

आशीष, मधेपुरा : पिछले कई वर्षों से जिला पुलिस को पर्याप्त संख्या में वाहन न होने के कारण हर रोज परेशानी का सामना करना पड़ता है. खासकर ठंड के महीने में कोहरे के बीच रात्री गश्ती के समय अग्निपरीक्षा के समान होती है. गाड़ी चलते चलते कब बंद हो जाय उसका कोई भरोसा नहीं. पुलिस प्रशासन संसाधन व ड्राइवर की कमी से जूझती रहती है. सदर थाना में पुलिस पेट्रोलिंग के नाम पर पर्याप्त संख्या में गाड़िया नहीं हैं. जो हैं, वे भी दुरुस्त नहीं हैं. ज्ञात हो कि सदर थाना में कुल दो गाड़ियां उपलब्ध है.

जिसमें एक गश्ती से लौट के आती है तो दुसरी गाड़ी गश्ती के लिए निकलती है. स्थिती यह है कि अगर दोनों में से कोई एक भी गाड़ी गश्ती के लिए निकली हुई है और इसी दौरान शहर में कोई घटना घटित हो जाए अथवा कहीं छापेमारी के लिए पुलिस को जाना हो तो गश्ती पर निकली गाड़ी को बुलाना पड़ता है.
कमोबेश यही हाल सभी थाना की है. ज्ञात हो कि ठंड के समय में जिले में आपराधिक गतिविधियां बढ़ जाती है. पेट्रोलिंग के समय पुलिस गाड़ी सड़कों पर हांफती नजर आती है. इससे अपराधी वारदात को अंजाम देकर आसानी से भाग जाते है.
दो चालक के भरोसे है सदर थाना : सदर थाना में परिचालित होने वाली दो वाहनों के लिए दो चालक प्रतिनियुक्त है. ऐसे में अगर कोई एक ड्राइवर कभी अगर छुट्ठी पर चला जाता है या किसी कारणवश नहीं आ पाता है तो एक ही गाड़ी व ड्राइवर पर गश्ती के साथ-साथ छापेमारी का भी प्रभार आ जाता है. इस बाबत चालक ने बताया कि कई बार अधिकारियों से ड्राइवर की संख्या बढ़ाने की मांग की गयी है, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.
ठीक से नहीं हो रही है मरम्मत : ज्यादातर गाड़ियों की हालत मरम्मत के बिना जर्जर है. लचर व्यवस्था की वजह से पुलिसिंग के दौरान जर्जर जीप ही परेशानी का सबब बन जाती है. गाड़ियों की टायर पूरी तरह घिस गयी है. कभी भी पंक्चर हो जाती है. इसके अलावा बैठने के लिए सीट भी माकूल नहीं है.
तंग सड़कों के अंदर नहीं जा पाती पुलिस
पुलिस के लिए घने कोहरे के बीच जर्जर जीप से चोरों पर लगाम लगाना बड़ी चुनौती है. कोहरा छाते ही चोर अपनी मंडली के साथ गली व संकीर्ण रास्तों में बनी दुकानों पर आसानी से हाथ साफ कर फरार हो जाते हैं. वहीं पुलिस जर्जर जीप लेकर शहर की तंग सड़कों में जाने की जहमत नहीं उठा पाती है. मुख्य मार्ग से ही खानापूर्ति कर लौट जाती है.
63 वाहन के लिए 45 चालक
जिले में सभी थानों को मिलाकर 63 गाड़ियां है, जिसमें छोटे वाहन के साथ बस व ट्रक भी शामिल है. 51 वाहनों पर 30 ड्राइवर व 15 बिहार होम गार्ड तैनात है. ज्ञात हो कि बीते वर्ष 10 गाड़ियों की निलामी की गयी थी. जिसमें सदर थाना का भी एक वाहन शामिल था. इस बाबत अधिकारियों ने कहा कि गाड़ियों की कमी को लेकर परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
उन्होंने बताया कि वरीय अधिकारियों को समस्या से कई बार अवगत करवाया गया है. कई बार वाहन व ड्राइवर की मांग की गयी है, लेकिन अभी तक एक भी गाड़ी उपलब्ध नहीं करायी गयी है. बीते 13 फरवरी को भी बिहार पुलिस महानिदेशक कार्यालय को पत्र भेजा गया है.

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