मधेपुरा : सुरक्षित सफर करना चाहते है तो एनएच 107 का सफर आपके लिए भरोसेमंद नहीं है. एनएच पर ड्राइविंग करना यानी ऐसे पर सफर करना है, जहां एक जगह मौत तो दूसरी तरफ खाई जैसे हालात बन गयी है. दरअसल कोसी के इलाके में कुछ ऐसी सड़कें हैं, जहां ड्राइविंग करना कोई बच्चों का खेल नहीं है, क्योंकि मधेपुरा से सहरसा तक जाने वाली इस एनएच पर हर पल मौत के साथ खेलना पड़ता है.
Advertisement
जर्जर एनएच 107 पर मुश्किल सफर की सजा
मधेपुरा : सुरक्षित सफर करना चाहते है तो एनएच 107 का सफर आपके लिए भरोसेमंद नहीं है. एनएच पर ड्राइविंग करना यानी ऐसे पर सफर करना है, जहां एक जगह मौत तो दूसरी तरफ खाई जैसे हालात बन गयी है. दरअसल कोसी के इलाके में कुछ ऐसी सड़कें हैं, जहां ड्राइविंग करना कोई बच्चों का […]
इसके बावजूद लोगों का आना-जाना बना रहता है. राहगीरों के समक्ष भी आवागमन की मजबूरी बनी हुई है. एनएच 107 अब नाम मात्र की रह गयी है. अधिकांश जगहों पर टूट गयी है. खासकर चकला व मिठाई में स्थिति विकराल हो गयी है. एनएच का मेटेरियल डस्ट अब वाहन हादसे की वजह बनने लगी है. बाइक से गिरने की स्थिति में दूसरे वाहन की चपेट में आने का खतरा हमेशा बना रहता है.
कोसी इलाके में लाइफ लाइन बन चुकी एनएच 107 की बदहाली से स्थानीय लोगों का रोजाना सामना होता है.
हालांकि बेहतर एनएच कनेक्टिविटी के दावे सरकार और प्रशासन दोनों ही कर रही है, लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर ही है. प्रमंडलीय मुख्यालय ही नहीं नेपाल जाने का यही मार्ग है. लोग इसी मार्ग से आते जाते हैं, लेकिन यह डगर कठनाई भरा है. रात में इस रास्ते से आना जाना और ज्यादा मुश्किल हो जाता है. मधेपुरा से होते हुए सहरसा तक जाने वाला मार्ग वर्तमान समय में अपना अस्तित्व खो रहा है.
जर्जर एनएच ऐसी कि जिस पर राहगीरों को सफर करना मुश्किल हो जा रहा है. जिन्हें प्रतिदिन इसी मार्ग पर आवागमन करना है, उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. एनएच कई जगहों पर लोक निर्माण विभाग के तहत भी आती है. अभी मरम्मत करने का जिम्मा भी इसी विभाग को दिया गया है. लगभग चार वर्ष पहले एनएच का निर्माण हुआ था, लेकिन मरम्मत के अभाव में अब सड़क बदहाली की कगार पर पहुंच गई है. एनएच में अनगिनत गड्ढे तथा कहीं-कहीं गड्ढे दुर्घटना को भी दावत देते हैं. यही नहीं कुछ जगहों पर मार्ग पूरी तरह अपना अस्तित्व खो चुका है.
Advertisement