मधेपुरा : मुद्रा प्रबंधन की जिम्मेदारी उठाने वाले बैंक इन दिनों सिक्कों के प्रबंधन में फेल नजर आ रहे है. नोटबंदी के दौरान आरबीआइ के खजाने से निकले करोड़ों रुपये के सिक्के अब खासकर आम आदमी ही नहीं भगवान के लिए भी बोझ बन गये हैं. जिले के सिंहेश्वर स्थित बाबा मंदिर के तिजोरी में लगभग दस लाख रुपये से अधिक के सिक्के डंप है.
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भगवान के लिए भी बोझ बन गये सिक्के बाबा सिंहेश्वर के पास दस लाख डंप
मधेपुरा : मुद्रा प्रबंधन की जिम्मेदारी उठाने वाले बैंक इन दिनों सिक्कों के प्रबंधन में फेल नजर आ रहे है. नोटबंदी के दौरान आरबीआइ के खजाने से निकले करोड़ों रुपये के सिक्के अब खासकर आम आदमी ही नहीं भगवान के लिए भी बोझ बन गये हैं. जिले के सिंहेश्वर स्थित बाबा मंदिर के तिजोरी में […]
जानकारी के अनुसार नोटबंदी के बाद बाबा मंदिर में बीस लाख से अधिक के सिक्के डंप हो गये थे, जिसके बाद मंदिर प्रबंधन द्वारा पंजाब नेशनल बैंक में खाता खोल लगभग दस लाख रुपये से अधिक के सिक्के जमा किये गये. मंदिर के लेखापाल मनोज कुमार ने बताया कि उसके बाद भी कई किश्तों में सिक्के बैंक में जमा किये गये.
सावन के बाद फिर जमा हैं सिक्के: मंदिर के लेखापाल ने बताया कि सावन माह में आने वाले ज्यादातर श्रद्धालु सिक्के ही बाबा को चढ़ावा में अर्पण करते है. फिलवक्त मंदिर में दस लाख के करीब सिक्के जमा है.
बैंक द्वारा अभी सिक्का लेने से मना कर दिया गया है. बैंक के अधिकारियों का कहना है कि पहले लिये गये सिक्के खंपाने के बाद ही मंदिर से सिक्के लिये जायेंगे.
एक दूसरे को टाल रहे है लोग: बैंकों के करेंसी चेस्ट में सिक्के रखने की जगह नहीं बची है और बैंकों ने सरकारी विभागों की तरफ से जमा होने वाली रकम में सिक्के लेना कम कर दिया है. इसके चलते विभाग आम जनता से सिक्के नहीं ले रहे हैं. बैंक बड़े व्यापारियों से भी सिक्के नहीं ले रहे, इसलिए बड़े व्यापारी छोटे व्यापारियों से सिक्के नहीं ले रहे और इसका असर बाजार में दिख रहा है.
सिक्कों के बोझ तले दबे हैं छोटे कारोबारी: बाजार में सिक्के डंप होने से कारोबार को झटका लग रहा है. किराना बाजार में होलसेल का काम करने वाले व्यापारियों के पास एक से दो लाख रुपये तक के सिक्के डंप हैं तो फुटकर सामान के थोक विक्रेता के पास 50-60 हजार रुपये तक डंप है. सेल्समैन के पास भी सिक्के हैं और वह दुकानदार से सिक्के नहीं ले रहे है.
बाजार में डंप पड़े हैं लाखों के सिक्के, कोई लेने को तैयार नहीं
बैंक द्वारा प्रत्येक खाताधारक से प्रतिदिन अन्य रकम के साथ एक हजार रुपये के सिक्के लेने का प्रावधान है. ऐसे में खासकर सिंहेश्वर स्थित दुकानदार ज्यादा परेशान है. दुकानदार रमेश ने बताया कि मंदिर के आसपास पचास से अधिक कम पूंजी वाले फुटकर व स्थायी दुकानदार है. इन लोगों के पास सावन के माह में रोजाना की बिक्री में दो हजार से अधिक के सिक्के जमा हुए है.
सावन माह का कुल हिसाब देखे तो लगभग साठ हजार के सिक्के एक दुकानदार के पास जमा हुए है. जिसमें बैंक या अन्य माध्यम से बमुश्किल 40 हजार के सिक्के खर्च किये गये है. वर्तमान में भी दन दुकानदारों के पास लगभग दो लाख के सिक्के उपलब्ध है.
पान मसाला पर प्रतिबंध के बाद थम गयी खनक
गत पांच दिनों से बाजार में बिक रहे पान मसाला पर प्रतिबंध के बाद भी सिक्के की खनक मंद पड़ गयी है. पहले गुटखा खरीद बिक्री में ग्राहक व दुकानदार के बीच सिक्के की लेनदेन भी होती थी. नोटबंदी के बाद से ही लोगों में सिक्का आदान प्रदान की लत लग गयी थी.
उस दौरान कैश की किल्लत को देखते हुए बैंक द्वारा भी सिक्के का पूरा भुगतान जनता को किया गया था. उस समय पैसों की कमी से जूझ रही जनता और व्यापारियों ने सिक्कों को भी हाथोंहाथ लिया था. अब यही सिक्के जनता का सिरदर्द बन गये हैं.
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