मधेपुरा : असुविधाओं के जंजाल में फंसा दौराम मधेपुरा रेलवे स्टेशन की बदहाली स्थिति जस की तस बनी हुई है. फिलहाल इसके सुधार को लेकर रेलवे का कोई साफ रूख भी देखने को नहीं मिल रही है. हर रोज एक नई समस्या उभर कर सामने आती है. जिनका न तो निदान निकलता है, न ही कोई कवायद ही रेलवे की तरफ से यात्री सुविधा में सुधार के लिए की जाती है. कर्मियों की उदासीनता, पीने के लिए स्वच्छ पेयजल का अभाव व स्टेशन परिसर के अंदर गंदगी का अंबार लगा रहना भी रेलवे को फिसड्डी साबित कर रहा है. इसके अलावा बिजली नहीं रहने पर स्टेशन पर ट्रेन की आवाजाही को लेकर होने वाली उद्घोषणा भी बंद कर दी जाती है.
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पावर कट होने पर नहीं होती है उद्घोषणा, रात में चलती है रेलवे की जेनेरेटर
मधेपुरा : असुविधाओं के जंजाल में फंसा दौराम मधेपुरा रेलवे स्टेशन की बदहाली स्थिति जस की तस बनी हुई है. फिलहाल इसके सुधार को लेकर रेलवे का कोई साफ रूख भी देखने को नहीं मिल रही है. हर रोज एक नई समस्या उभर कर सामने आती है. जिनका न तो निदान निकलता है, न ही […]
हालांकि रेलवे के पास जेनेरेटर की सुविधा भी उपलब्ध है, लेकिन सूर्यास्त से पहले उसे संचालित करने की अनुमति मुख्यालय से नहीं दी गयी है. रेल मंडल की इस दोहरी नीति का खामियाजा स्थानीय यात्री को उठानी पड़ रही है. दिन के समय विद्युत आपूर्ति बाधित रहने पर जेनेरेटर चलाने की अनुमति लेने के लिए स्थानीय अधिकारियों द्वारा मंडल कार्यालय से कई बार पत्राचार भी की गयी है. फिलवक्त पावर कट के दौरान स्टेशन पर उद्घोषणा बंद ही रहती है.
पूछताछ काउंटर पर लगी रहती है भीड़:
बिजली नहीं रहने के कारण दिन में गाड़ियों के आने जाने की सूचना जो कि ध्वनि प्रचारक यंत्र के माध्यम से पहुंचायी जाती है. वह नहीं पहुंच पाती हैं. इसके कारण गाड़ियों के आने के बाद पूछताछ काउंटर पर लोगों का जमावड़ा लग जाता है. खासकर जब एक साथ दो गाड़ियां स्टेशन पर आकर रूकती तब यात्रियों के बीच भगदड़़ मच जाती है. यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. स्टेशन के कर्मचारी भी इस बात को लेकर परेशान रहते हैं की सूचना किस तरह यात्रियों तक पहुंचाया जाए.
लाइन नहीं तो पंखे भी बंद रहते
गर्मी में यात्रा कर रहे यात्रियों को स्टेशन पर बैठकर अपनी गाड़ी की प्रतीक्षा करना किसी सजा से कम नहीं है. बिजली नहीं रहने पर इस भीषण गर्मी में भी लोगों को पंखा की सुविधा नहीं मिल पाती है और लोग पसीने से तरबतर रहते हैं. स्थिति इस कदर बनी रही तो आने वाले समय में मधेपुरा स्टेशन पर सुविधा बढ़ोतरी की मांग को लेकर जनाक्रोश भी भड़क सकता है.
आमदनी रुपया लेकिन खर्च चवन्नी भी नहीं
मुख्यालय स्थित दौरम मधेपुरा स्टेशन प्रतिदिन लगभग लाख से डेढ़ लाख के बीच की आमदनी रेलवे को देती है. इसके बावजूद दौरम मधेपुरा की प्रति रेलवे का यह रवैया बेहद चिंताजनक व निंदनीय है. यात्रा कर रही महिला यात्री रेखा देवी ने बताया कि हम लोग पढ़े लिखे नहीं हैं. कौन सी गाड़ी कहां जायेगी इसकी जानकारी हमें उद्घोषणा से ही चलती है, लेकिन जब इस बात की घोषणा नहीं होती है तो बहुत असमंजस वाली स्थिति हमारे सामने उत्पन्न हो जाती है.
हमें पता ही नहीं चल पाता कि कौन सी गाड़ी पर हमें चढ़ना है. कई बार तो इस चक्कर में गाड़ी छूट भी जाती है. कई बार हम इधर पूछताछ काउंटर पर कतार में लगकर गाड़ी के बारे में पता कर रहे होते हैं और उधर गाड़ी खुल जाती है.
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