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लोकसभा में गूंजा समान काम के लिए समान वेतन का मामला

उच्च न्यायालय के आदेश को भी दरकिनार कर रही है बिहार सरकार : सांसद मधेपुरा : समान काम के लिए समान वेतन को लेकर मंगलवार को सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने लोकसभा में नियम 377 के तहत मामला उठाया और पुरजोर तरीके से समान वेतन की वकालत करते हुए कहा कि नियोजित व […]

उच्च न्यायालय के आदेश को भी दरकिनार कर रही है बिहार सरकार : सांसद

मधेपुरा : समान काम के लिए समान वेतन को लेकर मंगलवार को सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने लोकसभा में नियम 377 के तहत मामला उठाया और पुरजोर तरीके से समान वेतन की वकालत करते हुए कहा कि नियोजित व संविदाकर्मी नियमित से अधिक कार्य करते हैं , लेकिन उन्हें कम वेतन देना न केवल अमानवीय है बल्कि समानता के सिद्धांत के विरूद्ध है. सांसद ने आसन का ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा कि मैं बिहार में नियोजित व संविदा पर कार्य कर रहे कर्मियों की समस्या के बारे में इस सदन को अवगत कराना चाहता हूं. वर्तमान में बिहार में करीब 12 लाख लोग संविदा व नियोजन पर कार्य कर रहे हैं. इन नियोजित व संविदाकर्मियों से कार्य नियमित कर्मियों से ज्यादा कराया जाता है व वेतन कई गुना कम दिया जाता है.
संविदा कर्मी व िनयोजित शिक्षकों को िकया जाय नियमित : इस संबंध में पटना उच्च न्यायालय ने बिहार के नियोजित शिक्षकों के एक मामले में एक फैसला दिया कि समान काम के लिए समान वेतन की तर्ज पर नियोजित को भी नियमित शिक्षक के बराबर वेतन दिया जाय, लेकिन बिहार सरकार के द्वारा पटना उच्च न्यायालय के आदेश को दरकिनार करते हुए यह कह समान वेतन का फॉर्मूला लागू नहीं होता. इन शिक्षकों की नियुक्ति स्थानीय शासी निकाय (नियोजन इकाई) यानी कि पंचायत, जिला परिषद, नगर परिषद व नगर निगम के द्वारा की गयी है, जो कि उच्च न्यायालय के आदेश के उल्लंघन के साथ-साथ मानवता के भी खिलाफ है.
अत: मैं इस सदन के माध्यम से सरकार से मांग करता हूं कि उच्च न्यायालय के आदेश का सम्मान करते हुये व मानवता के आधार पर करीब छह लाख नियोजित शिक्षकों के साथ-साथ नियोजन व संविदा पर कार्य कर रहे करीब 12 लाख सभी कर्मियों की सेवा का नियमित किया जाय.

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