मधेपुरा : महिला मोर्चा मधेपुरा के जिलाध्यक्ष मीनाक्षी बरनवाल अन्य पदाधिकारियों के साथ बुधवार को सदर अस्पताल पहुंच कर पीड़िता से मिल कर पूरी जानकारी ली. ललिता ने कहा कि गर्भावस्था में प्रसव के लिए पटना के शितला नर्सिंग होम गयी थी. प्रथम बार में उसके पति से इलाज के लिए पांच हजार रुपये की मांग की गयी जिसे उसके पति ने दे दिया. उसके बाद कहा गया कि 40 हजार रुपया तुरंत जमा करो नहीं तो बच्चा नहीं बचेगा, इतने सारे पैसे जमा कराने में असमर्थ रही.
नर्सिंग होम की अत्याचारी, शोषणात्मक व्यवस्था की वह शिकार हो गयी. वहां वह अपना बच्चा भी खो दिया, लेकिन उन 15 दिनों को याद करते हुए ललिता रो पड़ी. इस दौरान खो चुके बच्चे को याद करके पूरा परिवार रो पड़ता है. साथ ही ललिता ने कहा कि नर्सिंग होम के कर्मी उसे गंदी नजरों से घूरते थे लिहाजा वह अकेली वहां एक अंधेरी कोठरी में डरी सहमी कई रातें ईश्वर की याद करके गुजारी और पूरी तरह निराश हो चुकी थी. शायद ही अब अपने घर वह पहुंच पायेगी साथ ही परिवार भी बिखर गया. पति बाहर भीख मांग कर खाता था व बेटा इलाज के पैसे चुकाने के लिए सबके आगे झोली फैला रहा था.