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सात वर्ष से कार्यालय ही बनकर रह गया है ओबीसी छात्रावास

मधेपुरा : नाम ओबीसी छात्रावास हालत यह कि कभी छात्रों को हॉस्टल रहने के लिए मुहैया तक न हो सका. सात वर्ष बीत गये भवन एक बार फिर जर्जर स्थिति में है. इन सात वर्षों में कई विभाग के कार्यालय ही यहां चलते रहे. अब भी शिक्षा विभाग का कार्यालय बदस्तूर चल रहा है. यह […]

मधेपुरा : नाम ओबीसी छात्रावास हालत यह कि कभी छात्रों को हॉस्टल रहने के लिए मुहैया तक न हो सका. सात वर्ष बीत गये भवन एक बार फिर जर्जर स्थिति में है. इन सात वर्षों में कई विभाग के कार्यालय ही यहां चलते रहे. अब भी शिक्षा विभाग का कार्यालय बदस्तूर चल रहा है. यह अलग बात है कि कल्याण विभाग ने कई महीने पहले शिक्षा विभाग को भवन खाली करने का नोटिस दिया.

छात्र ढूंढते रहे ठिकाना, चलता रहा कार्यालय. एक करोड़ दस लाख की लागत से शिवनंदन प्रसाद मंडल इंटर स्तरीय विद्यालय के जमीन पर ओबीसी छात्रावास का निर्माण वर्ष 2009/10 में किया गया, लेकिन इस भवन में सात वर्ष बीत जाने के बाद भी किसी भी छात्र को रहने के लिए कमरा मयस्सर नहीं हो सका. यहां कई कार्यालय चले और अंतत: वर्तमान में गत तीन वर्षों से शिक्षा विभाग का कार्यालय चल रहा है. डीइओ, डीपीओ माध्याह्न भोजन समेत कई पदाधिकारी का कार्यालय यहां कार्यरत है.

भवन के बनते ही कभी जनगणना तो कभी मेडिकल कॉलेज का कार्यालय चलता रहा. अपने मूल उद्देश्य से भटका हुआ यह छात्रावास वर्तमान में भी शिक्षा विभाग का कार्यालय ही बन कर रह गया है. गौरतलब है कि ओबीसी छात्रावास के अतिक्रमित रहने से छात्र पठन-पाठन के लिए यहां वहां भटक रहे है. कोई लॉज तो कोई हॉस्टल को अपना बसेरा बना लिया है. इसके लिए उन्हें आर्थिक व मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

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