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पुनर्वास व पुननिर्माण कार्य अधूरा, दोषियों पर कार्रवाई नहीं

कुसहा त्रासदी की नौंवीं बरसी पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित मधेपुरा : कोसी नव निर्माण मंच, इप्टा, कला सांस्कृतिक संगम व प्रबुद्धजन के संयुक्त तत्वावधान में भूपेंद्र चौक (कॉलेज चौक) पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित कर कुसहा त्रासदी में मृतकों व इस वर्ष आयी बाढ़ के मृतकों के प्रति श्रद्धांजलि दी. इस दौरान अधूरे पुनर्वास कार्यों के […]

कुसहा त्रासदी की नौंवीं बरसी पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित

मधेपुरा : कोसी नव निर्माण मंच, इप्टा, कला सांस्कृतिक संगम व प्रबुद्धजन के संयुक्त तत्वावधान में भूपेंद्र चौक (कॉलेज चौक) पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित कर कुसहा त्रासदी में मृतकों व इस वर्ष आयी बाढ़ के मृतकों के प्रति श्रद्धांजलि दी. इस दौरान अधूरे पुनर्वास कार्यों के लिए सरकार को जिम्मेवार ठहराया.कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि नेताओं व अफसरशाही में इक्छा शक्ति की कमी, निकम्मेपन व पीड़ितों के प्रति अमानवीय रवैया के करण विश्व बैंक के 220 मिलियन डॉलर के प्रथम किस्त कर्ज व 250 मिलियन डॉलर के दूसरे किस्त कर्ज के बाद भी पुनर्वास व पुननिर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया है.
जिसका उदाहरण शहर के समीप के डायवर्सन पर पुल, मीरगंज के कटिंग समेत अनेक स्थानों पर समुचित जल निकासी की संचना नहीं बना पाना हैं. इन्ही अधूरे कार्यों से अभी मधेपुरा से मुरलीगंज व उदाकिशुनगंज समेत जिले के अधिकांश भागों से संपर्क टूट गया. यही हाल अनेक गांवों की हैं. 2008 की त्रासदी में ध्वस्त 96 हजार लोगों के घरों के पुनर्वास निर्माण के बदले 24 हजार घर बनाकर परियोजना बंद कर दिया गया.
आज भी अनेक 2008 की बाढ़ के मृतकों के परिजन जिन्हें अनुग्रह अनुदान नहीं मिल पाया हैं. आस लगाये बैठे है. पिछली त्रासदियों से सरकार व प्रशासन कोई सीख लेकर बाढ़ प्रबंधन के क्षेत्र में ठोस कार्य नहीं की है, जो कार्य विश्व बैंक के कर्ज की राशि से करना था. यहां तक कि आपदा प्रबंधन विभाग के मानक संचालन प्रक्रिया ( एसओपी) के तहत जो आपदा पूर्व तैयारियों करनी थी उनमें भी कोताही बरती गयी हैं. हद तो यह हो गयी है कि दो रोज पहले अररिया में बाढ़ में मिली लाशों को प्रशासन ने नदी में चुपके से बहा दिया गया, जबकि आपदा के समय सरकारी तय मानकों में उन्हें दाह संस्कार या दफनाने का प्रावधान है. कोसी जांच आयोग की न्यायमूर्ति बलिया कमीशन की लचर रिपोर्ट भी कुसहा त्रासदी को जल संसाधन विभाग की विफलता करार दी थी और घटना के लिए पूरे विभाग को जिम्मेवार ठहराया था. सरकार ने उस रिपोर्ट पर कार्रवाई के लिए उसी दोषी विभाग की दो कमेटियों का गठन कर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है.
पीड़ितों के साथ होता रहा है अन्याय
डाॅ भूपेंद्र नारायण मधेपुरी ने कहा कि कोसी त्रासदी के पीड़ितों के साथ अन्याय हमेशा होता रहा है, जो अभी भी जारी है. डाॅ आलोक कुमार ने त्रासदी पीड़ितों की दशा के साथ ही इस वर्ष कुमारखंड समेत जिले में आयी बाढ़ की स्थिति विस्तार से बतायी. डॉ सिद्धेश्वर कश्यप ने कहा कि त्रासदी के बाद ही नहीं हमे जगना चाहिए, बल्कि हमेशा लोगों के अधिकारों के लिए संघर्ष जारी रखना चाहिए. इप्टा के अध्यक्ष डाॅ नरेश कुमार ने कहा कि आपदाओं के लिए जागरूकता जरूरी है साथ ही त्रासदियों के पीड़ितों के लिए संघर्ष जीने की लड़ाई के समान है. कार्यक्रम में डाॅ अरुण कुमार, बाल्मीकि यादव, आनंद कुमार, सुभाष चंद्र, विकास कुमार, प्रशांत, अवधेश, संदीप यादव, सारंग तनय, रूपेश मार्क्स, हिमांशु राज, प्रकाश, भास्कर आदि ने बाते रखी. कार्यक्रम का संचालन इप्टा के तुरबसु व कोशी नव निर्माण मंच के महेंद्र यादव व धन्यवाद ज्ञापन कला संस्कृति संगम के रोशन ने किया.

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