जल संसाधन विभाग का कारनामा, 1982 में ही जिले के गम्हरिया प्रखंड के बभनी में नहर से जल नि:स्सरण योजना के तहत निर्माण के लिए किया था जमीन का अधिग्रहण
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35 साल पहले ली थी जमीन अब तक नहीं मिला मुआवजा
जल संसाधन विभाग का कारनामा, 1982 में ही जिले के गम्हरिया प्रखंड के बभनी में नहर से जल नि:स्सरण योजना के तहत निर्माण के लिए किया था जमीन का अधिग्रहण मधेपुरा : किसान पर चौतरफा मार पड़ती है. कभी मौसम की तो कभी बिचौलियों की और कभी सरकारी विभाग मेहरबान हो जाता है. जिले के […]
मधेपुरा : किसान पर चौतरफा मार पड़ती है. कभी मौसम की तो कभी बिचौलियों की और कभी सरकारी विभाग मेहरबान हो जाता है. जिले के गम्हरिया प्रखंड बभनी में 1982 में जल संसाधन विभाग की जल निस्सरण योजना के लिये किसानों की जमीन का अधिग्रहण तो किया गया लेकिन मुआवजा के लिये वे आज तक हर दरवाजा खटखटाते रहे हैं. इसी साल लोक शिकायत निवारण ने इस मामले में किसान का दावा सही पाते हुए संबंधित विभाग को जमीन का मुआवजा इसी वर्ष 31 मार्च तक करने का आदेश दिया था. इसके बावजूद किसान को अब तक मुआवजा नहीं दिया जा रहा है. हाल यह है कि विभाग के वरीय अधिकारी ने मुआवजा देने का आदेश दे दिया है लेकिन उनके कनिष्ठ अधिकारी मुआवजे की इस प्रक्रिया को जान बूझ कर उलझाये हुए हैं.
वर्ष 1982 में ही हुआ था जमीन का अधिग्रहण : वर्ष 1982 में मधेपुरा जिले के गम्हरिया प्रखंड स्थित बभनी निवासी अश्विनी कुमार ठाकुर की चार एकड़ 47 डिसमिल जमीन जल संसाधन विभाग की पणहर जल निकासी योजना के लिये विशेष भू अर्जन कोसी योजना ने अधिग्रहित किया था. इतनी लंबी अवधि के बाद भी उनकी जमीन का मुआवजा उन्हें नहीं दिया गया है. काफी दौड़ धूप करने के बाद भी काम न होता देख अश्वनी ने जल संसाधन विभाग के लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के यहां परिवाद दायर कर दिया. यहां से वे द्वितीय अपील में जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव के यहां गये. प्रधान सचिव ने 27 दिसंबर 2016 को पत्र द्वारा अश्वनी कुमार ठाकुर द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य की जांच के लिये इस मामला को जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी सहरसा के पास भेज दिया.
विगत में हुई कार्यवाही का किया अवलोकन : सुनवायी के दौरान लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने पाया कि विशेष भू अर्जन द्वारा चार एकड़ 47 डिसमिल जमीन का अधिग्रहण किया गया था. लोक निवारण द्वारा 23 नवंबर 2016 को दिये आदेश में 15 दिनों के भीतर जल निस्सरण प्रमंडल राघोपुर के कार्यपालक अभियंता को भुगतान करने का आदेश दिया गया था. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. वहीं द्वितीय अपील की सुनवायी में पाया गया कि परिवादी ने चार फोटोग्राफ्स उपलबध कराये थे. इससे यह तो पता चलता है कि किसी संरचना का निर्माण हुआ है लेकिन यह तो स्थलीय जांच के बाद ही पता चलेगा कि यह संरचना अधिग्रहित जमीन पर है या जल संसाधन विभाग की जमीन पर.
परिवादी पाया गया सत्य
कार्यपालक अभियंता जल नि:स्सरण प्रमंडल राघोपुर ने जानकारी दी कि 16 फरवरी 2016 को ही जिला शिकायत निवारण कोषांग पदाधिकारी एवं जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव के दिशा निर्देश के आलोक में चार सदस्यीय दल गठित कर स्थलीय जांच करायी गयी थी. इस दल में सहायक अभियंता नागेंद्र कुमार, कनीय अभियंता कुमार अमृत राज, कनीय अभियंता अशोक कुमार चौधरी आिद शामिल थे. रिपोर्ट में स्पष्ट उक्त जमीन पर ही संरचना के होने की पुष्टि की.
भुगतान का तय समय 31 मार्च बीता
अपने निर्णय में लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने जो कहा वह अक्षरश: इस प्रकार है ‘अवलोकन के बाद स्पष्ट होता है कि परिवादी का दावा सही एवं सत्य है. परिवादी एवं लोक प्राधिकार को सुना. परिवादी के शिकायत सत्य होने के कारण इस परिवाद को स्वीकृत करते हुए निष्पादित किया जाता है. कार्यपालक अभियंता, जल नि:स्सरण प्रमंडल राघोपुर, सुपौल को निदेश दिया जाता है कि वे परिवादी को मुआवजा की राशि का भुगतान अविलंब नियमानुसार करने हेतु ठोस कदम उठाते हुए अधियाचना एवं राशि लोक प्राधिकार विशेष भू अर्जन पदाधिकारी सहरसा को उपलब्ध करायेंगे . इस कार्य हेतु कार्यपालक अभियंता को 31 मार्च 2017 तक का समय दिया जाता है. इस विनिश्चय की एक प्रति प्रपत्र -03 के साथ परिवादी, लोक प्राधिकार एवं कार्यपालक अभियंता जल नि:स्सरण प्रमंडल राघोपुर, सुपौल को भेज दी जाये.’ इस आदेश के बाद किसान अश्विनी कुमार ठाकुर को अब तक मुआवजे की प्रतीक्षा है जो खत्म होने का नाम नहीं ले रही.
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