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केलवा जे फरेले घवद से…सुगा मंडराए

चैती छठ . श्रद्धालुओं ने उदीयमान सूर्य को दिया अर्घ्य जिले भर में चैती छठ महापर्व का हुआ समापन गम्हरिया : प्रखंड मुख्यालय में लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व चैती छठ सोमवार की सुबह उदीयमान भगवान भास्कर को अर्घ्य के साथ ही संपन्न हो गया. चार दिवसीय इस अनुष्ठान के अंतिम दिन सूर्य को […]

चैती छठ . श्रद्धालुओं ने उदीयमान सूर्य को दिया अर्घ्य

जिले भर में चैती छठ महापर्व का हुआ समापन
गम्हरिया : प्रखंड मुख्यालय में लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व चैती छठ सोमवार की सुबह उदीयमान भगवान भास्कर को अर्घ्य के साथ ही संपन्न हो गया. चार दिवसीय इस अनुष्ठान के अंतिम दिन सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रतियों ने अन्न जल ग्रहण कर पारण किया. वहीं छठ घाट पर महिला पुरूष बच्चें बुजुर्ग श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. सभी ने भगवान भाष्कर की पुजा अर्चना किया एवं भगवान भास्कर को नमन करने के लिए पहुंची महिलायें भगवान सूर्य का नमन कर अपने परिवार के लिये सुख समृद्धि प्राप्ति की कामना की. और साथ ही इस पर्व पर छठ घाटों पर सूर्य की उपासना करते हुए लगातार घंटो छठ मइया का गीत गाती रही. बच्चें पटाखे फोरने में पुरी तरह से मसगुल दिखे जबकि युवा वर्ग के लोग वर्तियों की मदद करते दिखे.
गम्हरिया प्रतिनिधि के अनुसार केलवा जे फरेले घवद से उहे पर सुगा मंड़राए… मारबउ रे सुगवा धनुष से… कांच ही बांस के बहंगिया बहंगी लचकत जाए… होख न सुरुज देव सहइया बहंगी घाट पहुंचाए… गम्हरिया के घाट पर हमहूं अरघिया देबई हे छठी मइया… केलवा के पात पर उगेलन सुरुजदेव… आस्था की गहराइयों से निकले इन्हीं गीतों के साथ लोक आस्था का महापर्व छठ मनाया गया. सूर्योपासना का यह चार दिवसीय महापर्व नहाए-खाए से शुरू होता है. अगले दिन व्रती दिनभर उपवास में रहकर गोधुली वेला में खरना करते हैं. उसके अगले दिन अस्ताचलगामी सूर्य और फिर अगली सुबह उगते सूरज को अर्घ्य प्रदान करने के साथ यह महापर्व संपन्न हुआ.

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