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चारा-पानी की तलाश में पशुपालक कर रहे पलायन

चारा-पानी की तलाश में पशुपालक कर रहे पलायन गरमी शुरू होते ही जिले के पहाड़ी क्षेत्रों एवं हलसी,रामगढ़चौक आदि प्रखंड में होती है पशु चारा की किल्लत हर वर्ष गरमी शुरू होते ही पशुपालक चारा-पानी की तलाश में पशुओं के साथ करते हैं पलायन ढाई से तीन माह के प्रवास के बाद मानसून आने पर […]

चारा-पानी की तलाश में पशुपालक कर रहे पलायन गरमी शुरू होते ही जिले के पहाड़ी क्षेत्रों एवं हलसी,रामगढ़चौक आदि प्रखंड में होती है पशु चारा की किल्लत हर वर्ष गरमी शुरू होते ही पशुपालक चारा-पानी की तलाश में पशुओं के साथ करते हैं पलायन ढाई से तीन माह के प्रवास के बाद मानसून आने पर पशुओं को लेकर घर लौटते हैं पशुपालक प्रतिनिधि4लखीसरायगरमी शुरू होते ही भूमिगत जलस्तर में गिरावट के कारण जिले भर में जल संकट गहराने लगा है. पहाड़ी इलाके में स्थिति और भी गंभीर होने लगी है. पशुपालकों के समक्ष पानी के अलावे चारा का संकट उत्पन्न हो रहा है. इससे पशुपालक अपने मवेशी के साथ चारा व पानी की खोज में अन्यत्र पलायन कर रहे हैं. चानन के पशुपालक किशोर यादव, भकुटी यादव आदि ने बताया कि हर साल उन्हें गरमी शुरू होते ही मवेशी के साथ पलायन करना पड़ता है. चारा-पानी की खोज में मीलों दूर भटकना पड़ता है. अक्सर पशुपालक खगडि़या से आगे फरकिया में मवेशी के साथ डेरा डालते हैं, क्योंकि गरमी के मौसम में इन इलाकों में पशुओं के लिए चारा-पानी उपलब्ध हो जाता है. मानसून आने के बाद ही वे मवेशी के साथ घर लौट पाते हैं. हलसी के पशुपालक अवधेश राम के मुताबिक उन्हें लगभग ढाई या तीन महीना पशुओं के चारा-पानी के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है, जहां चारा व पानी उपलब्ध होता है, वहीं महीनों मवेशी के साथ डेरा डाल देते हैं. अक्सर पचास से सौ किलोमीटर तक चारा-पानी की तलाश में भटकना पड़ता है. पशुपालकों के मुताबिक इस वर्ष गरमी के तेवर तल्ख हैं. सभी जगहों पर भूमिगत जल स्तर काफी नीचे जा रहा है. ऐसे में परेशानी और बढ़ने की संभावना है. पिपरीया प्रखंड के रामचंद्रपुर पंचायत के पशुपालक सह किसान बुलबुल कुमार सिंह, सुनील कुमार सिंह, दारा सिंह, परशुराम सिंह, अजय सिंह सहित दर्जनों किसानों ने बताया कि इस बार बारिश नहीं होने के कारण नदी च ढाब में पानी बिल्कुल नहीं है. वहीं बारिश नहीं होने से जंगल में भी घास एवं हरियाली उपलब्ध नहीं हो पा रही है. अभी-अभी फसलों की कटाई प्रारंभ हुई है. इस कारण भूसा भी तैयार नहीं हो पाया है. इसलिए हम लोग अपने पशुओं को बेगूसराय जिले के सिंहमा दियारा भेज देते हैं और वहां से फिर जिस-जिस जगह पानी की उपलब्धता एवं हरियाली प्रचुर मात्रा में रहती है. वहीं पर लगभग एक महीना तक रह कर अपने पशुओं की जान बचाते हैं . कजरा प्रतिनिधि के अनुसार उरैन पंचायत के बसुहार, नवकाडीह, पुनाडीह, चंपानगर आदि गांव के पशुपालक क्षेत्र में सूखे तालाब, झुलसे घास व पौधे के किल्लत से गरमी की शुरूआत में ही अपने अपने मवेशियों को लेकर खगडि़या जिले के फरकिया गंगा तट पर जाने को मजबूर हो जाते हैं. पशुपालक मिट्ठु यादव, चंद्रशंखर यादव, अनिक यादव आदि ने बताया कि वर्षों से इस क्षेत्र के पशुपालक चारे एवं पानी के अभाव के चलते गरमी में अपने पशु के साथ पलायन करने को मजबूर हैं. वहीं वर्षा ऋतु के प्रारंभ होने पर वापस अपने क्षेत्र चले आते हैं. पशुपालकों के पलायन से क्षेत्र में दूध की होती है किल्लतकजरा. पहाड़ी इलाके होने के कारण क्षेत्र में भूगर्भ जल स्त्रोत की कमी रहती है. गरमी में जल स्तर काफी नीचे चला जाता है. इससे कमोवेश पूरे कजरा क्षेत्र में विशेष कर पहाड़ से सटे श्रीकिशुन पंचायत के गांव रामतली गंज, शिवडीह, पुनाडीह व उरैन पंचायत के साथ ही बुधौली बनकर पंचायतों के दर्जनों गांव में पानी की कमी के कारण मवेशी पालक अपने दुधारू पशु को लेकर गंगा के पार चले जाते हैं, जहां उन्हें पशुओं के लिए चारा व पानी आसानी से मिलता है. इसके कारण आसपास के बाजार-हाट में दूध की किल्लत हो जाती है. शादी ब्याह का मौसम होने के कारण उपभोक्ताओं को मिठाई, दही व अन्य प्रकार के दूध से बने व्यंजनों के लिए भटकना पड़ता है. ग्रामीण त्रिलोकी यादव, गणेश यादव, वकील यादव, सुरेश यादव ने बताया कि उक्त समस्या के समाधान के लिए सरकार से क्षेत्रों में समुचित पेयजल की व्यवस्था करने को मांग की जाती रही है, पर विभागीय उदासीनता अथवा जन प्रतिनिधियों की शिथिलता के कारण अभी तक इसकी सही व्यवस्था नहीं की गयी है. इसके कारण आज तक समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है. सरकारी भवन में प्रत्याशी के बैठक करने का विरोध लखीसराय. जिले के बड़हिया प्रखंड अंतर्गत एनएच 80 के किनारे स्थित गंगासराय पंचायत के मतदाताओं ने प्रखंड विकास पदाधिकारी सह निर्वाची पदाधिकारी को आवेदन दिया है. इसमें गंगासराय पंचायत भवन में अवैध रूप से एक जिप व मुखिया प्रत्याशी द्वारा बैठक करने की बात कही गयी है. इसके साथ ही आरोप लगाया गया है कि उक्त सरकारी भवन के बगल में ही प्रत्याशी के द्वारा दलित, महादलित, कमजोर एवं राह चलते वोटरों को सड़क पर से बुला कर डराया-धमकाया जा रहा है. इससे कमजोर वर्ग के मतदाता भयभीत हैं. आवेदन देने वाले मनोज कुमार, कुमुद रंजन कुमार, अभिषेक कुमार, मुरारी सिंह, श्याम सुंदर सिंह आदि ने बताया कि आवेदन जिला निर्वाची पदाधिकारी, अनुमंडल पदाधिकारी, राज्य चुनाव आयोग व पुलिस अधीक्षक को भी दिया गया है. श्रद्धालुओं ने लगाये यज्ञ मंडप के फेरेफोटो संख्या-04चित्र परिचय: यज्ञ में फेरे लगाते श्रद्धालुकजरा. श्री श्री 108 श्री ऊॅ सत्य सांई यज्ञ के दौरान मदनपुर में गुरुवार अहले सुबह क्षेत्र के नरोत्तमपुर,वासुदेवपुर, सहमालपुर, खैरा, महसोनी, अरमा, वंशीपुर आदि दर्जनों गांव के श्रद्धालुओं ने यज्ञ मंडप में हवन कर फेरे लगाये. श्रद्धालु रविकांत, अजीत, मंजू देवी आदि ने बताया कि हवन के धुएं के साथ यज्ञ मंडप में फेरा लगाने से जहां मन को शांति मिलती है. वहीं भक्ति भाव की जागृत होने से मानवता निखरती है. इसके पूर्व बुधवार की देर संध्या स्थानीय साईं सदस्य रामाश्रय सिंह ने सांई बाबा की जीवनी व उपदेशों पर चर्चा करते हुए उपस्थित श्रद्धालुओं को बताया कि सांई बाबा के बताये मार्ग पर चलने से जहां इस जन्म में सुख व शांति मिलती है. वहीं सच्चे दिल से की गयी भक्ति से मन वांछित फलों की प्राप्ति होती है. मोक्ष मिलता है. उन्होंने जहां क्षेत्र में मंदिर निर्माण कराने को लेकर साई भक्तों को धन्यवाद दिया, वहीं आने वाले समय में अन्य बड़े आयोजन उक्त साई मंदिर में होने की संभावना व्यक्त की.

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