एक सप्ताह पूर्व मकर संक्रांति बीतने के बाद लोग कहते थे कि ठंड तो अब गयी. इस साल पहले जैसी ठंड नहीं लगी. गली-मुहल्ले के मौसम विज्ञानी अपनी-अपनी राय देने से नहीं चूकते थे, लेकिन पिछले पांच-छह दिनों में मौसम ने ऐसा पाला बदला कि सारी भविष्यवाणी धरी की धरी रह गयी.
लखीसराय : जिले में भयानक ठंड की वजह से गरीबों की परेशानी बढ़ गयी. उनके पास न तन छिपाने के लिये पूरे कपड़े हैं और न ही सिर छिपाने के लिये छत. जैसे-तैसे दिन बीता रात काट रहे वे लोग इस बात से खुश थे कि चलो इस बार ठंड से जान बची, पर निगोड़ी ठंड ने उनका पीछा नहीं छोड़ा. हालांकि शहर में नप प्रशासन व विभिन्न स्वंयसेवी संस्था के द्वारा कंबल का वितरण किये जाने से गरीबों को आंशिक राहत जरूर मिली लेकिन अलाव की व्यवस्था नहीं होने से सर्द रात गुजारना मुश्किल हो रहा है.
इन दिनों लखीसराय सहित पूरा सूबा ठंड की चपेट में है. बर्फीली हवा व न्यूनतम और अधिकतम तापमान में अंतर कम होने की वजह से कनकनी बढ़ गयी है. शनिवार की शाम से पारा में लगातार गिरावट के कारण इलाका भयानक ठंड की चपेट में रहा. रविवार को सुबह हल्का कोहरा छाया रहा. लेकिन दिन चढ़ने के साथ ही लोगों को धूप नसीब हुआ. सूरज सारा दिन बादलों की ओट में आंख मिचौली करता रहा. धूप में तल्खी नहीं होने की वजह से लोगों को राहत नहीं मिल पा रही थी. शहर का न्यूनतम तापमान सात डिग्री व अधिकतम तापमान 20 डिग्री रिकार्ड किया गया.
ब्लोअर व हीटर दे रही राहत
ठंड से बचने के लिये ज्यादातर लोग हीटर व ब्लोअर के पास बैठ कर समय बीता रहे हैं. कई लोग अपनी घरों के पास अलाव जलाकर ठंड से बचने की जुगत करते देखे जा रहे हैं. प्रशासनिक स्तर पर अलाव की व्यवस्था नहीं होने से लोगों की परेशानी बनी हुई है.
बच्चे व बुजुर्ग का बचाव जरूरी
डॉक्टर्स का मानना है कि मौसम बदलने का असर सबसे अधिक बच्चों व बुजुर्ग पर होता है. क्योंकि उनकी बॉडी घटते व बढ़ते तापमान को अचानक एडजस्ट नहीं कर पाती. उन्हें ऐसे मौसम में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए.