लखीसराय : आजादी के 68 वर्ष बीत जाने के बाद भी पाली पंचायत के आधा दर्जन गांव सड़क, बिजली, पानी, स्वास्थ्य, उच्च शिक्षा जैसे बुनियादी व्यवस्था से कोसों दूर है. जिससे इन गांव के लोग आज भी आदम युग में जीवन व्यतीत कर रहे हैं.
जिले के बड़हिया प्रखंड के टाल क्षेत्र के पाली पंचायत में पाली, सरौरा, कोठवा, महरामचक, नथनपुर गांव के लोगों को प्रखंड मुख्यालय तक सड़क नहीं है. जिसके परिणाम स्वरूप बरसात के दिनों में प्रखंड मुख्यालय स्टेशन, बाजार आदि सड़क के अभाव में पगडंडियों के सहारे आना-जाना होता है.
वहीं इन गांवों में बिजली नहीं पहुंचने के कारण लोग लालटेन के सहारे रहते हैं. स्वास्थ्य सेवा के अभाव में इन गांव के लोग झोला छाप चिकित्सक के सहारे अपना इलाज कराते हैं.
इलाज के दौरान कई लोगों की मौत भी हो गयी है. कॉलेज के अभाव में टाल क्षेत्र के लोग मैट्रिक तक ही पढ़ाई कर पाते हैं. इस संबंध में देवेंद्र महतो ने बताया कि सामाजिक न्याय की सरकार बिहार में 25 वर्ष रहने के बावजूद भी टाल क्षेत्र के दर्जनों गांव आज भी बिजली, सड़क, स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. चुनाव के समय सभी प्रत्याशी लुभावने आश्वासन देकर हम लोगों से वोट ले लेते हैं. लेकिन विजय होने के बाद इस क्षेत्र की मूलभूत सुविधा पर कोई ध्यान नहीं देते हैं.
जिसके कारण आज भी हम लोग बरसात के दिनों में पगडंडियों के सहारे प्रखंड मुख्यालय, स्टेशन, बाजार आते जाते हैं. पूर्व मुखिया रामाश्रय महतो ने कहा कि उन्होंने टाल के विकास के लिए कई बार आवाज उठाया. संघर्ष भी किया लेकिन निष्कर्ष ढाक के तीन पात वाली निकली. जिसके कारण आज 21 वीं सदी में भारत के पहुंचने के बाद भी हम लोग आदम युग में जीवन व्यतीत कर रहे हैं. मौसम की बेरूखी से किसान हताश फोटो संख्या:14चित्र परिचय-खेत में सूख रही धान की फसल .
लखीसरायएक तरफ बढ़ती मंहगाई, दूसरी तरफ प्रकृति की बेरूखी इस दो तरफी मार से किसानों की स्थिति तार-तार होकर बदहाल हो गयी है. मौसम की बेरूखी से 1020 हेक्टेयर भूमि में लगी भदई फसल मक्का, सोयाबीन व 35 हजार हेक्टेयर भूमि में लगी धान की फसल भी बर्बाद हो रही है.
अब 1700 हेक्टेयर भूमि में लगनेवाली रबी फसल चना, मसूर, खेसारी व राय की बुआई पर ग्रहण लगा हुआ है. हालांकि टाल के एक हिस्से में जहां खेतों में नमी थी वहां किसानों द्वारा रबी की बुआई की गयी है. शेष तीन हिस्सों में बुआई प्रभावित हो रही है. जिला सूखाड़ की चपेट में हैं. किसान त्राहिमाम कर रहे हैं. जिन किसानों ने मोदी जी को केंद्र में व नीतीश को राज्य में सिंहासन दी, उनकी चिंता नहीं कर अपनी कुर्सी बचाने व पाने के लिए चुनाव में मारामारी कर रहे हैं.
लेकिन उनको किसानों की ऐसी स्थिति में चिंता नहीं सता रही है. जिससे किसानों में गहरा आक्रोश व्याप्त है. किसान प्रहृलाद सिंह, अनिल सिंह ने बताया कि मौसम की बेरूखी से भदई फसल चौपट हो गयी है. अब रबी फसल पर ग्रहण लगा हुआ है.
टाल क्षेत्र के किसान मनोहर सिंह, राजीव कुमार, अशोक पासवान आदि ने बताया कि खेत की नमी नहीं रहने से व हथिया नक्षत्र की बारिश नहीं होने से तीन हिस्सों में रबी फसल की बुआई प्रभावित हो रही है. हालांकि किसान खेतों की पटवन कर बुआई कर रहे हैं. फिर भी जन प्रतिनिधि को इसके प्रति कोई चिंता नहीं है. धान उत्पादक किसान अजय कुमार, मनोज कुमार ने बताया कि मौसम की बेरूखी से धान की फसल बर्बाद हो गयी है. जिससे किसानों की स्थिति दयनीय हो गयी है.
अगर बारिश नहीं हुई तो किसान आत्महत्या करने पर मजबूर होंगे. बड़हिया रेलवे स्टेशन पर पूछताछ के लिए नहीं उठाया जाता है टेलीफोन प्रतिनिधि, लखीसरायप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अच्छे दिन के तहत रेलवे में व्यापक सुधार की बात कही थी, जिससे यात्रियों की सुविधा में बढ़ोतरी होगी. लेकिन दानापुर डिवीजन के लखीसराय-मोकामा रेलखंड के बीच बड़हिया स्टेशन पर पूछताछ कार्यालय में स्टाफ बोर्ड पर गाड़ी की सूचना देकर गायब रहते हैं.
इसके अलावे यात्रियों को दूरभाष पर ट्रेन की सूचना नहीं दे पाते हैं. यह हाल बड़हिया का ही नहीं बल्कि लखीसराय व किऊल स्टेशन पर भी है. जहां दूरभाष पर यात्रियों को ट्रेन के आने व विलंब से चलने की सूचना नहीं मिल पाती है. जिससे यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. हाल तो यह है कि ट्रेन विलंब होने पर यात्रियों को तीन से चार घंटा स्टेशन पर गुजारना पड़ता है. बड़हिया के स्टेशन प्रबंधक एके सिंह ने बताया कि पूछताछ काउंटर पर रेलवे के स्टाफ नहीं होते हैं. ये ठेकेदार के स्टाफ होते हैं. उन पर रेलवे का कोई अधिकार नहीं है.