लखीसराय : भीषण गर्मी के बीच सोमवार को दूज की चांद का दीदार होते ही इस्लाम धर्म का पाक व बरकत का माह रमजान मंगलवार से पूरी अकीदत के साथ शुरू हो गया. इस असवर पर मुसलमान भाइयों की ओर से मंगलवार की फजीर से नमाज एवं सेहरी के बाद पूरी साफ-सफाई और ईमान के साथ रोजा रखने की रस्मों का आगाज किया जायेगा.
माह-ए-रमजान का आगाज होते ही मुसलमान धर्म मानने वाले लोगों की ओर से अपने-अपने घरों, मस्जिद, मजार, खानकाहों व अन्य जियारत के स्थानों की दिन भर साफ- सफाई में मस्तगूल दिखे.
इसके बाद रमजान के मौके पर रोजा रखने के लिए अपनी-अपनी लियाकत के अनुसार मगरीव से पहले इफ्तार एवं फजर से पहले सेहरी करने के लिए फल, दूध, चना, गलूकोज व अन्य फलाहार और खाना खाने के सामानों को बाजार से खरीदने में व्यस्त रहे. विदित हो कि इस रमजान महीने में कुल चार जुमा पड़ेंगे.
इस बीच जिले के सभी मस्जिदों, खानकाह व अपने-अपने घरों में मंगलवार से तरावीह का दौर भी शुरू हो जायेगा. रमजान का आखिरी जुमा जिसे जमातुल विदा आगामी 31 मई को किया जायेगा.
माह-ए-रमजान मुबारक को तीन हिस्सों में बांटा गया है. पहला हिस्सा 1 से 10 रोजे तक जिसमें अल्लाह अपने बंदों पर रहमत की बरसात करते हैं. दूसरे दस दिन मगफिरत अर्थात माफीनामा का होता है. जबकि अंतिम दस दिनों के रोजे जहन्नुम अर्थात नर्क की आग से बचाने का करार दिया जाता है. इस दौरान सूरज उगने से पहले सहरी एवं सूरज डूबने से पहले इफ्तार की रस्म अदायगी करते हैं.
इस दौरान अक्सर रोजेदारों की ओर से प्रतिदिन नियत के साथ पांचों वक्त का नमाज, तरावीह व कुरान-ए-पाक की तकरीर कर अल्लाह से बंदों की अमन-चैन व खुशहाली की दुआऐं व फरियाद करते हैं. इसके पूर्व रमजान की चांद की दीदार के लिए सोमवार को भारी संख्या में मुसलमान धर्म मानने वाले लोगों की ओर से शाम ढलते ही आसमान की ओर झलक पाने की होड़ लगी रही.
अक्सर लोग अपने-अपने घरों के छत पर चढ़कर चांद के दीदार होने का इंतजार करते दिखे. बाद में लोगों ने एक दूसरे को रमजान की मुबारकबाद भी दी. इस दौरान रमजान का पहला जुमा 10 मई, दूसरा 17 मई ,तीसरा 24 मई एवं आखिरी रोजा जमातुल विदा 31 मई को मनाया जायेगा. इसके बाद ईद का त्योहार मनाया जायेगा. गौरतलब हो कि माह-ए-रमजान के दौरान सभी रोजेदारों को कुरान के नियत के अनुसार पांच नियमों का सख्ती के साथ पालन करना पड़ता है. इनमें पांचों वक्त नमाज पढ़ना, झूठ नहीं बोलना, किसी की बदनामी नहीं करना, किसी की पीछे बुराई नहीं करना एवं झूठी कसमें नहीं खाना और लालच नहीं करने के नियमें आदि प्रमुख हैं.