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जर्जर भवन में बिजली के बिना होता है काम

श्रम विभाग का कार्यालय समस्या ग्रसित निबंधन अभियान को लेकर भी परेशानी लखीसराय : समाहरणालय परिसर के पुराने अनुमंडल भवन में श्रम संसाधन विभाग का जिलास्तरीय कार्यालय कार्यरत है. बिजली ,पानी की समस्या के साथ साथ जर्जर भवन को लेकर कार्य संपादन में परेशानी होती है. वैसे एक छोटा कमरा के स्थान पर उसी बिल्डिंग […]

श्रम विभाग का कार्यालय समस्या ग्रसित
निबंधन अभियान को लेकर भी परेशानी
लखीसराय : समाहरणालय परिसर के पुराने अनुमंडल भवन में श्रम संसाधन विभाग का जिलास्तरीय कार्यालय कार्यरत है. बिजली ,पानी की समस्या के साथ साथ जर्जर भवन को लेकर कार्य संपादन में परेशानी होती है. वैसे एक छोटा कमरा के स्थान पर उसी बिल्डिंग में एक और कमरा की व्यवस्था की गयी है.
इन समस्याओं के बीच विभागीय निर्देशानुसार कार्य संपादन को लेकर विभागीय कर्मचारी अधिकारी सक्रिय है. वैसे इनका प्राय:सभी काम दूसरे विभाग के मदद से ही संभव होता है. इन दिनों लखीसराय जिला में कामगार मजदूरों के श्रम विभाग में निबंधन को लेकर अभियान चलाया जा रहा है. इसके लिये जागरूक करने का कार्य किया गया. जिसमें श्रम संसाधन मंत्री विजय कुमार सिन्हा की भी सहभागिता दिखी.
पिछले छह नवंबर से 22 नवंबर के बीच चले निबंधन अभियान मे लगभग 4235 आवेदन कामगार मजदूरों से ऑन स्पॉट जाकर जमा लिया गया. जबकि पूर्व से मात्र छह हजार मजदूर ही श्रम विभाग में निबंधित है.इस तरह एक विशेष अभियान के बावजूद निबंधन युक्त मजदूरों से अधिक अनिबंधित मजदूर लखीसराय जिला में मौजूद है. संसाधन के अभाव में श्रम विभाग मनरेगा योजना से सहारा ले रही है. 22 नवंबर के उपरांत पंचायत रोजगार सेवकों के माध्यम से जॉब कार्डधारी मजदूरों को निबंधित करने का कार्य किया जा रहा है.
प्रशिक्षण की व्यवस्था को लेकर ऊहापोह
श्रम संसाधन विभाग द्वारा कामगार मजदूरों को प्रशिक्षण के उपरांत उनके प्रशिक्षण के अनुसार औजार खरीद के लिये 15 हजार रुपये अनुदान देने की व्यवस्था है. लेकिन इसके लिये अभी तक प्रशिक्षण देने की कोई व्यवस्था नहीं किया गया है. पदाधिकारियों के अनुसार उद्योग विभाग से समन्वय बना कर प्रशिक्षण दिया जायेगा. इसके लिये विभाग द्वारा पहल की जा रही है. इसके अलावे साइकिल के लिये एक वर्ष सदस्यता पूरी होने, मकान मरम्मति के लिये मजदूर के नाम पर केवाला रसीद की अनिवार्यता रखी गयी है. पूर्व में एकत्रित रूप से 15 हजार रुपये अनुदान की व्यवस्था थी. जिसे बढ़ा कर तीन भागों में 40 हजार किया गया है.

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