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बड़े शहरों से ला रहे ला-इलाज बीमारी

लखीसराय : जानलेवा बीमारी के रूप में चिन्हित एड्स / एचआईवी संक्रमित रोगियों की संख्या लखीसराय जिला में दिनों दिन बढ़ती जा रही है. जो काफी चिंताजनक विषय है. इस पर अंकुश लगाने के उपाय पर लगातार विचार विमर्श चल रहा है. प्रचार प्रसार, जागरूकता शिविर के बावजूद इसका फैलाव होता जा रहा है. इसके […]

लखीसराय : जानलेवा बीमारी के रूप में चिन्हित एड्स / एचआईवी संक्रमित रोगियों की संख्या लखीसराय जिला में दिनों दिन बढ़ती जा रही है. जो काफी चिंताजनक विषय है. इस पर अंकुश लगाने के उपाय पर लगातार विचार विमर्श चल रहा है. प्रचार प्रसार, जागरूकता शिविर के बावजूद इसका फैलाव होता जा रहा है.

इसके पीछे बड़े शहरों, अन्य राज्यों में जाकर काम करने वाले लोगों द्वारा एहतियात सतर्कता न बरतना बताया जा रहा है. लखीसराय जिले में सदर अस्पताल के अतिरिक्त बड़हिया, हलसी, सूर्यगढ़ा, पिपरिया और रामगढ़ चौक पीएचसी में जिला एड्स बचाव एवं नियंत्रण इकाई द्वारा इसकी जांच की जाती है. सदर अस्पताल में जांच के दौरान सिर्फ अगस्त माह में तीन रिजल्ट पॉजिटिव पाये गये हैं. जबकि 2509 मरीजों को स्वैच्छिक परामर्श एवं जांच केंद्र में इस पर जांच किया गया .

अप्रैल 2017 से अगस्त माह तक में कुल 9 एचआईवी पॉजिटिव रिजल्ट मिले हैं. जिसमें 8 सदर अस्पताल में जांच के दौरान तो एक बड़हिया पीएचसी में पाया गया. जिला एड्स नियंत्रण कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार इन दिनों लखीसराय जिला में 552 एड्स / एचआईवी संक्रमित लोग चिन्हित किये जा चुके हैं. जिसमें दो जेल के विचाराधीन कैदी भी शामिल हैं. जिला आईटीसीटी के पर्यवेक्षक जितेंद्र लाल ने बताया कि प्रवासी लोगों की संख्या इस जिले में काफी तादाद में है.

एचआईवी पॉजिटिव पाये गये लोगों में अधिकांश महानगरों में जाकर रोजी रोजगार करने वाले शामिल हैं. रोजगार का संकट, कृषि में हो रहे लगातार नुकसान के कारण इस जिले से लोग रोजी रोटी की जुगाड़ में अन्य प्रदेश जाने को विवश है. ऐसे में इस जानलेवा बीमारी के चपेट में आने से इनकी सतर्कता ही रोक लगा सकती है.

बोले अधिकारी
आइसीटीसी के जिला कार्यक्रम प्रबंधक अरविंद कुमार राय ने बताया कि अगस्त माह में तीन रोगी जांच में पॉजिटिव पाये गये थे. सितंबर माह में किसी भी रोगी में यह लक्षण नहीं मिला है. चिन्हित रोगियों को नियमानुसार आवश्यक दवा, सलाह के साथ साथ इनके आश्रितों को अन्य सुविधा दी जा रही है. इसके संक्रमण से बचाव का एक मात्र साधन सतर्कता ही है. इसके लिये लगातार जागरुकता कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं. इसके बावजूद पिछले वर्ष 534 से इस वर्ष संक्रमित रोगियों की संख्या 552 पर पहुंच चुकी है.

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