किशनगंज : सूर्यदेव के मकर राशि में प्रवेश करने के दिन पवित्र नदियों में स्नान एवं दान की परंपरा का निर्वाह ग्रामीण क्षेत्रों आज भी उल्लास के साथ किया जाता है. शनिवार को मकर संक्रांति के अवसर पर सुबह से ही लोगों ने स्थानीय प्राचीन नदियों महानंदा, कनकई, रतुआ एवं बूढ़ी कनकई में स्नान कर गरीबों को अन्न, राशि एवं वस्त्र दान किया.
इस संबंध में जानकार जगन्नाथ पंडित का कहना है कि सूर्य के उत्तरायण होने बाद से ही शुभ लग्न की शुरुआत हो जाती है. इसलिए भी लोगों को मकर संक्रांति का इंतजार रहता है. वहीं तीन माह से चले आ रहे भीषण ठंड से मकर संक्राति के दिन से सूर्य की किरणों में आने वाली तल्खी के कारण रहत मिलती है. मकर संक्रांति के बाद पच्चीस दिनों में ठंड की पुन: विदाई हो जाती है. इस कारण से भी लोगों को मकर संक्रांति का इंतजार रहता है. जबकि बिहार से बाहर पतंग उड़ा कर बहने वाले पछुआ पवन का स्वागत किया जाता है.