शराबबंदी . बंगाल व नेपाल से चुपके-चुपके देर रात बिहार की सीमा में प्रवेश करते हैं तस्कर
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जिले में शराब का धंधा नहीं हुआ मंदा
शराबबंदी . बंगाल व नेपाल से चुपके-चुपके देर रात बिहार की सीमा में प्रवेश करते हैं तस्कर सूबे में पूर्ण शराबबंदी है यह हर शख्स जानता है कि नयी उत्पाद अधिनियम के तहत बड़े ही सख्त कानून बने हैं हर किसी को पता है. इसके बावजूद पूर्ण शराब बंदी के बाद भी शराब का धंधा […]
सूबे में पूर्ण शराबबंदी है यह हर शख्स जानता है कि नयी उत्पाद अधिनियम के तहत बड़े ही सख्त कानून बने हैं हर किसी को पता है. इसके बावजूद पूर्ण शराब बंदी के बाद भी शराब का धंधा मंदा नहीं है.
किशनगंज : राज्य में शराबबंदी के बाद शराब की कई बड़ी खेप पकड़ में आयी है, जिसे पश्चिम बंगाल और नेपाल से लाया गया था. अब तक की सबसे बड़ी खेप पश्चिम बंगाल से लायी गयी है. जिले में अब तक दिघलबैंक, टेढ़ागाछ, फतेहपुर, गलगलिया, किशनगंज में शराब की बड़ी खेप पकड़ी गयी है. दिघलबैंक, फतेहपुर और टेढ़ागाछ में जो शराब की खेप पकड़ी गयी थी, वह नेपाल की बनी थी. गलगिलया, ठाकुरगंज और किशनगंज में पकड़ायी शराब पश्चिम बंगाल से लायी गयी थी.
शराब का धंधा जिले में मंदा नहीं है. अंतर सिर्फ इतना है कि पहले पीने व पिलाने वाले शान से काउंटर पर जाकर खरीदते थे. अब शान से पश्चिम बंगाल और नेपाल में पीते है और चुपके-चुपके देर रात बिहार की सीमा में प्रवेश कर जाते हैं. बंदी के बाद भी शराब का जिले में कैसे चल रहा है ये तो हुक्मराना और कारोबारी ही बेहतर जानते होंगे. सरकार के खाते में शराब का टैक्स भले ही बंद हो गया लेकिन अवैध कारोबारी की जेब पहले से कई गुणा ज्यादा गरम हो रही है. शराब का कारोबार साइकिल, मोटर साइिकल, निजी कार, लग्जरी वाहनों के अलावा बालू व गिट्टी से लदे ट्रकों पर छिपा कर खूब होता है. होम डिलेवरी की भी व्यवस्था है. शराब का कारोबार अब दिन की जगह रात के अंधेर में ज्यादा होती है.
हर चीज में ढूंढ रहे नशा
शराब के आदी हो चुके लोग इन दिनों हर चीज में नशा ढूंढ रहे हैं. किशनगंज में गांजा की कई बड़ी खेप पकड़ायी है. यहां तक की पंक्चर बनाने वाला सॉल्यूशन, डेंडराइट का भी उपयोग नशा के तौर पर किया जा रहा है. कई दवाओं का भी उपयोग नशे के लिए किया जाने लगा है. लिंरेक्स ने तो कोरेक्स को भी पीछे छोड़ दिया है. इसके अलावा कंपोज, फोर्टवीन की सूई भी ले रहे हैं. अल्प्राजोलेम के कंपोजीशन की भी दवा उपयोग में लायी जा रही है. शराब माफियाओं की उपस्थिति का संकेत : मुख्यमंत्री की निश्चय यात्रा के बाद भी जिले के विभिन्न थाना पदाधिकारियों द्वारा भारी मात्रा में शराबी जब्त किया गया है, जिसमें किशनगंज सदर पुलिस, टेढ़ागाछ, फतेहपुर, गलगलिया, दिघलबैंक पुलिस शामिल हैं. यहां बता दें टेढ़ागाछ पुलिस ने शराब से भरे कार को भी जब्त किया था. इसके अलावा एसडीओ मो शफीक द्वारा चलाये गये बस चेकिंग अभियान ने अवैध शराब कारोबारियों की कमर ही तोड़ कर रखी दी. आखिर शराब की इतनी बड़ी खेप के पीछे कोई न कोई बड़ी हस्ती जरूर है.
सक्रिय है अंतरराज्यीय गिरोह
शराबबंदी के बाद इससे होने वाली मोटी कमायी पर शराब के अवैध धंधेबाजों के अंतरराज्यीय गिरोह सक्रिय हैं. इनका नेटवर्क नेपाल, पश्चिम बंगाल तक फैला हुआ है. इस सिंडिकेट में जिले के कुछ कारोबारी बंगाल से सटे लाइन होटलों व शराब कारोबारी से साठ-गांठ कर होम डिलेवरी करने लगे हैं. अब गिरोह के सदस्य फूंक-फूंक कर कदम उठा रहे हैं. चिह्नित ग्राहकों को ही अब सप्लाई करता है. इस गिरोह का कमाल है कि एक पड़ोसी राज्य और दूसरा पड़ोसी देश नेपाल सीमा को पार कर शराब माफिया यहां तक पहुंचाने में सफल हो रहे हैं.
रेल-बस व ट्रक बना सेफ माध्यम
शराब के अवैध कारोबारियों के लिए रेल, लंबी दूरी की बस और बालू और गिट्टे लदे ट्रक सबसे सेफ माध्यम बन गया है. ट्रेनों व बसों के जरिये तो आसपास के राज्यों से शराब पहुंच रही है. इस कारोबार में महिलाएं भी शामिल हैं. शराब पकड़ी गयी, तो लावारिस अगर सुरक्षित बच गया तो उसे निर्धारित जगह पर कैरी कर लिया जाता है.
अधिकारी मौन
शराब का अवैध कारोबार कैसे चलता है. शराब कहां से और कैसे आती है इस मुद्दे पर अधिकारी मौन हैं. उत्पाद अधीक्षक नीरज कुमार रंजन ने बताया कि लगातार छापेमारी की जा रही है और आये दिन पियक्कड़ों को जेल भेजा रहा है.
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