बेणुगढ़ गंगा-जमुनी तहजीब की है अनोखी मिसाल
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बेणुगढ़ को बनाया जाये पर्यटन हब
बेणुगढ़ गंगा-जमुनी तहजीब की है अनोखी मिसाल दोनों समुदाय के लोग एक साथ करते हैं पूजा अर्चना महाभारत काल से जुड़ा है वेणुगढ़ का अस्तित्व टेढ़ागाछ : गरीबों का दार्जिलिंग और बिहार की चेरापूंजी कहे जाने वाले किशनगंज जिले में पर्यटन के विकास की अपार संभावनाएं हैं जो विभागीय और सरकारी उदासीनता के कारण उपेक्षित […]
दोनों समुदाय के लोग एक साथ करते हैं पूजा अर्चना
महाभारत काल से जुड़ा है वेणुगढ़ का अस्तित्व
टेढ़ागाछ : गरीबों का दार्जिलिंग और बिहार की चेरापूंजी कहे जाने वाले किशनगंज जिले में पर्यटन के विकास की अपार संभावनाएं हैं जो विभागीय और सरकारी उदासीनता के कारण उपेक्षित है़ टेढ़ागाछ प्रखण्ड के डाकपोकर पंचायत स्थित बेणुगढ़ बाबा बेणु महाराज की किसी जमाने में राजधानी हुआ करती थी.
वहां रख रखाव के आभाव में जंगल झाड़ उग गये है़ कुछ लोगों ने द्वारा अतिक्रमण कर लिया गया है़ इतिहासकारों के अनुसार टेढ़ागाछ का संबंध महाभारत काल से जुड़ी है़ किदवंती कथा के अनुसार पांडव अज्ञातवास के दौरान बाबा बेणु महाराज के इसी घर में रुके थे़ वह लोग घर के पास पोखर में नहाते थे और इसी का पानी पीते और खाना बनाते थे़ पोखर और व टीले का अन्य अवशेष अभी भी मौजूद है़ यहीं से निकल कर ठाकुरगंज प्रखंड के गलगलिया स्थित नेपाल सीमा पार भद्रपुर में भीम ने कीचक वध किया था़ वहां अभी भी कीचक वध का मेला लगता है.
क्या हैं मान्यताएं
बुजुर्गों के अनुसार इस टीले में आत्माएं अदृश्य रूप से आज भी बिद्यमान है़ टीला चारों तरफ बड़े-बड़े पेंड़ से आच्छादित है़ं इस हरित क्षेत्र में प्रवेश करते ही सुख व नैसर्गिक ऊर्जा की प्राप्ति होती है़ कहा जाता है कि टीले में दो पोखर थे़ जिस पोखर में पांडव गुप्त वास के दौरान जल ग्रहण किये थे उस तलाब का पानी कभी कम नहीं होता है़ इसी तालाब को लेकर किवदंती है कि जब किसी का शादी विवाह होता था तो इस तालाब को सबसे पहले निमंत्रण देकर बरतन मांगा जाता था.
शादी के ठीक एक दिन पहले तालाब से समान ऊपर आ जाता था.
शादी खत्म होने के बाद पुनः बरतन को तालाब में लाकर रख दिया जाता था. कुछ लोगों द्वारा बरतन पोखर को वापस नहीं करने पर तालाब से बरतन मिलना बंद हो गया. दूसरी सबसे खास बात ये है कि इस तालाब में स्नान करने से चर्म रोग दूर हो जाता है. ठीक उसी के बगल में एक सूखा तलाब के नाम से जाना जाता है़ इस तालाब में वर्षा के दिनों में भी पानी नहीं भरता है.
लोग इसे दैवी चमत्कार मानते है़ इतिहास कारो का कहना है कि महाभारत काल में यहां महाराजा वेणु महाराज की राजधानी थी. वे भगवान के भक्त,दयावान व बड़े प्रतापी राजा थे़ आज भी डाकपोखर पंचायत के दर्जनों गांव में लोग छोटे-छोटे मंदिर बनाकर उन्हें ग्राम देवता के रूप में पूजते है़
सदियों से यहां बैसाखी के दिन मेला लगता है.महाराज वेणु के मंदिर में हजारों लोग मन्नते मांगते है़ मन्नते पूरी होने पर कबूतर और बकरे की बलि दी जाती है़ यह परंपरा सदियों से चली आ रही है़ परम्परा के अनुसार बारह बजे तक मुस्लिम संप्रदाय के श्रदालुओ का तांता लगा रहता है़ उसके बाद हिन्दू समुदाय के श्रद्धालु पूजा अर्चना करते है़ इस पर्यटन स्थल को विकसित करने की जरूरत : पूरे किशनगज जिले में एक भी पर्यटन स्थल नहीं है़ 2011 में मुख्य मंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि वेणुगढ़ को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जायेगा लेकिन आज तक पूरा नहीं हो सका.
क्या कहते है स्थानीय जनप्रतिनिधि
प्रमुख प्रीतिनिधि इम्तियाज़ आलम कहते है कि बेणुगढ़ का बैसाखी मेला हिंदू मुसलिम एकता का प्रतीक है़ यहां दोनों संमप्रदाय के लोग आते है. यह स्थान अपने आप में गंगा जमुनी तहजीब की मिशाल है़ यहां सभी संप्रदाय के लोग पूरी आस्था के साथ मन्नते मांगते है़ं गंगा जमुनी वाली इस विरासत को तारणहार की जरूरत है़ सरकार को ध्यान देकर इस टीले को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाय.
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