नरपतगंज : अस्पताल वाला के लापरवाही के कारण हमर घर वाला के मौत भेले. आब केना के हमर दिन कटते, बच्चा सब के पढ़ाई केना होते, केना के उ सब के पोशवे, कहते हुए उद्यानंद यादव की पत्नी राधा देवी चीत्कार मारने लगती है. अपनी मां को पिता के शव के पास बैठकर रोता देख मृतक का पुत्र अखिलेश,
पुत्री अन्नु और आशा भी चीत्कार मारने लगती है. जब अंतिम संस्कार के लिए उद्यानंद का शव आंगन से उठाया जा रहा था तो बूढ़ी मां की सूखती आंखें भी नम हो गयी. पूरा नवाबगंज जैसे शोक मना रहा था. ग्रामीण ओम प्रकाश यादव, अरविंद यादव, रंजीत यादव, रामदेव साह आदि मृतक के परिजनों को ढांढस बंधा रहे थे. मगर क्या उद्यानंद लौट कर आयेगा.