किशनगंज : चुनाव के दिन सुबह से लेकर शाम तक ऐसा लगा मानों आम जनजीवन थम सा गया हो या शहर में सार्वजनिक रूप से छुट्टी का एलान हो गया हो. शहर की सड़कें वीरान थी. दुकान व व्यापारिक प्रतिष्ठान भी नहीं खुले शहर की गलियों व सड़कों की कौन कहे एनएच 31 पर भी वाहनों की रफ्तार थम सी गयी थी. सुरक्षा की काफी चाक चौबंद व्यवस्था के बावजूद लोग किसी अनिष्ट की आशंका से सावधान नजर आ रहे थे.
कतिपय लोग राजनैतिक चर्चा व बहस से अपने आप को बचाते हुए मौन रहना ही बेहतर समझ रहे थे. है अजीब शहर की जिदंगी, न सफर रहा न कयाम है, कहीं कारोबार सी दोपहर, कहीं बदमिजाज सी शाम है… वसीर बद्र की ये गजल किशनगंज शहर की जिंदगी बयां करनेे को काफी है. पर चुनाव के दिन हालात कुछ जुदा दिखे. गांधी चौक, एनएच 31 रेलवे स्टेशन के सामने के अलावे फल चौक. शहर का मुख्य चौराहा.
वहीं चौराहा जहां रोज सुबह 7 बजते-बजते गाडि़यों की पो-पी मची होती थी, जहां पैदल राहगीरों को सरकते हुए निकल पड़ता था, जहां चौपहिए को मशक्कत के बाद राह मिलती थी- वहां आज वीरानगी है.महिला वोटरों में गजब का उत्साहकिशनगंज. विधान सभा चुनाव 2015 के मतदान के लिए बुधवार को शहर हो या ग्रमीण क्षेत्रों के मतदान केंद्रों पर पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की संख्या अधिक थी. अधिकतर मतदान केंद्रों पर महिलाओं की लंबी कतार लगी थी.
महिलाओं के बीच मतदान का यह दिन सही मायने में लोकतंत्र के महापर्व का सुखद अहसास करा गया. पुरुष मतदाताओं की भी लंबी कतारें सुबह से लेकर मतदान समाप्ति तक देखी गयी. मतदान के दौरान युवा व किशोर मतदाता अत्यधिक उत्साहित व उत्सुक दिखे.
इतना ही नहीं उम्र के अंतिम पड़ाव में पहुंच चुके वृद्ध महिला व पुरुष मतदाता भी विभिन्न मतदान केंद्रों पर देखे गये. नि:शक्त मतदाता भी अपनी शारीरिक लाचारी से जूझते हुए मतदान केंद्र तक पहुंचे. सभी मतदाताओं की राजनैतिक पसंद भले ही अलग-अलग हो किंतु वृद्ध व नि:शक्त मतदाताओं को प्राथमिकता देते व उन्हें सहयोग करते अन्य मतदाता व सुरक्षा कर्मी दिखे.