किशनगंज: शहर के सुभाषापल्ली स्थित सार्वजनिक दुर्गा मंदिर का अपना वैभवपूर्ण इतिहास रहा है. आदि काल से ऐसी मान्यता चली आ रही है कि सच्चे मन से मां के समक्ष माथा टेक, मांगने वालों की मुरादें मां अवश्य पूरी करती है. यही करण है कि यहां स्थापित की जाने वाली दुर्गा मां को लोग मन्नतों वाली मां के नाम से भी पुकारते हैं.
दशकों पूर्व देवी स्थान पर स्थित बेल वृक्ष के निकट गुजर पासवान नामक व्यक्ति द्वारा प्रतिदिन पूजा-अर्चना की जाती थी. कालांतर में उन्होंने इस स्थान पर बेदी का निर्माण किया था. बेदी को मौसम की मार से बचाने के लिए अस्थायी टीन की छत भी दी गयी थी. उनकी भक्ति भावना को देख आस पड़ोस के लोगों ने देवी को स्थायी स्थान दिलाने की दिशा में पहल की. इस क्रम में वर्ष 1950 में स्व सतीश चंद्र चंद्रा ने मंदिर निर्माण हेतु अपनी जमीन दान दे दी थी. तत्पश्चात हरिपदो सरकार, सचिन सरकार, अमरनाथ दास, डॉ बीके दास व सतीश चंद्र चंद्रा ने बेदी स्थल पर एक छोटे से मंदिर का निर्माण किया था. प्रारंभ में इस मंदिर में सिर्फ मां काली की पूजा-अर्चना की जाती थी. वर्ष 1978 में यहां भव्य पूजा पंडाल का निर्माण कर मां दुर्गा की पूजा प्रारंभ की गयी. कालांतर में जन सहयोग से मां काली के साथ-साथ शंकर भगवान व मां दुर्गा की भव्य व विशाल मंदिर का निर्माण किया गया. बांग्ला संस्कृति के अनुरूप इस दुर्गा मंदिर में षष्ठी के दिन मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है. इस दौरान मन्नतों वाली मां के समक्ष शीष झुकाने व मन्नते मांगने दूर दराज के इलाकों से भारी संख्या में भक्त आते हैं. आडंबरों से कोसों दूर सादगी पूर्ण तरीके से पूजा के दौरान मां के दर्शन को भक्त उमड़ पड़ते हैं.