इसके बाद भरत लाल अंबेदकर को बुद्धिजीवि एवं अंबेदकरवादी विचारों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए डा अम्बेदक गौरव सम्मान से डा दिलीप ने उन्हें सम्मानित किया. भरत लाल को प्रशस्ति पत्र के साथ अशोक चक्र जड़ित डॉ आंबेडकर के प्रतीक चिह्न् से नवाजा गया. इस मौके पर बतौर मुख्य अतिथि डॉ जायसवाल ने कहा कि भगवान गौतम बुद्ध शांति और अहिंसा के प्रतिपूर्ति थे. उनके द्वारा बताये मार्ग पर चलना ही मानव समाज के लिए श्रेयस्कर होगा.
शांति भाईचारा और सद्भाव के बगैर कुछ भी हासिल नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि प्रतिस्पर्धा अच्छे काम करने के लिए होना चाहिए. ताकि समाज का हर व्यक्ति उसका अनुशरण करें तभी मानव समाज एवं विश्व का कल्याण होगा. खुद में बदलाव लाकर सही रास्ते पर चल कर दूसरों को मदद करना ही बुद्ध शरण गच्छामि का मूल मंत्र है. कार्यक्रम की अध्यक्षता चिकित्सा के क्षेत्र में राष्ट्रीय पुरस्कार से पुरस्कृत एवं डा अम्बेदकर गौरव सम्मान से सम्मानित चिकित्सा पदाधिकारी डॉ देवेन्द्र कुमार ने की. मौके पर डॉ देवेंद्र कुमार, संयोजक जयनारायण भारती एवं अंबेडकर सेवा समिति दलित सेना एवं जय भारत योग सेवा ट्रस्ट के योग गुरू रविराज व सदस्य भी मौजूद थे.