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पर्यावरण देश की जान : डॉ सिन्हा

दिघलबैंक. प्रकृति के साथ एकात्म भाव ही पर्यावरण है. पर्यावरण भारतीय सांस्कृतिक का प्राण है. बीते कुछ वर्षो में पर्यावरण को भारी नुकसान हुआ है. अगर समय रहते हम सब मिल कर इस पर रोक नहीं लगायें तो आने वाली पीढ़ी के समक्ष गंभीर संकट उत्पन्न हो जायेगा. ये बातें भाजपा जैविक ऊर्जा मंच के […]

दिघलबैंक. प्रकृति के साथ एकात्म भाव ही पर्यावरण है. पर्यावरण भारतीय सांस्कृतिक का प्राण है. बीते कुछ वर्षो में पर्यावरण को भारी नुकसान हुआ है. अगर समय रहते हम सब मिल कर इस पर रोक नहीं लगायें तो आने वाली पीढ़ी के समक्ष गंभीर संकट उत्पन्न हो जायेगा.

ये बातें भाजपा जैविक ऊर्जा मंच के जिलाध्यक्ष डॉपीपी सिन्हा ने एक भेंट वार्ता में कही. श्री सिन्हा ने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं के कारण पर गहन चिंतन की आवश्यकता है. प्रकृति की सहनशीलता की भी एक सीमा होती है. विकास की जद्दोजहद में इंसान ने पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपने दायित्वों को विस्मृत सा कर दिया है.

उन्होंने मानव ने आदिमानव से महामानव बनने के क्रम में प्रकृति को सर्वाधिक क्षतिग्रस्त किया है. यह जानते हुए भी कि जिस प्राकृतिक वातावरण में वह जीवन यापन कर रहा है उसको नष्ट कर देने से सर्वाधिक नुकसान वह स्वयं का ही कर रहा है. डा सिन्हा ने बताया कि हम सबों को ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने की आवश्यकता है. जैविक खाद्य का अधिक से अधिक प्रयोग, पॉलीथीन और प्लास्टिक का उपयोग ना हो, सीएफएल और एलक्ष्डी बल्बों का ज्यादा इस्तेमाल हो और ऊर्जा का अधिकाधिक इस्तेमाल हो तथा जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण पर रोक लगा कर भी इस समस्या से निजात पाया जा सकता है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वच्छ भारत अभियान से हर नागरिक को जुड़ने की बातें कही तथा गंदगी को साफ कर एक स्वच्छ व सुंदर जिला के रूप में किशनगंज की पहचान स्थापित करने की बात कही. लगातार आने वाली प्राकृतिक आपदाओं की ओर ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा कि प्रदूषण और गंदगी भी इसका एक कारण है.

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