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अनानास की खेती का बढ़ रहा ट्रेंड, कृषि विभाग से किसानों को नहीं मिल रहा अपेक्षित सहयोग
पाठामारी :प्रखंड क्षेत्र में अनानास की खेती किसानों के लिए धीरे धीरे एक नया विकल्प बनकर उभर रहा है.अनानास की खेती में लागत के अनुपात में फल की क्वालिटी और तैयार फल का वजन उत्पादन को लिहाज से किसानों को अपनी ओर बड़ी तेजी से आकर्षित कर रहा है. हालांकि जितना व्यापक पैमाने पर इलाके […]
पाठामारी :प्रखंड क्षेत्र में अनानास की खेती किसानों के लिए धीरे धीरे एक नया विकल्प बनकर उभर रहा है.अनानास की खेती में लागत के अनुपात में फल की क्वालिटी और तैयार फल का वजन उत्पादन को लिहाज से किसानों को अपनी ओर बड़ी तेजी से आकर्षित कर रहा है. हालांकि जितना व्यापक पैमाने पर इलाके में अनानास की खेती होने लगी है, उस स्तर पर कृषि विभाग द्वारा कुछ विशेष ध्यान नहीं दिया जा रहा है.
किसानों की मानें तो अगर इस और सरकार विशेष रूप से अगर ध्यान दे तो निश्चित रूप से अनानास की खेती सीमांचल के किसानों को सशक्त बनाने के साथ-साथ इलाके की भी एक नई पहचान बनेगी. इलाके में जमीन की गुणवत्ता और मौसम के अनुसार अनानास की खेती के लिए बहुत ही अनुकूल है.
यही कारण है कि खर्च के अनुपातिक रूप में पैदावार तो अच्छी हो जाती है. लेकिन इसके बेचने के लिए स्थानीय स्तर पर सुलभ बाजार नहीं है. जिसके कारण यहां के किसानों को पश्चिम बंगाल के विधाननगर बाजार पर पूर्णता आश्रित होना पड़ता है. पश्चिम बंगाल के विधाननगर अनानास बाजार के रूप में विख्यात होने के कारण दूर शहर के व्यापारी अनानास की खरीद के लिए वहां पहुंचते हैं.
लेकिन ठाकुरगंज के किसानों को अनारस की बाजार अगर स्थानीय स्तर पर उपलब्ध करा दिया जाये, तो निश्चित रूप से यहां भी दूर शहर के व्यापारी पहुंचेंगे जिससे यहां के किसानों को अच्छा मूल्य मिल सकेगा. लेकिन अभी तक पश्चिम बंगाल के बाजार पर आश्रित रहने के कारण अच्छी उपज होने के बावजूद भी किसानों को अच्छी कीमत नहीं मिल पा रहा है.
अगर जूस की फैक्टरी लग जाये तो निश्चित रूप से संभल जायेगी किसानों की तकदीर
इसी संदर्भ में कृषक गणेश दास और रामानुज सिंह बताते हैं कि सरकार द्वारा अनानास के प्रति चारा 3 की दर से अनुदान का प्रावधान है. लेकिन यह वैसे लोगों को ही मिल सकेगा जो कृषक स्वयं की जमीन पर खेती करता हो, सरकार के ऐसे प्रावधान से हम जैसे भूमिहीन किसान जो थोड़ी बहुत जमीन लीज पर ले कर खेती करते हैं.
सरकार के अनुदान के प्रावधान के लाभ से पूरी तरह वंचित रह जाते हैं और सरकार के अनुदान योजना का पूरा लाभ जमींदारों को मिलता है. उन्होंने कहा कि अपने स्तर पर लागत कर अनानास के फल की अच्छी पैदावार तो कर लेते हैं. लेकिन स्थानीय स्तर पर बाजार नहीं होने के कारण हम उचित मूल से वंचित रह जाते हैं. पश्चिम बंगाल के बाजारों पर आश्रित रहने के कारण बिचौलियों का शिकार होना पड़ता है.
किसान मनोज राय और संतोष सिंह बताते हैं कि हमलोगों के यहां अपने तैयार फल को अधिक समय तक सुरक्षित रखने को कोई उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण फल काटने के साथ बंगाल के बाजार में शरण लेना पड़ता है जहां हमारे यहां के किसानों को बंगाल के गद्दीदार बिचौलिये व्यापारी शोषण का शिकार होना पड़ता है.
अगर जिस तरह से प्रखंड के गलगलिया क्षेत्र में स्टार्च की एक फैक्ट्री लगने से यहां के किसानों को मकई की कीमत पहले की अपेक्षा इस वर्ष ठीक मिल रहा है. उसी तरह अगर सरकार अनानास आधारित कोई फैक्ट्री इस इलाके में लगाये तो यहां के किसानों को अनानास की उचित मूल्य मिल पायेगी क्योंकि अनानास से कई प्रकार की दवाइयां के साथ साथ चीनी, एनर्जी जूस भी तैयार होता है. एनर्जी जूस की फैक्टरी अगर लग जाये, तो निश्चित रूप से इलाके के अनानास किसानों की तकदीर संवर जायेगी.
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