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धड़ल्ले से धोधड़मारी झाड़ से काटे जा रहे सखुआ के पेड़, प्रशासन मौन

दिघलबैंक : मानव जीवन को सुरक्षित एवं पर्यावरण को संतुलित बनाए रखने के लिए पेड़ पौधों एवं जंगलों का विशेष महत्व है. सरकार द्वारा भी अधिक संख्या में पेड़ पौधों को लगाया जा रहा हैं तथा इसको सुरक्षित रखने के लिए कई सारी योजनाएं भी हैं. मगर लोगों की बढ़ती जरूरतों के कारण इन महत्वपूर्ण […]

दिघलबैंक : मानव जीवन को सुरक्षित एवं पर्यावरण को संतुलित बनाए रखने के लिए पेड़ पौधों एवं जंगलों का विशेष महत्व है. सरकार द्वारा भी अधिक संख्या में पेड़ पौधों को लगाया जा रहा हैं तथा इसको सुरक्षित रखने के लिए कई सारी योजनाएं भी हैं. मगर लोगों की बढ़ती जरूरतों के कारण इन महत्वपूर्ण जंगलों का दोहन किया जा रहा हैं.

जिससे पर्यावरण तो संतुलित तो हो ही रहा है. साथ ही मनुष्य पर भी इसका दुष्परिणाम पड़ता दिख रहा है.नये पेड़ लगाने में पूरा प्रशासनतंत्र लगा हुआ है मगर प्रखंड के धोधड़मारी कंचनबाड़ी जंगल जो जिला का धरोहर है वह प्रशाशनिक उपेक्षा का शिकार है.
हालात यह है कि जंगल पर बढ़ते अतिक्रमण के कारण जंगल सिकुड़ने लगा है.जी हां ऐतिहासिक धरोहर धोधड़मारी जंगल का अस्तित्व खतरे में है.प्रखंड के लोहागाडा पंचायत अन्तर्गत कंचनबाड़ी धोधड़मारी जंगल धीरे धीरे अस्तित्व बिहीन हो रहा है. एक तरफ सरकार जल जंगल पर्यावरण सुरक्षा हेतु करोड़ों रुपये खर्च कर रहा है.वही 82 एकड़ में फैला जंगल वन विभाग के उपेक्षा के कारण वन का जमीन अतिक्रमण कर भूमि माफिया खेती कर रहे हैं.
वही तस्करों द्वारा बृक्षों की कटाई कर घना जंगल को पतला कर दिया है. वन विभाग की ओर से न तो कोई स्थाई वनकर्मी है. न तो अब तक का जंगल का सीमांकन कर धेरा बंदी किया गया है. यदि जिला प्रशासन या वन विभाग इस ओर ध्यान नही दिया तो वह दिन दुर नही,जब ऐतिहासिक धोधड़मारी जंगल का अस्तित्व खत्म हो जाएगा. स्थानीय लोगो ने इस धरोहर को बचाने तथा इसको सुरक्षित करने की मांग जिला प्रशासन एवं वन विभाग से की है.

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