शिवनारायण साह व मृतक अशोक हरिजन को चार्जशीट में पाया गया दोषी
कोर्ट ने लिया संज्ञान किया जवाब-तलब
किशनगंज : कोई भी व्यक्ति अपनी हत्या खुद कर सकता है? उसके बाद हत्या की रपट खुद मृतक की पत्नी पुलिस थाने में दर्ज कराती है. पुलिस पदाधिकारी जांच करती है. एफआइआर में जिससे नामजद अभियुक्त बनाया जाता है वह निर्दोष हो जाता है, हो भी सकता है.जिस व्यक्ति की हत्या का केस दर्ज होता है उसी मृतक व्यक्ति के खिलाफ पुलिस ने आरोप पत्र दायर कर नामजद अभियुक्त को बरी कर दिया. यह सब आपको अटपटा व बेबुनियाद जरूर लग रहा होगा,
लेकिन पुलिस ने अपने चार्जशीट (आरोप पत्र) में ऐसा कर दिखाया है. मामला तब प्रकाश में आया जब अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश(प्रथम) सत्येंद्र पांडेय की कोर्ट ने मामले की सोमवार को सुनवाई के दौरान चार्जशीट को देखा. कोर्ट ने तुरंत संज्ञान लेते हुए गंधर्वडंगा थाना के एसएचओ व अनुसंधानकर्ता रहमान अंसारी से जवाब-तलब किया है.
कोर्ट से मिली जानकारी अनुसार कांड के अनुसंधानकर्ता एसएचओ रहमान अंसारी ने 2 फरबरी 2018 को चार्जशीट नंबर 05/18 में शिव नारायण साह व मृतक अशोक कुमार हरिजन को दोषी पाया है और भादवि 304(ए)/201/34एंड 4(1)एससी/एसटी एक्ट लगाया है, जबकि एफआइआर में नामजद अरुण कुमार गिरी को बरी कर दिया. इस मामले से एक बार पुलिसिया अनुसंधान पर सवाल खड़ा हो गया है.
क्या है मामला
दिघलबैंक प्रखंड के गंधर्वडांगा थाना में 17 नवंबर 2017 को सतमेड़ी गांव की रिंकी देवी ने अपने पति अशोक कुमार हारिजन की हत्या का मामला दर्ज कराया था, जिसमें भासनामनी निवासी अरुण कुमार गिरी व अन्य अज्ञात को हत्या का आरोपित बनाया गया था. गन्धर्वडांगा थाना ने कांड संख्या 33/17 भादवि 302/34 दर्ज कर, गन्धर्वडांगा एसएचओ रहमान अंसारी हत्या की गुत्थी सुलझाने में जुट गये, जिसमें उन्होंने सूचक रिंकी देवी के मृतक पति अशोक कुमार हरिजन एवं शिव नारायण साह को दोषी पाकर चार्जशीट कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया और एफआइआर में नामजद अरुण कुमार गिरी को आरोप पत्र से मुक्त कर दिया.