एकता पर बल. अखिल भारतीय जैन अल्पसंख्यक फेडरेशन की कार्यशाला
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सुविधा का लाभ उठाये जैन समाज : गांधी
एकता पर बल. अखिल भारतीय जैन अल्पसंख्यक फेडरेशन की कार्यशाला किशनगंज : तेरापंथ भवन में अखिल भारतीय जैन अल्पसंख्यक फेडरेशन के द्वारा जैन अल्पसंख्यक कार्यशाला का आयोजन हुआ. कार्यशाला को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष ललित गांधी ने कहा कि मात्र जैन कुल में जन्म लेने या लिखने से जैन नहीं, बल्कि संस्कार उच्च होने […]
किशनगंज : तेरापंथ भवन में अखिल भारतीय जैन अल्पसंख्यक फेडरेशन के द्वारा जैन अल्पसंख्यक कार्यशाला का आयोजन हुआ. कार्यशाला को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष ललित गांधी ने कहा कि मात्र जैन कुल में जन्म लेने या लिखने से जैन नहीं, बल्कि संस्कार उच्च होने चाहिये, तभी आप सच्चे जैन होंगे. उन्होंने कहा कि संस्कारों के साथ शैक्षणिक स्तर भी होना चाहिए, हमें विरासत में भगवान महावीर जिस धर्म का सिद्धांत देकर गए हैं उसका अनुपालन होना चाहिए.
ललित गांधी ने कहा कि आज देश में लगभग दो करोड़ की संख्या जैन समुदाय की है. अल्पसंख्यक का दर्जा मिलने के बाद शासन से मिलने वाले फायदे व योजनाओं की जानकारी हमें हर स्तर पर नहीं है. इन योजनाओं का समाज कैसे लाभ उठा सकते हैं, ये महत्वपूर्ण है. आयोजित कार्यशाला में राष्ट्रीय अध्यक्ष ललित जी ने कहा जैनो में एकता बनाओ व हर घर से आल इंडिया जैन माइनॉरिटी के सदस्य बनाओ, जिससे सरकार को देश में जैनों की संख्या पता चलेगी. जिससे सरकार हमारे लिए योजना एवं फंड बढ़ाएगी. जैन समुदाय की कितनी संख्या है. इसका कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है, क्योंकि सभी का टाइटल अलग-अलग है. पिछले कुछ दिनों में देश भर में 200 से अधिक कार्यशाला कर चुके हैं.
फॉर्म भरिये, अधिक से अधिक सदस्य बनिये : श्री गांधी ने कहा कि हमारा समाज कई भागों में विभाजित है. हमें संगठित होने की आवश्यकता है, ऐसे 45 लाख का आंकड़ा है, लेकिन हम इससे काफी अधिक हैं. अगर हम संगठित नहीं हुए तो हमारा हाल भी पारसी जैसा हो जाएगा. जैन समाज का स्वर्णिम इतिहास रहा है. ये वो भूमि है जहां भगवान महावीर ने सत्य और अहिंसा मार्ग प्रशस्त किया. हमें भगवान महावीर के मार्ग पर ही चलना चाहिए. अहिंसा ही हमारा मुख्य उद्देश्य है. धार्मिक गतिविधियों के अलावे भी हमारे कई सामाजिक कार्य हैं. हमारे पास लीडरशिप का अभाव है. हमारे समाज को लक्ष्मी और सरस्वती दोनों का वरदान है. हमारे समाज के 95 प्रतिशत लोग शिक्षित हैं फिर भी हम अपने मार्ग से विमुख हो रहें है. सेवा और सहयोग के क्षेत्र में हमारा समाज आगे है.लेकिन अभी बहुत कुछ करना शेष है. देश को टैक्स देने में भी हम पीछे नहीं है. श्री गांधी ने कहा कि देश आज़ादी के बाद पहले आम चुनाव में जैन समुदाय के 54 सांसद थे, आज 05 पर सिमट कर रह गया है. हमें कारोबार के साथ-साथ राजनीति, समाजसेवा, प्रशासनिक व्यवस्थाओं,स्वास्थ्य सेवा पर भी ध्यान देने की जरूरत है. श्री गांधी ने कहा कि जैन समाज को केंद्र सरकार ने 2014 में अल्पसंख्यक का दर्जा प्रदान किया, लेकिन अल्पसंख्यक का दर्जा संख्यात्मक रूप से कम होने के कारण संवैधानिक अधिकार के तौर पर मिला है. उन्होंने भारत सरकार द्वारा जैनियों को अल्पसंख्यक वर्ग का दर्जा देने से केंद्र और प्रदेश सरकार से जैन धर्मावलंबियों को मिलने वाले लाभ के बारे में बताया. जैन समाज का सर्वागीण विकास हो सके इसके लिए जैन समाज के लोगो में जागरूकता एवं सरकार द्वारा घोषित योजनायों की जानकारी दी. जैन वर्ग के विद्यार्थी के लिए छात्रवर्ती, उच्च शिक्षा के केंद्र खोलने के लिए लोन, महिलायों के लिए योजना, धार्मिक संस्था के लिए उपलब्ध अनुदान आदि की जानकारी विस्तारपूर्वक दी.
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