दिघलबैंक : नियोजित शिक्षकों के लिए मंगलवार का दिन बेहद खास रहा. माननीय उच्च न्यायालय पटना ने विभिन्न शिक्षकों द्वारा दायर याचिका की सुनवाई करते हुए अपना फैसला सुनायी है. जिसमें पटना हाइकोर्ट ने बिहार के नियोजित शिक्षकों को बड़ी राहत दी है. नियोजित शिक्षकों के समान वेतन के लिये समान कार्य की मांग को सही ठहराया है. अपने फैसले में हाइकोर्ट ने कहा कि समान कार्य के लिए सरकार द्वारा समान वेतन नहीं देना संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन है.
पटना हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन की खंडपीठ ने सुनवाई करने के बाद फैसला सुनाया. मालूम हो कि बिहार के नियोजित शिक्षक अपनी इस मांग को लेकर काफी दिनों से आंदोलनरत हैं. कोर्ट के इस फैसले का विभिन्न शिक्षक, शिक्षिकाओं और शिक्षक संघों ने स्वागत करते हुए इसे न्याय की जीत करार दिया है.
प्रभात खबर ने भी नियोजित शिक्षकों से इस संबंध में बातचीत की तो उन्होंने इस फैसले को ऐतिहासिक बताया और माननीय कोर्ट का आभार जताते हुए अपनी बेबाक प्रतिक्रिया दी और वाद दायर करने वाले शिक्षकों के प्रयासों की सराहना की.
वहीं बहादुरगंज प्रतिनिधि के अनुसार, माननीय उच्च न्यायालय के द्वारा समान काम के बदले समान वेतन व सुविधा लागू करने के फैसले पर बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ ने खुशी का इजहार किया है एवं नियोजित शिक्षकों के हित को देखते हुए संघ ने तत्काल ही राज्य सरकार से समान काम समान वेतन की तर्ज पर यथोचित वेतनमान देने की मांग की है़ संघ के जिला सचिव रागीबुर्रहमान व सचिव अब्दुल कादिर ने संयुक्त रूप से माननीय न्यायालय के ऐतिहासिक निर्णय का स्वागत करते हुए बताया कि पूरे शिक्षक समुदाय ने राहत की सांस ली है़ संघ के सदस्य शिक्षक कर्मी के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गयी है़ बावजूद इसके राज्य सरकार अब भी इतने बड़े गंभीर मुद्दे पर न्यायोचित कदम अख्तियार करने में अनावश्यक विलंब करती है तो बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ चरणबद्घ आंदोलन से राज्य व्यापी आंदोलन पर उतारू होने को लाचार होंगे़ उधर संघ के बहादुरगंज नगर अध्यक्ष प्रभात कुमार सिन्हा, एमएस आजाद, नफीस अरकम, रमेश सिंह, देवानंद मिश्रा, अर्जुन लाल, समर आलम व दिलीप राय सहित कई सदस्यों ने भी फैसले का स्वागत करते हुए इसे संघहित में ऐतिहासिक करार दिया है़
राज्य सरकार माननीय न्यायालय के आदेश का तुरंत करें अनुपालन
संघ के प्रखंड अध्यक्ष वजीर आलम ने कहा कि यह सत्य की जीत है इस दिन का इंतजार काफी लंबे समय से था. राज्य सरकार के लिए यह निर्णय किसी चेतावनी से कम नहीं है. अब राज्य सरकार माननीय न्यायालय के आदेश का तुरंत अनुपालन करें. आज नियोजित शिक्षक अपने वेतन भुगतान और विभागीय परीक्षा के लिए दर-दर की ठोकर खाने को विवश है. ऐसे में यह निर्णय हमारी लड़ाई को और मजबूत करेगा. उन्होंने बंशीधर ब्रजवासी और शिक्षकों का केस लड़ रहे अधिवक्ताओं का भी आभार जताया.
वहीं कोचाधामन प्रखंड अध्यक्ष अरुण ठाकुर ने कहा कि यह ऐतिहासिक फैसला है.
संघ के सचिव विनय कुमार गणेश ने इस फैसले का स्वागत करते है हुए कहा कि हम शिक्षकों के अंधकारमय भविष्य को प्रकाशमय करने वाला फैसला है. हमें जो सम्मान मिलना चाहिए, राज्य सरकार तत्काल दे तथा शिक्षकों को अलग-अलग खंडों में विभाजित करने का कुत्सित प्रयास बंद हो. नियोजित शिक्षक का शोषण अब और नहीं.उन्होंने कोर्ट के फैसले को मील का पत्थर बताया.
वहीं शिक्षिका सोनम कुमारी ने बताया कि यह तो होना ही था आखिर कब तक सरकार नियोजित शिक्षकों का शोषण करेगी. हमारे लिए आज का दिन खास है माननीय हाइकोर्ट ने जो निर्णय दिया है सरकार उसे शीघ्र लागू करें और शिक्षकों को भी मान-सम्मान के साथ जीने का अधिकार है. जबकि शिक्षिका बिंदु कुमारी भारती ने कहा कि ईश्वर के घर देर है अंधेर नहीं लंबी लड़ाई के बाद आखिरकार माननीय उच्च न्यायालय ने हमें हमारा हक और अधिकार दिलवाया है अब राज्य सरकार बगैर देर किये हुए इस आदेश पर अमल करें. जबकि शिक्षिका खुशबू ठाकुर ने इसे ऐतिहासिक जीत बताते हुए कहा कि एक दशक से भी लंबे इंतजार के बाद इस तरह के निर्णय ने आत्मविश्वास से भर दिया है. उन्होंने कहा कि माननीय अदालत ने नियोजित शिक्षकों के आगे के मार्ग को प्रशस्त किया है. हमें देश के न्याय व्यवस्था पर पूरा भरोसा है.
वहीं शिक्षिका कुमारी श्वेता ने न्याय प्रक्रिया पर पूरी आस्था जताते हुए कहा कि देर से ही सही लेकिन लाखों नियोजित शिक्षकों के हक में यह फैसला आया है.आज का दिन बहुत खास है अब इंतजार उस दिन का है जब इसका लाभ मिलना शुरू हो जायेगा.