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तीन साल बाद भी पूरी नहीं हुई योजना

दिघलबैंक : दिल्ली से चलने वाली योजनाएं नाम तो प्रधानमंत्री का होता, है लेकिन गांव के प्रधान के घर तक जाते-जाते ये योजनाएं अपना बोझा उतार देती है. दिल्ली हर गांव के लिए सपना देखती है तो हर गांव दिल्ली तक का रास्ता. कुछ ऐसा ही हश्र हुआ है. सांसद आदर्श गांव योजना का जो […]

दिघलबैंक : दिल्ली से चलने वाली योजनाएं नाम तो प्रधानमंत्री का होता, है लेकिन गांव के प्रधान के घर तक जाते-जाते ये योजनाएं अपना बोझा उतार देती है. दिल्ली हर गांव के लिए सपना देखती है तो हर गांव दिल्ली तक का रास्ता. कुछ ऐसा ही हश्र हुआ है. सांसद आदर्श गांव योजना का जो अभी तक खटाई में पड़ा हुआ प्रतीत होता है.योजना की घोषणा के तीन साल बाद भी इन गांवों की स्थिति जस की तस बनी हुई है. साल 2014 में जब केंद्र में सत्ता परिवर्तन हुआ और नरेंद्र मोदी ने देश की बागडोर संभाली,

तो उन्होंने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर ऐतिहासिक लाल किले के प्राचीर से अपने पहले भाषण में इस योजना की घोषणा की थी और सांसदो को अपने संसदीय क्षेत्र के तीन गांव को इस योजना के तहत चयनित करने तथा उसे आदर्श गांव बनाकर वहां सुविधाओं और तकनीक का विकास करने की जिम्मेवारी सौंपी थी. लोकनायक जय प्रकाश नारायण के जन्म दिवस के अवसर पर विधिवत इस योजना का शुभारंभ भी कर दिया गया. लेकिन बीते 35 माह के बाद भी यह योजना परवान नहीं चढ़ सकी. आज भी यह योजना कागज़ों तक ही सिमट कर रह गयी.

स्थानीय सांसद मौलाना असरारुल हक कासमी ने भी इस योजना के तहत तीन गांवों का चयन किया था जिसमें दिघलबैंक प्रखंड का इकरा गांव भी शामिल है, जब इस गांव का चयन इस योजना के तहत हुआ था. तब यहां के लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं था. लोगों को लगने लगा था कि मानव विकास के लिए जरूरी संसाधन जैसे स्मार्ट स्कूल, बेहतर अस्पताल, पीने का साफ पानी ,24 घंटे बिजली, बैंक, पोस्ट ऑफिस,तथा तकनीक और संचार के बेहतर साधन जैसे वाई-फाई जैसी सुविधाओं से यह गांव सुसज्जित होगा. लिंग अनुपात में समानता तथा मुख्य धारा से कटे लोगों को मुख्य धारा में जोड़ने जैसे मुद्दों पर काम होगा. लेकिन लोगों की सभी उम्मीदों पर जैसे पानी फिर गया है.
स्थानीय लोगों की माने तो इन बीते समय में केवल अधिकारियों के गाड़ियां भर ही यहां देखने को मिली है. 80 वर्षीय बुजुर्ग रामानंद प्रसाद कहते हैं कि एक दो बार सर्वे करने वाली टीम जरूर यहां आयी है जो लिखा-पढ़ी कर चली गयी है इसके अलावे यहां कुछ नया नहीं हुआ है.
क्या कहते हैं सांसद
स्थानीय सांसद मौलाना असरारुल हक कासमी ने इस योजना पर सवाल उठाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने केवल घोषणा कर दी. लेकिन जमीन पर काम कैसे होगा, इसके लिए कोई फण्ड अथवा राशि का आवंटन नही किया गया है,एक सांसद अपने सांसद निधि का पूरा पैसा लगा भी दें, तो ये गांव आदर्श नहीं बन पायेंगे. जबकि एक संसदीय क्षेत्र में सैकड़ों गांव है उनका क्या होगा? श्री कासमी ने कहा कि हमने इस समस्या से सरकार को अवगत कराया था लेकिन अभी तक फंड की कोई व्यवस्था नहीं की गयी है.

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