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गंगा के कहर से कराह रहे गांव

खगड़िया : गंगा में उफान से आधा दर्जन गांव की हजारों की आबादी कहराने को विवश हैं. सड़क क्षतिग्रस्त होने के साथ-साथ घर से लेकर स्कूल तक में पानी प्रवेश कर जाने के कारण लोग त्राहिमाम कर रहे हैं. सदर प्रखंड के रहीमपुर उत्तरी व दक्षिणी पंचायत के आधा दर्जन से अधिक गांवों में बाढ़ […]

खगड़िया : गंगा में उफान से आधा दर्जन गांव की हजारों की आबादी कहराने को विवश हैं. सड़क क्षतिग्रस्त होने के साथ-साथ घर से लेकर स्कूल तक में पानी प्रवेश कर जाने के कारण लोग त्राहिमाम कर रहे हैं. सदर प्रखंड के रहीमपुर उत्तरी व दक्षिणी पंचायत के आधा दर्जन से अधिक गांवों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर जाने के कारण हजारों लोग फंसे हुए हैं. इन परिवारों के समक्ष पेट भरने का संकट उत्पन्न हो गया है. चरखुटी से पंचखुटी, रहीमपुर-चरखुटी पीसीसी सड़क क्षतिग्रस्त होने के कारण सोनवर्षा गांव का सीधा संपर्क टूट गया है.
रहीमपुर दक्षिण, रहीमपुर मध्य व उत्तरी गांव तथा गंगा नदी किनारे बसे लोगों के सैकड़ों घर प्रभावित हुए हैं. पशुओं का चारा भी पानी की धार में समा गया. पशुओं को सिर्फ सुखे भूसे का सहारा है. गंगा नदी में बढ़ते जलस्तर से तीन पंचायतों के हजारों की आबादी प्रशासन की ओर टकटकी लगाये हुए हैं. शरणस्थली की तलाश में सैकड़ों लोगों ने घर-द्वार छोड़ दिया है.
सदर सीओ नौशाद आलम ने जिला प्रशासन के निदेश पर आठ नावों को प्रभावित इलाकों में परिचालन के लिए लगाया है, जो नाकाफी साबित हो रही है. रहीमपुर मध्य व रहीमपुर उत्तरी के मुखिया रेणु चौधरी व मक्खन साह ने बताया कि गंगा में उफान के कारण हजारों की आबादी प्रभावित हुई है. पशुओं के लिये चारा संकट से लेकर आम लोगों को पेट भरने की चिंता सता रही है. कृषकों के मकई पानी में ही डूब गये.
सोमवार को रहीमपुर के तीनों पंचायत के बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया गया है. मुखिया से प्रभावित लोगों की सूची मांगी गयी है. जिसके आधार पर सरकार द्वारा निर्धारित राहत दिये जायेंगे. साथ ही आने जाने के लिए वैकल्पिक उपायों पर तेजी से अमल किया जा रहा है.
नौशाद आलम, सदर सीओ
लिपिक पर विभाग मेहरबान
हद है. तत्कालीन एसीएमओ व डीएम के निर्देश को ठेंगा दिखा रहे आरोपी लिपिक
तत्कालीन एसीएमओ ने डीएम को पत्र भेज कर कहा था कि वित्तीय अनियमितता को ले हुई प्राथमिकी के आरोपी स्वास्थ्यकर्मी ज्योतिष ठाकुर से लेखा या अन्य काम यथोचित प्रतीत नहीं होता है. ऐसे कर्मी को जिला मुख्यालय के किसी भी कार्यालय में रखना उचित नहीं है. जिसके बाद डीएम ने श्री ठाकुर को हटाने का आदेश भी दिया लेकिन फिर भी आरोपी लिपिक आज भी एसीएमओ कार्यालय में मजे से बने हुए हैं.
खगड़िया : कार्य में लापरवाही, आदेश की अवहेलना, प्रभार नहीं सौंपना, सूचना उपलब्ध करवाने में शिथिलता एवं वित्तीय अनियमितता के कारण पूर्व में निलंबित होने के बाद प्राथमिकी आरोपी बनाये गये लिपिक ज्योतिष ठाकुर को तत्कालीन एसीएमओ ने जिला मुख्यालय के किसी भी कार्यालय में पदस्थापना से ब्लैक लिस्टेड करते हुए डीएम को रिपोर्ट भेजा था. उसके बाद तत्कालीन डीएम ने सीएस को पत्र लिखते हुए आरोपी लिपिक ज्योतिष ठाकुर को एसीएमओ कार्यालय से हटाने का आदेश दिया था. एसीएमओ की रिपोर्ट पर डीएम द्वारा दिये गये निर्देश को ठेंगा दिखाते हुए आज भी लिपिक ज्योतिष ठाकुर एसीएमओ कार्यालय में बने हुए हैं.
डीएम ने लिपिक हटाने का दिया था आदेश : 21 जून 2012 को तत्कालीन डीएम ने सिविल सर्जन को पत्र भेज कर लिपिक ज्योतिष ठाकुर के क्रियाक्लाप पर आपत्ति जतायी थी. डीएम ने पत्र में कहा है कि लिपिक श्री ठाकुर द्वारा वित्तीय अनियमितता एवं कई गंभीर आरोप के कारण पूर्व सिविल सर्जन ने उन्हें निलंबित भी किया है. ऐसे में उक्त लिपिक से लेखा व अन्य कार्य कराना उचित नहीं है. उनके पदस्थापन से पुन : वित्तीय अनियमितता की आशंका है.
ऐसे में अगर जिला मुख्यालय में ऐसे लिपिक की पदस्थापना के बाद पुन: वित्तीय अनियमितता व दूसरी गड़बड़ी सामने आती है तो इसकी सारी जवाबदेही आपकी (सीएस) सारी जबावदेही होगी. यह पत्र उस वक्त बेलदौर से श्री ठाकुर को स्थानांतरित कर एसीएमओ कार्यालय में पदस्थापना के बाद तत्कालीन सिविल सर्जन को डीएम ने भेजा था. लेकिन डीएम के पत्र को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया.
आरोपी लिपिक को बचाने की हो रही कोशिश : स्वास्थ्य विभाग में सरकारी राशि की हेराफेरी से जुड़े एक मामले में तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ रासबिहारी सिंह द्वारा लिये फैसले सवालों के घेरे में है.
ऑडिट टीम की आपत्ति व थाना में दर्ज प्राथमिकी, डीएम के आदेश सहित कई सिविल सर्जन व अन्य स्वास्थ्य अधिकारियों की आपत्ति को दरकिनार कर तत्कालीन सीएस ने क्षेत्रीय स्वास्थ्य उपनिदेशक को पत्र भेज कर कार्यालय के तत्कालीन लिपिक ज्योतिष ठाकुर को लगे आरोप को विलोपित करने के लिये अनुशंसा की है. इधर, सरकारी राशि की हेराफेरी सहित कई आरोपों के घेरे में आये लिपिक श्री ठाकुर पर मेहरबानी की चर्चा जोरों पर है.
वर्ष 2006-07 में सिविल सर्जन कार्यालय के कागजात की जांच के दौरान ऑडिट टीम ने रोकड़ पंजी एवं बैंक की राशि में करीब 1,23,345 रुपये का अंतर पाया. जिसका कोई विवरणी (नकद राशि, चेक या ड्राफ्ट) कार्यालय में लिपिक श्री ठाकुर ने उपस्थित नहीं किया.
बाद में सीएस कार्यालय के आरोपी रोकड़पाल/लिपिक ज्योतिष ठाकुर (वर्तमान में एसीएमओ कार्यालय में कार्यरत) ने कार्रवाई के डर से 30, 520 रुपये विभाग को लौटा भी दिया, लेकिन बाकी की राशि लौटाने में आनाकानी को देखते हुए तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ अजय प्रताप ने स्थानीय थाना में लिपिक ज्योतिष ठाकुर पर प्राथमिकी कांड संख्या 365/09 दर्ज करवायी थी. इस पूरे प्रकरण में उस वक्त के सिविल सर्जन ने 13.08.2015 को सरकार के उपसचिव को पत्र भेजकर लिपिक श्समेत तीन स्वास्थ्यकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा भी की है.
तत्कालीन एसीएमओ ने दुर्भावना से ग्रसित होकर मेरे खिलाफ गलत रिपोर्ट दिया है. जिसमें कोई सच्चाई नहीं है. ऑडिट टीम की आपत्ति के आलोक में तत्कालीन सीएस डॉ रासबिहारी सिंह ने क्षेत्रीय स्वास्थ्य उपनिदेशक को पत्र भेज कर आरोप विलोपित करने की अनुशंसा की है. सारे आरोप मनगढंत हैं.
ज्योतिष ठाकुर, आरोपी लिपिक.

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