हद है. स्थापना काल से ही उपेक्षित हैं कज्वन दियारा के प्राथमिक विद्यालय
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झांकने तक नहीं आये अधिकारी
हद है. स्थापना काल से ही उपेक्षित हैं कज्वन दियारा के प्राथमिक विद्यालय जिला के परबत्ता प्रखंड में एक विद्यालय ऐसा है, जहां आज तक पदाधिकारी का पदार्पण नहीं हुआ है. इस विद्यालय के स्थापना काल के पांच वर्ष बीत जाने के बाद भी आज तक एक बार भी पदाधिकारी का निरीक्षण नहीं हो सका […]
जिला के परबत्ता प्रखंड में एक विद्यालय ऐसा है, जहां आज तक पदाधिकारी का पदार्पण नहीं हुआ है. इस विद्यालय के स्थापना काल के पांच वर्ष बीत जाने के बाद भी आज तक एक बार भी पदाधिकारी का निरीक्षण नहीं हो सका है.
इसके कारण स्कूल की व्यवस्था बद से बदतर है.
खगड़िया : प्रखंड के जोरावरपुर पंचायत अंतर्गत कज्जलवन गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय कज्जवन दियारा की स्थापना 18 दिसंबर 2010 को किया गया था. लेकिन आज तक शिक्षा विभाग के कोई अधिकारी स्कूल में आज तक जांच करने नहीं आये की किस हाल में विद्यालय चल रहा है. स्थापना के दो वर्षों के बाद तक विद्यालय भूमिहीन था तथा झोपड़ी में चलता था.
दान मिली जमीन पर नहीं सुधरे हालात : वर्ष 2012 में गांव के नागेश्वर मंडल ने विद्यालय की स्थापना के लिये तीन कट्ठा जमीन दान दिया. फिलहाल विद्यालय में 120 छात्र छात्रा नामांकित हैं. किन्तु एक शिक्षकीय विद्यालय होने के कारण विद्यालय प्रधान के मीटिंग आदि में जाने पर विद्यालय बंद होने करने की नौबत आ जाती है.
परबत्ता प्रखंड की मुख्य भृमि से नौ किलोमीटर दूर दियारा में विद्यालय होने की वजह से यहां भवन निर्माण से लेकर मध्याह्न भोजन योजना चलाना एक दुरुह कार्य है. भवन निर्माण सामग्री को कई गाड़ियां बदलकर ले जाना पड़ता है तथा यही स्थिति मध्याह्न भोजन योजना के खाद्यान्न का भी है. संवेदक द्वारा इस विद्यालय का खाद्यान्न को विद्यालय से तीन किलोमीटर दूर गोढियासी में ही उतार दिया जाता है.
बाढ़ के दिनों में हो जाती है छुट्टी : इस विद्यालय में बाढ़ के दिनों में छुट्टी दी जाती है. वर्तमान में यह गोगरी नारायणपुर बांध पर नयागांव गोढियासी से पश्चिम गंगा नदी की तरफ तीन किलोमीटर दूर है. जहां तक जाने में गंगा की उपधारा को पार करना पड़ता है. जोरावरपुर पंचायत नियोजन इकाई द्वारा वर्ष 2012 में इस विद्यालय के लिये रिक्ति घोषित की गयी तथा आवेदक का चयन भी हुआ था. लेकिन विद्यालय की भौगोलिक स्थिति को देखकर आवेदक ने दूसरे नियोजन इकाई का रुख किया. वर्तमान में यह विद्यालय प्रतिनियोजित शिक्षक के भरोसे चल रहा है. जिस स्कूल के लिये शिक्षा विभाग तथा पंचायती राज व्यवस्था पांच वर्षों में एक शिक्षक का इंतजाम नहीं कर सका एवं इकलौते प्रतिनियोजित शिक्षक के भरोसे पांच कक्षाओं के इस विद्यालय से छात्र छात्राओं को शिक्षा का कितना ज्ञान मिल सकता है यह सहज ही समझा जा सकता है.
शिक्षकों की तैनाती नहीं कर रहा विभाग
इस विद्यालय में आज तक किसी शिक्षक की भी नियुक्ति नहीं हो सकी है. हर बार नियोजन की प्रक्रिया आरंभ होने पर यह आशा जगती है कि अब इस स्कूल को शिक्षक मिलेगा.लेकिन इस विद्यालय में जिसकी भी नियुक्ति होती है वह शिक्षक अन्य नियोजन इकाई में जाने को तरजीह देता है.अब आलम यह है कि यह विद्यालय इकलौते शिक्षक के भरोसे चल रहा है जो किसी और स्कूल के शिक्षक हैं. इस स्कूल के इकलौते शिक्षक सह प्रभारी राजेश मूल रूप से एक अन्य विद्यालय प्राथमिक विद्यालय सतखुट्टी के शिक्षक हैं जिन्हें यहां 2010 से ही प्रतिनियोजित कर विद्यालय का संचालन कराया जा रहा है. विद्यालय की भौगोलिक स्थिति यह है कि स्थापना के पांच वर्ष बीत जाने के बाद भी आज तक शिक्षा विभाग के किसी स्तर के किसी पदाधिकारी द्वारा निरीक्षण नहीं किया गया है.
पांच कक्षाओं के लिये एक शिक्षक
विभाग के अधिकारियों ने नहीं देखा है स्कूल
पांच वर्ष में नहीं हुआ एक भी निरीक्षण
उधार के शिक्षक के बूते चल रहा स्कूल
फिर शुरू होगा बच्चों का मूल्यांकन
परबत्ता. एक बार फिर से वर्ग एक से आठ तक के छात्र-छात्राओं के वार्षिक, अर्द्धवार्षिक तथा मासिक मूल्यांकन की तैयारी शुरू हो गयी है. बिहार शिक्षा परियोजना के राज्य परियोजना निदेशक संजीवन सिन्हा के पत्रांक 2713 दिनांक 24 मई 16 के अनुसार वर्ष 2016 -17 में वर्ग एक से आठ में अध्ययनरत बच्चों के उपलब्धि के स्तर में सुधार के लिए विशेष प्रयास किये जाने की आवश्यकता व्यक्त की गयी है.
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