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सात हजार बकायेदारों पर प्राथमिकी दर्ज

ऋण वसूली में विभाग का छूट रहा पसीना जिले में बकायेदारों की संख्या 7131 है. बकाये की राशि वसूली करने में विभाग के पसीने छूट रहे हैं. वर्ष 1984-85 से लेकर वर्ष 1990-91 तक के बीच के भी कई मामले अब तक लंबित हैं. खगड़िया : जिले में बकायेदारों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही […]

ऋण वसूली में विभाग का छूट रहा पसीना

जिले में बकायेदारों की संख्या 7131 है. बकाये की राशि वसूली करने में विभाग के पसीने छूट रहे हैं. वर्ष 1984-85 से लेकर वर्ष 1990-91 तक के बीच के भी कई मामले अब तक लंबित हैं.
खगड़िया : जिले में बकायेदारों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है. जितनी बकाये की राशि की वसूली नहीं हो रही है उससे अधिक के लिए केस दर्ज हो रहा है. सूत्रों के मुताबिक प्रत्येक माह बकायेदारों के विरुद्ध सरकारी राशि की वसूली के लिए जिला निलाम पत्र शाखा में सर्टिफिकेट केस दर्ज कराया है. आरटीआइ के तहत मिली जानकारी के अनुसार जिले में बकायेदारों की संख्या 7131 है, जिनसे बकाये की राशि वसूली करने में विभाग के पसीने छूट रहे हैं. वर्ष 1984-85 से लेकर वर्ष 1990-91 तक के बीच के भी कई मामले अब तक लंबित हैं.
हजारों हैं बकायेदार : बकायेदारों की संख्या हजारों में हैं. जिनसे राशि की वसूली के लिए निलाम पत्र शाखा में केस दर्ज किये गये हैं. जिला निलाम पत्र शाखा से मिली जानकारी के अनुसार नोटिस जारी होने के बावजूद राशि जमा नहीं करने वाले 705 बकायेदारों के विरुद्ध गिरफ्तारी वारंट जारी किये गये हैं, जो जिले के विभिन्न थानों में लंबित है. हाल के दिनों में जिला स्तर पर हुई समीक्षा में यह बात सामने आयी है कि बकायेदारों की संख्या 7183 है . जिनके विरुद्ध पीआरडी एक्ट के तहत वसूली के लिए केस दर्ज कराया गया है.
हो रहा इजाफा:
बकायेदारों की संख्या व राशि में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. जानकारी के अनुसार 31 मार्च 2016 तक बकायेदारों की संख्या 7031 तथा बकाये की राशि 35 करोड़ 49 लाख 17 हजार 239 थी, लेकिन इन दो माह में इन दोनों में वृद्धि हुई है. नौ जून 2016 को यह संख्या बढ़कर 7183 हो गयी यानी 122 और बकायेदारों के विरुद्ध केस दर्ज कराया गया है. जबकि 59 लाख 70 हजार रुपये की बढ़ोतरी के साथ यह राशि 36 करोड़ 82 लाख 43 हजार 35 हो गयी है. इतनी राशि जिले के 7183 बकायेदारों पर कर्ज है जिन्होंने संबंधित विभागों को यह राशि जमा नहीं की है.
कम हो रही है वसूली: बकायेदारों से राशि की वसूली की रफ्तार धीमी है. इस वित्तीय वर्ष में जहां 122 नये बकायेदारों पर केस दर्ज किये गये हैं. वहीं वसूली मात्र 44 बकायेदारों से ही हो पायी है. सूत्रों के अनुसार बकायेदारों के विरुद्ध वारंट तो जारी होते हैं, लेकिन थाना स्तर से सख्ती नहीं होने के कारण बकायेदार राशि जमा करने के प्रति लापरवाही बरतते हैं. निलाम पत्र शाखा का वसूली प्रतिशत मात्र 1.78 प्रतिशत है, जो कि बताता है कि कर्जदारों से राशि वसूली करने में विभाग कितना विवश है.
बैंकों की फंसी है सबसे अधिक राशि
बकायेदारों के पास सर्वाधिक राशि विभिन्न बैंकों का कर्ज है. जिन्होंने कर्ज लेने के समय झूठे वायदे करके तो जिले के विभिन्न बैंकों से रुपये तो प्राप्त कर लिए लेकिन जब कर्ज चुकाने की नौबत आयी तो वे मुकर गये. थकहार कर आखिरकार बैंकों को ऐसे बकायेदारों को डिफाल्टर सूची में डालकर इनके विरुद्ध सर्टिफिकेट केस दर्जं करना पड़ा. सूत्र के मुताबिक 36 करोड़ बकाये में से अधिकांश राशि विभिन्न बैंकों का ही कर्जदारों के पास फंसा हुआ है. बैंक डिफाल्टरों की संख्या में भी लगातार वृद्धि हो रही है. दो माह पूर्व जहां यह संख्या 51 सौ थी वहीं यह संख्या 52 सौ के पास पहुंच गया है. एसबीआइ, बिहार ग्रामीण बैंक, यूनियन बैंक, सेन्ट्रल बैंक, यूको बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, इलाहाबाद बैंक सहित अन्य बैंकों ने 52 सौ बकायेदारों के विरुद्ध राशि वसूली के लिए केस दर्ज कराया है. सूत्रों के मुताबिक 28 करोड़ 38 लाख रुपये की वसूली के लिए बैंकों ने 52 सौ लोगों पर सर्टिफिकेट केस किया है, जबकि परिवहन विभाग ने 48 लाख 30 हजार की वसूली के लिए 291 के विरुद्ध, विद्युत विभाग ने एक करोड़ 22 लाख 87 हजार की वसूली के लिए 150 तथा उत्पाद विभाग ने 14 लोगों के विरुद्ध 25 लाख 89 हजार की वसूली के लिए सर्टिफिकेट केस किया है. इसी तरह राजस्व विभाग ने 8 लाख की वसूली के लिए दो लोगों पर जबकि अन्य विभागों ने पांच करोड़ 65 लाख 19 हजार की वसूली के लिए 1528 लोगों के विरुद्ध केस दर्ज कराया है.

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