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चापाकल खराब, कैसे बुझेगी प्यास

शहर में अधिकांश चौक-चौराहों पर लगाये गये चापाकल से नहीं निकल रहा पानी विभाग को जनता की समस्याओं से कोई लेना देना नहीं, प्यास बुझाने के लिए भटक रहे लोग खगड़िया : शहर के अधिकतर हिस्सों में लगाये गये आयरन रिमूवल प्लांट वाले चापाकल से पानी नहीं निकल रहा है. खराब पड़े चापाकल को ठीक […]

शहर में अधिकांश चौक-चौराहों पर लगाये गये चापाकल से नहीं निकल रहा पानी

विभाग को जनता की समस्याओं से कोई लेना देना नहीं, प्यास बुझाने के लिए भटक रहे लोग
खगड़िया : शहर के अधिकतर हिस्सों में लगाये गये आयरन रिमूवल प्लांट वाले चापाकल से पानी नहीं निकल रहा है. खराब पड़े चापाकल को ठीक करने में विभाग को कोई मतलब नहीं रहने से लोगों की परेशानी बढ़ गयी है. इधर, लोगों की प्यास बुझाने के लिए करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाने के बाद भी पानी की किल्लत दूर नहीं हो पायी है. कई जगहों पर लगाये गये आयरन रिमूवल प्लांट जानवर बांधने के काम आ रहा है. विभागीय अधिकारी कहते हैं चापाकल गाड़ने वाली एजेंसी को ही इसके रखरखाव की जिम्मेदारी दी गयी है. अब जिम्मेवारी दे देने भर से पल्ला झाड़ रहे विभाग को कौन समझाये कि इसका अनुपालन कौन करवायेगा.
छह महीने भी नहीं चला आयरनमुक्त चापाकल : शहर के जय प्रकाश नगर, हाजीपुर, अड्डा घाट, पोस्ट आॅफिस रोड, बखरी बस स्टैंड, बवुआगंज, एसडीओ रोड सहित अन्य मार्गों में लगाये गये चापाकल गत कई माह से खराब पड़ा हुआ है. आयरन रिमूवल प्लांट युक्त चापाकल लगाने के नाम पर करोड़ों बहा दिये गये, लेकिन लोग दूषित पानी पीने को विवश हैं. विभागीय उदासीनता के कारण भीषण गरमी में भी लोगों को शुद्ध पेयजल के लिए भटकना पड़ रहा है. सुदूर ग्रामीण इलाके से आये पुरुष, महिलाएं व बच्चे शुद्ध पेयजल के लिए तड़प रहे हैं. वहीं,
कई स्थानों पर नगर परिषद के सौजन्य से डिब्बा युक्त पानी मुहैया कराया जा रहा है.
लाल चिह्न लगा कर सो गया विभाग : कई जगहों पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा चापाकल में लाल चिन्ह लगा दिया गया है, लेकिन इस समस्या के निदान में विभाग दिलचस्पी नहीं ले रहा है. लिहाजा पेयजल की समस्या बनी हुई है. पीएचइडी विभाग द्वारा शहर में सप्लाई होने वाली पानी में गंदगी इतनी रहती है कि जानवर व कपड़े धोने से लोग परहेज करने लगे हैं. वहीं गंगा व गंडक नदी के किनारे बसे गांवों में अत्यधिक आर्सेंनिक मिश्रित पानी पाया जाता है. अधिकतर बीमारियां दूषित पानी पीने से होती है.
मिनरल वाटर का सहारा
शहर के अधिकतर इलाकों के चापाकल से निकलने वाले पानी में आर्सेनिक व आयरन की मात्रा खतरनाक स्तर तक पाया जाता है. इस कारण शहर के लोग बोतल बंद पानी पर निर्भर हैं, जबकि शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने को लेकर सरकार कई योजनाएं चला रखी है, जो धरातल पर सही ढंग से लागू नहीं हो पा रही है. इसके कारण जिले में पेयजल की समस्या बनी हुई है.
कहते हैं लोग
शहर के सोनू कुमार, मो पप्पु, चंदन कुमार, टुनटुन साह आदि ने बताया कि शहर के लोगों को विभाग शुद्ध पेयजल मुहैया कराने में असमर्थ है. लोग पानी खरीद कर पीने को मजबूर हैं. स्थिति यह है कि प्रतिमाह हजारों रुपये का पानी खरीद कर लोगों को पीना पड़ रहा है.

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